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फार्मासिस्ट समेत पांच को पांच-पांच साल की कैद

फैसला. दहेज प्रताड़ना के मामले में सीजेएम ने सुनायी सजा डुमरा कोर्ट : दहेज के लिए पत्नी को मारपीट कर घर से भगाने व दूसरी शादी रचाने के मामले में सीजेएम राम बिहारी ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पांच आरोपियों को पांच-पांच साल की सजा सुनायी है. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सीजेएम […]

फैसला. दहेज प्रताड़ना के मामले में सीजेएम ने सुनायी सजा
डुमरा कोर्ट : दहेज के लिए पत्नी को मारपीट कर घर से भगाने व दूसरी शादी रचाने के मामले में सीजेएम राम बिहारी ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पांच आरोपियों को पांच-पांच साल की सजा सुनायी है.
दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सीजेएम ने नगर थाना के भवदेपुर चमरा गोदाम निवासी पति श्याम चंद्र गोयल, उसके पिता नशा मुक्ति केंद्र सदर अस्पताल में फार्मासिस्ट के पद पर तैनात बाबूनंदन प्रसाद, मां काशी देवी, बहनोई सह शिक्षक उमेश कुमार आलोक व बहन सह शिक्षिका प्रतिमा कुमारी को पांच-पांच साल की सजा सुनायी है.
वहीं प्रति आरोपी एक लाख सात हजार दो सौ रुपये अर्थदंड समेत कुल पांच लाख छत्तीस हजार रुपये अर्थदंड की भी सजा सुनायी है. अर्थदंड की राशि अदा नहीं करने पर पर कारावास की अवधि छह माह बढ़ जायेगी. सीजेएम ने आरोपियों को 3/4 डीपी एक्ट के धारा 3 व 498 ए के तहत तीन अलग-अलग धाराओं में सजा सुनायी है. डीपी एक्ट 3/4 के धारा 3 के तहत आरोपियों को पांच-पांच साल की सजा व एक लाख दो हजार दो सौ का आर्थिक दंड लगाया गया है.
जबकि धारा 4 के तहत एक वर्ष की सजा व पांच-पांच हजार जुर्माना लगाया है. वहीं 498 ए के तहत आरोपियों को दो-दो साल की सजा सुनायी है. तीनों सजाएं साथ-साथ चलेगी. उल्लेखनीय हैं की डीपी एक्ट की धारा 3 के तहत सूबे में शायद पहली बार आरोपियों को पांच साल की सजा सुनायी गयी है.
दहेज प्रताड़ना के इस मामले की सुनवाई के दौरान सीजेएम कार्यालय कक्ष व आसपास का इलाका लोगों की भीड़ से खचाखच भरा रहा. वहीं कोर्ट से फैसला आने के बाद वादिनी गार्गी कुमारी ने कहा कि उसे इंसाफ मिल गया है. बताते चले की बैरगनिया थाना के घीपट्टी निवासी गिरधारी प्रसाद की पुत्री गार्गी कुमारी ने आठ जुलाई 2010 को बैरगनिया थाने में दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था.
जिसमें नगर थाना के भवदेपुर चमरा गोदाम निवासी पति श्याम चंद्र गोयल, उसके पिता नशा मुक्ति केंद्र सदर अस्पताल में फार्मासिस्ट के पद पर तैनात बाबूनंदन प्रसाद, मां काशी देवी बहनोई सह शिक्षक उमेश कुमार आलोक व बहन सह शिक्षिका प्रतिमा कुमारी को आरोपित किया था.
दर्ज प्राथमिकी में बताया था की उसके पिता से ससुराल वालों ने बतौर उपहार पांच लाख एक हजार 100 रुपये एकाउंट के माध्यम से लिये थे. गार्गी की शादी बाबूनंदन प्रसाद के पुत्र श्यामचंद्र गोयल के साथ हुई थी. शादी के बाद ससुराल वाले बतौर दहेज तीन लाख रुपये की मांग करने लगे. इनकार करने पर पति समेत आरोपियों ने उसे प्रताड़ित करना शुरू किया. वहीं मारपीट कर घर से भगा दिया. इतना हीं नहीं पति ने दूसरी शादी रचा ली. इसके बाद उसने बैरगनिया थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. मामले की सुनवाई करते हुए एसडीजेएम सदर विक्रम कुमार ने फैसले के लिए 17 अप्रैल की तिथि मुकर्रर की थी.
साथ ही आरोपी समेत वादी को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया था. लेकिन उक्त तिथि पर पांचों आरोपी कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सके. लिहाजा एसडीजेएम ने पांचों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. इसके आलोक में तीन मई को पांचों आरोपियों ने कोर्ट में आत्म समर्पण कर दिया था. जहां से कोर्ट ने पांचों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
आठ मई को मामले की सुनवाई करते हुए एसडीजेएम सदर विक्रम कुमार ने पांचों को दोषी करार दिया था. एसडीजेएम ने अपने आदेश में कहा है कि डीपी एक्ट में पांच साल के सजा का प्रावधान है. लेकिन उन्हें तीन साल तक की हीं सजा देने का अधिकार है. लिहाजा उन्होंने इसे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला बताते हुए सीजेएम कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया था. मंगलवार को सीजेएम ने मामले की सुनवाई करते हुए पांचों को सजा सुनायी है.

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