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हत्या के जुर्म में सात को आजीवन कारावास

सजा के साथ 15-15 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी लगा सीवान : दरौली थाना क्षेत्र के भिटौली के बहुचर्चित सुग्रीव हत्याकांड में मंगलवार को तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश ने सात आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश सुभाष चंद्र के कोर्ट ने आजीवन कारावास के साथ ही 15-15 हजार रुपये […]

सजा के साथ 15-15 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी लगा
सीवान : दरौली थाना क्षेत्र के भिटौली के बहुचर्चित सुग्रीव हत्याकांड में मंगलवार को तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश ने सात आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश सुभाष चंद्र के कोर्ट ने आजीवन कारावास के साथ ही 15-15 हजार रुपये के अर्थ दंड की सजा भी सुनायी है.कोर्ट का यह फैसला तीन साल नौ माह के अंदर आया है.
न्यायाधीश ने अर्थदंड की रकम मृतक सुग्रीव भगत की पत्नी वसंती कुंअर को देने का आदेश दिया है. भटौली गांव के सुग्रीव भगत व उसके भाई बलिराम भगत को गांव के ही मुनी राम, गुलाब राम, केशव राम, तूफानी राम, विनोद राम, कमलेश राम, राजेश राम, धर्मेद्र राम , मुस्तफा व शफरुदीन ने लाठी डंडा व फरसा से पीट कर घायल कर दिया था. तीन अगस्त, 2011 की घटना में कांड संख्या 89/11 में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.
इस घटना में सुग्रीव की पुत्री गुड़िया कुमारी भी घायल हुई थी. तीनों घायलों को इलाज के लिए सदर अस्पताल में भरती कराया गया, जहां इलाज के दौरान सुग्रीव की मौत हो गयी. तृतीय अपर न्यायाधीश सुभाष चंद्र ने लोक अभियोजक हरेंद्र सिंह व बचाव पक्ष के अधिवक्ता मनान अहमद की बहस सुनने के बाद भादवि की धारा 302 में आजीवन कारावास की सजा व प्रत्येक पर 10 हजार रुपये के आर्थिक दंड की सजा सुनायी. साथ ही अर्थदंड नहीं देने पर छह माह की सजा का आदेश दिया गया है.भादवि की धारा 307 में सात वर्ष की सजा व पांच-पांच हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनायी है.
अर्थदंड नहीं देने पर अतिरिक्त तीन माह के कारावास का सजा भुगतनी होगी. साथ ही दफा 147 में छह माह व 504, 323 में तीन-तीन माह की सजा सुनायी गयी. ये सभी सजाएं एक साथ चलेंगी. इस मामले में नामजद अभियुक्त धर्मेद्र राम का मामला किशोर न्यायालय, मुस्तफा व सफरुद्दीन का द्वितीय अपर न्यायाधीश के न्यायालय में चल रहा है.
मृतक की बेवा ने निर्णय पर जताया संतोष
दरौली : भिटौली में फसल चराने को लेकर हुए विवाद में लाठियों से पीट कर सुग्रीव भगत को गांव के कुछ लोगों ने घायल कर दिया था. यह घटना उस समय हुई जब गांव के मुनी राम का बछड़ा के फसल चर जाने की शिकायत लेकर सुग्रीव भगत व उसके भाई बलिराम भगत पहुंचे थे.
मामूली बात को लेकर दोनों पक्षों में गाली-गलौज हुई. दूसरे दिन तीन अगस्त, 2011 को सुबह आठ बजे सूचक बलिराम भगत व उसका भाई सुग्रीव भगत अपने खेत में काम कर रहे थे.
उसी समय आरोपितों ने एकजुट होकर हमला बोल दिया, जिसमें गंभीर रूप से घायल सुग्रीव की मौत हो गयी. तीन साल नौ माह के बाद आये इस फैसले पर सुग्रीव की पत्नी वसंती कुंअर ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि न्याय के लिए हम लोगों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.आखिर दरिंदों को सजा मिली.
मृतक के भाई बलिराम भगत ने कहा कि न्यायपालिका पर हमें पूरा भरोसा था. विश्वास की जीत मिली है. प्रभात खबर से बातचीत में बलिराम ने अपने भाई को खोने का गम रोते हुए बयां किया.उसने कहा कि हत्यारों को उनके किये की सजा मिल गयी.

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