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अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे सेवा बंद करने की संचालकों ने दी धमकी

दोनों जांच केंद्रों के संचालकों ने बकाये को लेकर दिया अल्टीमेटम संचालकों का विभाग पर बकाया है करीब 55 लाख सीवान : जिले के पचरूखी, दरौंदा, मैरवा, आंदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एक्स-रे सेवा बंद होने के बाद एक नवंबर से सदर अस्पताल में भी मरीजों को एक्स-रे तथा अल्ट्रासाउंड की सुविधा बंद होने की […]

दोनों जांच केंद्रों के संचालकों ने बकाये को लेकर दिया अल्टीमेटम
संचालकों का विभाग पर बकाया है करीब 55 लाख
सीवान : जिले के पचरूखी, दरौंदा, मैरवा, आंदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एक्स-रे सेवा बंद होने के बाद एक नवंबर से सदर अस्पताल में भी मरीजों को एक्स-रे तथा अल्ट्रासाउंड की सुविधा बंद होने की आशंका है.
स्वास्थ्य विभाग आईजीएमएस के फ्रेंचाइजी संचालकों को अगर 30 अक्तूबर तक उनके बकाये के करीब 54 लाख रुपये की भुगतान नहीं करता है तो एक नंवबर से मरीजों को दोनों सुविधाए नहीं मिलेंगी. 16 सितंबर को अलट्रासाउंड तथा एक्स-रे जांच करने वाले संचालकों ने सिविल सर्जन को आवेदन देकर अधिक बकाया होने के कारण एक अक्टूबर से जांच सेवा बंद करने की सूचना दी थी, लेकिन सिविल सर्जन द्वारा इसी माह बकाये के भुगतान का आश्वासन दिये जाने के बाद 30 अक्तूबर तक सेवा देने को दोनों संचालक राजी हो गये.
दोनों जांच करनेवाले संचालकों के बिल का भुगतान रोगी कल्याण समिति के फंड से किया जाता है. एक अप्रैल, 2016 के बाद से एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड की जांच का भुगतान नहीं होने से करीब 18 लाख एक्स-रे तथा करीब 36 लाख अल्ट्रासाउंड का बकाया है.
जांच सेवा बंद होने पर मरीजों को होगी परेशानी : सदर अस्पताल में प्रतिदिन करीब 65 अल्ट्रासाउंड तथा करीब 32 से अधिक मरीजों का एक्स-रे किया जाता है.
सदर अस्पताल में होनेवाले अल्ट्रासाउंड में करीब 90 प्रतिशत जांच प्रसूताओं की होती है. ग्रामीण क्षेत्रों की गरीब महिलाएं सदर अस्पताल में आकर अल्ट्रासाउंड करवाती हैं. वहीं जिले के सभी थानों के मेडिकोलीगल केस भी सदर अस्पताल में ही आते हैं.
घायलों का अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे सदर अस्पताल में किये जाते हैं. दोनों जांच केंद्रों के बंद हो जाने के बाद प्रसूताओं के साथ-साथ मेडिकोलीगल के मरीजों को अधिक परेशानी होगी. सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने आनेवाली महिलाओं को अस्पताल द्वारा नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध करानी है. जांच केंद्रों के बंद हो जाने पर गरीब महिलाओं को पैसे खर्च कर अल्ट्रासाउंड कराने पड़ेंगे.
10 लाख से अधिक का हुआ कर्ज
सदर अस्पताल के अल्ट्रासाउंड का संचालक जितेंद्र पांडेय पर करीब 10 लाख से अधिक का कर्ज हो चुका है. उसने अपने बीबी के आभूषण को गिरवी रखकर जांच के खर्च में लगा दिया है. उसने बताया कि बकाये कर्ज की वसूली के तगादे से वह काफी मानसिक रूप से परेशान है.
उसने बताया कि हाथ टूट गया है. दवा खरीदने के पैसे नहीं होने के कारण अस्पताल की दवा लेकर खा रहा है. उसने बताया कि कर्मचारियों को पैसा नहीं दे पा रहा है. यही हाल एक्स-रे संचालक प्रताप कुमार सिंह का है. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन एक पैकेट प्लेट खरीदना पड़ता है. करीब 18 लाख बकाया हो जाने के कारण अब जांच करना मुश्किल हो गया है.

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