सीतामढ़ी : डुमरा स्थित एमपी हाइस्कूल के सभागार में लोक स्वातंत्र्य संगठन(पीयूसीएल) के 12वां राज्यस्तरीय अधिवेशन में शनिवार की रात्रि भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि उमाशंकर लोहिया ने की. मंच संचालन चर्चित हास्य व्यंग्यकार गीतकार गीतेश ने किया. कवि सम्मेलन का आगाज वाल्मीकि कुमार की रचना ‘जहर का बीज बोया तू,
लहर से तप रहा हूं मैं, तू बांटा खून का कतरा, लहू अब पी रहा हूं मैं’ से हुआ. गीतकार गीतेश की रचना ‘कौन करेगा पहल यहां, जो खिल जाये यूं ही कमल यहां, ये आदमखोर की बस्ती है, कौन सुनेगा गजल यहां’ ने महफिल को गति प्रदान की. मुरलीधर झा मधुकर की सारगर्भित रचना ‘भूख’ एवं उमाशंकर लोहिया की गजल ‘सवाल उठ रहे कई दुनिया की किताब में, छूपे हैं मसऊले कई अब तलक हिजाब में’ ने महफिल को जवां बना दिया. सत्येंद्र मिश्र की रचना ‘न हिंदू, न सिख, न मुसलमान हैं हम, हकीकत यही है कि इनसान हैं हम’, कर्मवीर पासवान की कविता ‘मेरी छत पर तिरंगा रहने दो’ एवं सुरेश लाल कर्ण की रचना ‘जहां भूख,
बदहाली का मजमा है, जहां के लोगों के हिस्से में मुट्ठी भर भी धूप नहीं’ ने एक अलग छाप छोड़ दी. पटना से आये किशोरी दास की मैथिली रचना ‘अब कहू मन केहन करैय’, नवादा से आये दिनेश कुमार अकेला की रचना ‘हम लड़ रहे हैं इसलिए कि प्यार जंग में जी सके, और आदमी का खून कोई आदमी न पी सके’ एवं बेतिया से आये जगमोहन कुमार की कविता ‘आते हो सुविचार कहीं से आने दें, मानवता को उच्च शिखर तक जाने दे, अलग-अलग हो तौर-तरीके भले यहां, सबको अपनी इच्छित मंजिल पाने दें’ ने इंद्रधनुषी छटा बिखेर दी.