सीतामढ़ी : अपनी दिलकश अंदाज में अवधि, बुंदेली व भोजपुरी गीतों के जरिये अंतर राष्ट्रीय स्तर पर छा जाने वाली प्रख्यात गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी दोबारा सीतामढ़ी आने के वायदों के साथ रविवार को रवाना हो गयी.
दो दिवसीय सीतामढ़ी महोत्सव में भाग लेने शनिवार को पहुंची मालिनी सीतामढ़ी आकर व पुनौरा धाम में माता जानकी का दर्शन कर अभिभूत दिखी. उन्होंने सीतामढ़ी पहुंचने पर खुद को गौरवान्वित बताया. प्रभात खबर के साथ खास बातचीत में मालिनी ने कहा कि वह भले सीतामढ़ी पहली बार आयी है, लेकिन माता जानकी व सीतामढ़ी से उनका भावनात्मक लगाव रहा है. उन्होंने कहा कि उनके अधिकांश गीत माता जानकी पर आधारित है.
उन्होंने कहा कि इस देश में राम का बड़ा नाम है. लेकिन माता सीता के बगैर राम अधूरे है. कहा कि इस स्थली को वह प्रसिद्धि नहीं मिली है जितनी राम जन्मभूमि अयोध्या को. उन्होंने सरकार से माता जानकी की जन्मस्थली के विकास की मांग की. कहा कि इतने महत्वपूर्ण स्थल का जितना विकास हुआ था, वह नहीं हो सका है. कहा कि जब भी मौका मिलेगा, वह सीतामढ़ी जरूर आयेंगी. ठुमरी व कजरी में महारत हासिल करने वाली मालिनी ने कहा कि वर्तमान दौर में लोकगीत के वजूद पर खतरा उत्पन्न हो गया है.
ऐसे में इसे बचाने की जरूरत है. साथ हीं कहा कि अब समय आ गया है कि युवा पीढ़ी लोकगीतों की परंपरा को बचाने की कमान थामे. बताते चले की मालिनी अवस्थी यूपी के कन्नौज में पैदा हुई थी. उन्होंने भातखंडे संगीत संस्थान लखनऊ से शिक्षा प्राप्त की. वह बनारस की पौराणिक हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी जी की भी शिष्य हैं. उसकी शादी वरिष्ठ आइएएस अधिकारी अविनीश अवस्थी से हुई है. वह एक विशुद्ध भारतीय लोक गायक है.
वह अवधी, बुंदेली व भोजपुरी में गाती है. ठुमरी और कजरी में उन्हें महारत हासिल है. वह विश्व के कई देशों में स्टेज शो कर चूकी है. इसके अलावा कई टीवी चैनलों पर भी कार्यक्रम प्रस्तुत करती है. भारत सरकार ने वर्ष 2016 में उन्हें प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया था. जय हो छठ मैया, भोले शिव शंकर, बम बम बोले, एजेंट विनोद, दम लगा के हईशा आदि गीत के अलावा फिल्म चारफुटिया छोकरे उनकी महत्वपूर्ण कृतियां है.