सीवान : नगर के नया बाजार निवासी व्यवसायी पुत्र विष्णु राज उर्फ राहुल अपहरण व हत्या मामले में पुलिस रिमांड पर लिये गये लालबाबू और मिठ्ठू ने हत्या में अपनी संलिप्तता स्वीकार करते हुए पुलिस को बयान दिया है, जिससे नये खुलासे हुए हैं और यह मामला अब पूरी तरह साफ हो गया है कि किस प्रकार राहुल का अपहरण व हत्या की घटना को अंजाम दिया.
इस मामले में 14 आरोपित जेल में हैं. मास्टरमाइंड आजाद पुलिस की पकड़ से दूर है. इन दोनों से पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ कि राहुल के अपहरण से हत्या तक के वारदात में एक दाढ़ी वाला शख्स भी शामिल था, जो आजाद मियां का मित्र है. आजाद की गिरफ्तारी से ही उसकी पहचान हो सकेगी.
7:15 में हुआ था राहुल का अपहरण : राहुल का अपहरण हाॅस्पिटल मोड़ के भरत प्रसाद की चाय दुकान से संध्या 7:15 में हुआ था. मिठ्ठू के खुलासे के अनुसार, मिठ्ठू, दीपू, आजाद व उसका एक दाढ़ी वाला मित्र तय प्लान के अनुसार पांच बजे शाम को ही भरत की चाय दुकान पर बोलेरो लेकर पहुंच चुके थे. राहुल के ट्यूशन मास्टर संदीप ने वहीं इंतजार करने को कहा था. छह से सात बजे तक ट्यूशन पढ़ाने के बाद दुकान पर जाने के नाम पर राहुल टीचर संदीप के साथ घर से निकलता है.
वहां से भरत के चाय दुकान पर पहुंचने के बाद संदीप खड़ी बोलेरो पर राहुल को बैठ जाने का इशारा करते हुए कहता है कि ये लोग दरबार के सामने तुमको छोड़ देंगे और तुम अपनी दुकान पर चले जाना. फिर ड्राइविंग सीट पर बैठा आजाद गाड़ी स्टार्ट करता है. उसके बगल वाली सीट पर दीपू व पिछली सीट पर मिट्ठू, भरत व दाढ़ी वाले अपराधी के साथ राहुल बैठ जाता है. फिर ये चारों राहुल को लेकर वहां से लापता हो जाते हैं. भरत राहुल को ठिकाने पर पहुंचा कर अगले दिन वापस लौट आता है.
भरत व मास्टर ने बनायी पहली योजना : अपने टीचर संदीप के साथ राहुल काफी घुल-मिल गया था. ट्यूशन पढ़ने के बाद वह अपने टीचर की दुकान पर शतरंज भी खेलता था. संदीप के जेनरल स्टोर दुकान के बगल में भरत का चाय, लिट्टी की दुकान है. बच्चे से भरत भी बातचीत में परिवार की स्थिति के बारे में जानकारी लेता है. फिर उसका शातिर दिमाग जागता है कि इस सॉफ्ट टारगेट को डील किया जाये.
इसके अपहरण से बड़ी राशि मिल जायेगी. भरत इस खेल में अपने मित्र आजाद को शामिल करता है. वह कई बार भरत की दुकान पर पहुंचता है फिर भरत, मास्टर संदीप व आजाद मिलकर योजना बना लेते हैं. फिर उसमें दीपू को शामिल किया जाता है. अपहरण के बाद राहुल को सुरक्षित रखने के चलते यह कारवां बढ़ता जाता है और उसमें नये-नये किरदार जुड़ जाते हैं.
राहुल को लेकर पहुंचता है धनंजय के खटाल पर : नौ अगस्त को अपहरण कर राहुल को रात नौ बजे अपराधी जिगना निवासी धनंजय के घर पहुंचते हैं, लेकिन धनंजय अपने खटाल पर रखने से इनकार करते हुए कहता है कि यहां काफी लोग आते-जाते हैं, मैं यहां नहीं रखूंगा. फिर दीपू उसे प्रलोभन देता है कि एक रात रख लो, तुम्हारा जो सात लाख का कर्ज है, वह समाप्त हो जायेगा. फिर धनंजय उर्फ भज्जू अपने मित्र राजकिशोर सिंह उर्फ सिंघानिया से बात करता है.
ये लोग मिलकर एक रात राहुल को रखने के एवज में पांच लाख देने की बात करते हैं. फिर मिठ्ठू और लालबाबू राहुल के साथ राजकिशोर के घर पर रात में रह जाते हैं. सुबह आजाद, दीपू, आजाद का दाढ़ी वाला मित्र राजकिशोर के घर पहुंच कर उसे आठ बजे सुबह में लेकर रवाना हो जाते हैं. आजाद के घर पर उसे पहुंचाया जाता है. वहीं, से मिठ्ठू राहुल के घर फोन कर 30 लाख की फिरौती मांगता है. फिर वहां से खाना खाकर भरत सीवान चल देता है.
ये सभी उसे लेकर गोपालगंज के नगर थाने स्थित आजाद के ससुराल डुमरिया पहुंच जाते हैं.
राहुल के टीचर संदीप ने फोन कर कहा, मार दो
आजाद की गिरफ्तारी के बाद ही हो सकेगी दाढ़ी वाले शख्स की पहचान
अपहरण से लेकर हत्याकांड तक आजाद के साथ मौजूद था
आजाद की तलाश में पुलिस कर रही छापेमारी
10 अगस्त की शाम आजाद, दीपू, लालबाबू, मिठ्ठू व आजाद का गुमनाम दाढ़ी वाल साथी आजाद की ससुराल से राहुल को लेकर निकलते हैं. ये सभी गोपालगंज शहर के ही कोन्हवा मोड़ पर चाय पी रहे होते हैं, तभी आजाद के मोबाइल की घंटी बजती है. फोन करने वाला सीवान से संदीप है. राहुल का ट्यूशन टीचर संदीप कहता है कि राहुल के परिवार वाले पैसा देने के मूड में नहीं हैं. साथ ही पुलिस भी काफी एक्टिव है. राहुल ने हम सभी को पहचान भी लिया है. अब उसे टपकाने के सिवा दूसरा कोई चारा नहीं है.
उसे मारकर ठिकाने लगा दो. फिर ये सभी राहुल को अपने साथ लेकर लालबाबू के घर पहुंचते हैं, जहां उसके बथान पर दो बजे रात को आजाद, दीपू व लालबाबू रस्सी से गला घोंट कर राहुल की जान ले लेते हैं. फिर पांच बजे के करीब दीपू एक पिकअप की व्यवस्था करता है, जहां से ये सभी राहुल का शव लेकर अमलोरी पहुंचते हैं और वहां सड़क के किनारे शव का फेंक कर फरार हो जाते हैं. इस अपहरण व हत्याकांड में दीपू सिंह की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है और उसने ही इसमें लगने वाली गाड़ी व खर्च की व्यवस्था की है.
क्या कहते हैं एएसपी
राहुल अपहरण व हत्याकांड का खुलासा हो गया है. सभी अपराधियों ने अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है. मिठ्ठू व लालबाबू के बयान से मामला और स्पष्ट हो गया है. आजाद मियां की गिरफ्तारी में पुलिस जुटी है. आजाद की गिरफ्तारी के बाद से उसके दाढ़ी वाले गुमनाम साथी की पहचान हो सकेगी.
कार्तिकेश शर्मा, सहायक पुलिस अधीक्षक