सीवान : चार वर्ष पूर्व इराक में आईएसआईएस के जुल्म का शिकार हुए 39 भारतीयों में से छह बिहारी थे. जिनमें सभी छह की पहचान सीवान जिला निवासी के रूप में हुई है. एक युवक जिसके गांव व परिजनों की जानकारी नहीं हो सकी थी. इस खबर को प्रभात खबर में बुधवार की अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था. इस खबर को पढ़कर राजू यादव के परिजन गुरुवार को प्रभात कार्यालय पहुंच पूरी जानकारी ली. मालूम हो कि ये सभी 2011 में कमाने इराक गये थे.
परिजनों के अनुसार 12 जुलाई 2014 को इन लोगों से अंतिम बार बात हुई थी और आईएसआईएस के चंगुल में फंसने की बात कही थी. इसके बाद परिजनों से उनका संपर्क नहीं हो सका था. अक्तूबर 2017 में भारत से गये 40 लोगों की खोज शुरू हुई थी. जिसके बाद इन सबकी पहचान हो सकी है.
पिता की मौत व मां के गायब होने के बाद बुआ ने किया लालन-पालन
राजू यादव मूलत: मैरवा थाना क्षेत्र के तितरा गांव निवासी बताया जाता है. मालूम हो कि राजू के पिता कृष्णा यादव की मौत जब वह छोटा था तभी हो गयी. पिता की मौत उसकी मां रामावती देवी की स्थिति पागलो जैसी हो गयी. वह एक दिन वह अचानक कही गायब हो गयी. उसकी काफी खोजबीन की गयी, परंतु उसका कही अता-पता नहीं चला. यह देख जबीनगर थाना क्षेत्र के फलपुरा गांव निवासी उसकी बुआ सिंगारी देवी पति राम आशीष यादव अपने साथ लेकर चली गयी. उन्होंने राजू व उसके छोटे भाई नीरज का पालन-पोषण किया. दोनों भाई बुआ के साथ ही रहते थे. इसी बीच राजू कमाने के लिए इराक चला गया.
बुआ व चचेरे भाई का सैंपल मैच नहीं खाने के बाद भाई का भेजा गया सैंपल : मालूम हो कि राजू यादव के आइएसआईएस के चंगुल चढ़ने से पूर्व 14 जून 2014 को फोन आया था परंतु बात नहीं हुई. उसने इस तिथि को रात साढ़े आठ बजे अपने बुआ के लड़के योगेंद्र यादव को फोन किया, परंतु फोन नहीं उठा.
इसके बाद उसकी पत्नी के नंबर पर फोन कर उसके बारे में पूछा. इसके बाद उससे एक बार भी बात नहीं हुई. तत्कालीन डीएम की पहल पहल पर 15 दिसंबर 17 को सीओ के माध्यम से पहली बार बुआ सिंगारी देवी, रामावती देवी व चचेरा भाई चंदन कुमार का सैंपल जांच के लिए भेजा गया. परंतु इन तीनों का सैंपल राजू के डीएन से मैच नहीं खाया. इसके बाद फिर मिनिस्ट्री राजू के भाई का सैंपल मंगवाया. इसके बुआ ने महाराष्ट्र रह रहे राजू के छोटे भाई नीरज कुमार को बुलाया. फिर दुबारा छह फरवरी 2018 को उसका सैंपल भेजा गया. जो 70 प्रतिशत मैच हुआ है.