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वार्ड 11 से 170 व दो से आये 130 आवेदन

सीतामढ़ी : नगर पंचायत, डुमरा क्षेत्र में कर निर्धारण के लिए नंप कार्यालय में आवेदन लिया जा रहा है. बताया गया कि वार्ड 11 से 170 व वार्ड दो से 130 आवेदन प्राप्त हुए हैं. नपं के कार्यपालक पदाधिकारी अजय कुमार ने बताया कि मकान मालिकों की सूचना पर सर्वे के लिए नपं से प्रतिनियुक्त […]

सीतामढ़ी : नगर पंचायत, डुमरा क्षेत्र में कर निर्धारण के लिए नंप कार्यालय में आवेदन लिया जा रहा है. बताया गया कि वार्ड 11 से 170 व वार्ड दो से 130 आवेदन प्राप्त हुए हैं. नपं के कार्यपालक पदाधिकारी अजय कुमार ने बताया कि मकान मालिकों की सूचना पर सर्वे के लिए नपं से प्रतिनियुक्त तीनों कर्मी मकानों की मापी व फाॅर्म भरवाने में मदद कर रहे हैं. बताया कि मकान मापी के बाद मकान मालिकों से शुल्क वसूल किया जायेगा. शुल्क प्रति स्क्वायर फुट लगेगा.

पथों की श्रेणी मकान की बनावट पूर्णत: वाणिज्यिक या औद्योगिक अर्धवाणिज्यिक या औद्योगिक पूर्णत: आवासीय
1. प्रधान पथ छत वाला मकान 36.00 रुपया 23.00 9.00
2. प्रधान पथ एस्बेस्टस का मकान 24.00 16.00 7.00
3. प्रधान पथ अन्य तरह का मकान 12.00 8.00 3.00
4. मुख्य पथ छत वाला मकान 24.00 16.00 9.00
5. मुख्य पथ एस्बेस्टस का मकान 16.00 11.00 7.00
6. मुख्य पथ अन्य तरह का मकान 8.00 6.00 3.00
7. अन्य पथ छत वाला मकान 12.00 10.00 9.00
8. अन्य पथ एस्बेस्टस का मकान 9.00 8.00 7.00
9. अन्य पथ अन्य तरह का मकान 6.00 4.00 3.00
67 डॉक्टरों के भरोसे 38 लाख की आबादी
जिले में चिकित्सकों का टोटा, मरीज परेशान
दशकों पूर्व सृजित चिकित्सकों के कुल 267 पद के विरुद्ध महज 67 की तैनाती
53 स्थायी व 14 संविदा आधारित समेत कुल 67 चिकित्सकों के सहारे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था
जिले में महज पांच महिला चिकित्सक की तैनात
काम के लगातार बढ़ रहे बोझ से अस्पतालों की नौकरी छोड़ रहे चिकित्सक
सदर अस्पताल में चिकित्सक व कर्मियों की कमी बनी बड़ी परेशानी
चतुर्थवर्गीय कर्मियों के जिम्मे इमरजेंसी सेवा
सदर अस्पताल में न केवल चिकित्सक बल्कि कर्मियों की भी कमी है. कर्मियों की कमी से स्वास्थ्य सेवा प्रभावित हो रहीं है. हालत यह है कि सदर अस्पताल की इमरजेंसी सेवा चतुर्थवर्गीय कर्मियों के
सहारे चल रहीं है. सदर अस्पताल में चतुर्थवर्गीय कर्मी के रुप में कार्यरत मो इदरिश, मो एनामुल, किशोरी राउत,
आलोक कुमार, प्रेम कुमार शर्मा, अनिल कुमार सिंह से इमरजेंसी में सेवा ली जा रहीं है. इनमें अनिल कुमार सिंह एएनएम स्कूल के नाइट गार्ड के पद पर तैनात है, लेकिन उन्हें इमरजेंसी ड्यूटी में लगाया गया है.
काम के लगातार बढ़ते बोझ, वेतन में असमानता व ड्यूटी में वरीयता का ख्याल नहीं रखने के कारण जिले के चिकित्सकों का सरकारी नौकरी से मोहभंग हो रहा है. हालत यह है कि नये चिकित्सक सरकारी नौकरी करना नहीं चाह रहे है, और पुराने चिकित्सक नौकरी छोड़ रहे है. पिछले बीस महीने के भीतर सदर अस्पताल के आठ चिकित्सकों ने नौकरी छोड़ दी है
और चार चिकित्सकों ने स्वैच्छिक सेवा निवृति के लिए सरकार को पत्र भेज दिया है. सदर अस्पताल में तैनात नियमित चिकित्सक प्रख्यात सर्जन डा पीपी लोहिया, हड्डी रोग विशेषज्ञ डा आलोक कुमार सिंह, फिजिशियन चिकित्सक डा एसपी पांडेय व शंभु प्रसाद ने व्यवस्था से त्रस्त आकर स्वैच्छिक सेवानिवृति ले लिया है. जबकि संविदा आधारित डा आलोक कुमार, डा कैप्टन राम प्रवेश सिंह, महिला चिकित्सक डा अमिता सिंह व डा सुषमा सिंह ने भी नौकरी छोड़ दी है. वर्तमान में चार चिकित्सकों ने वीआरएस के लिये सरकार को पत्र भेजकर स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा दिया है. डा निर्मल कुमार सिंह, डा जितेंद्र कुमार शाही, डा कैप्टन राम प्रवेश सिंह व डा सीबी प्रसाद के वीआरएस के लिए सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है.
सीतामढ़ी : जिले में चिकित्सकों की कमी के चलते गरीब मरीज राम भरोसे रह गये है. चिकित्सकों के अभाव में जहां अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था प्रभावित हो रहीं है, वहीं लोगों को स्वास्थ्य सेवा के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है. विशेषज्ञ चिकित्सक की बात तो दूर सामान्य रोगों के चिकित्सकों की कमी बड़ी परेशानी बन कर उभरी है. हालत यह है कि जिले की 38 लाख की आबादी के सेहत के देखभाल का जिम्मा महज 67 चिकित्सकों के कंधे पर है. जो सृजित पद से 200 कम है. दशकों पूर्व जिले में चिकित्सकों के कुल 267 पद सृजित किये गये थे. साल-दर-साल आबादी बढ़ती गयी, लेकिन आबादी के हिसाब से चिकित्सकों का पद नहीं बढ़ा.
उल्टे चिकित्सकों की संख्या में मी आती गयी. वर्तमान में जिले में चिकित्सक के सृजित कुल 267 पद के विरूद्ध महज 67 चिकित्सक ही तैनात है. इनमें 53 रेगुलर व 14 संविदा आधारित है. इन 67 चिकित्सकों में महिला चिकित्सक की संख्या महज पांच है. हालांकि 36 आयुष चिकित्सक की भी अलग से तैनाती की गयी है.
किसी भी प्रखंड में महिला चिकित्सक की तैनाती नहीं : जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पीएचसी पर टिकी है. पहले मरीज पीएचसी में ही पहुंचते है, बाद में सदर अस्पताल या अन्यत्र जाते है, लेकिन किसी भी पीएचसी में महिला चिकित्सक की तैनाती नहीं है. जिले के सभी 17 पीएचसी महिला चिकित्सक विहीन है.
लिहाजा महिला रोगियों की परेशानी बढ़ गयी है. सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को प्रसव के दौरान उठानी पड़ रहीं है. पीएचसी में महिला चिकित्सक के अभाव में पुरुष चिकित्सक व नर्स ही प्रसव करा रहीं है.
सदर अस्पताल की व्यवस्था चरमराई : सदर अस्पताल में चिकित्सकों के 75 पद सृजित है. लेकिन इसके विरुद्ध महज 11 चिकित्सक की ही तैनाती है. विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव है ही. चिकित्सकों के अभाव में मरीजों का इलाज सहीं तरीके से नहीं हो पा रहा है. जबक चिकित्क खुद परेशान है. एक चिकित्सक के जिम्मे कई -कई जिम्मेदारी है. जिम्मेदारी के बोझ में दबे चिकित्सक मरीजों को समय तक नहीं दे पा रहे है.

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