सीतामढ़ी : वेतन के अभाव में समुचित इलाज नहीं होने के कारण जिला परिषद के एक और कर्मचारी की मौत हो गयी है. मृतक एता उरांव जिला परिषद में डाक बंगला के चौकीदार थे.
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खून की उल्टी के बाद हुई मौत
सीतामढ़ी : वेतन के अभाव में समुचित इलाज नहीं होने के कारण जिला परिषद के एक और कर्मचारी की मौत हो गयी है. मृतक एता उरांव जिला परिषद में डाक बंगला के चौकीदार थे. एता उरांव की मौत 26 सितंबर को हुई. निधन से पूर्व उसे खून की उल्टी हुई थी. वह झारखंड का रहनेवाला […]
एता उरांव की मौत 26 सितंबर को हुई. निधन से पूर्व उसे खून की उल्टी हुई थी. वह झारखंड का रहनेवाला था. उसकी तैनाती 1991 में हुई थी. उसका 85 माह का वेतन भुगतान लंबित है. कई वर्षों से वह बीमार था. पैसे के अभाव में सही तरीके से इलाज नहीं हो पा रहा था. दो वर्ष पूर्व उसे पैरालायसिस अटैक किया था. तब से वह बीमार रहता था. निधन के दिन ही उसका पुत्र उसे अपने पैतृक गांव ले गया, लेकिन इस मौत को जिला परिषद कर्मी भूल नहीं पा रहे हैं. उनके चेहरे पर उदासी व चिंता स्पष्ट देखी जा सकती है.
निर्णय की होती है खानापूर्ति : उन्होंने बताया कि हड़ताल करने पर बैठक कर भुगतान का निर्णय होता है, पर दो-चार माह का वेतन देकर खानापूर्ति कर दी जाती है. छह अगस्त को जिला परिषद की बैठक में निर्णय हुआ था कि 13वें वित्त के सूद के करीब 97 लाख की राशि से कर्मियों का भुगतान कर दिया जाये, पर अब तक फाइलें कार्यालयों का चक्कर काट रही हैं. जिप के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सह डीडीसी ए रहमान ने बताया कि वे बाहर हैं, आने के बाद सही जानकारी दे पायेंगे.
भुगतान का हुआ निर्णय: जिप अध्यक्ष उमा देवी ने बताया कि सही है कि जिप कर्मियों का वेतन भुगतान वर्षों से लंबित है. वे इसी वर्ष अध्यक्ष बनी हैं, लेकिन पिछली बैठक में सर्वसम्मति से 13वें वित्त के ब्याज की राशि से भुगतान का निर्णय हुआ था. फाइल डीडीसी के यहां पड़ी हुई है. प्रयास है कि जल्द ही कर्मियों का भुगतान कराया जाये.
10 अन्य कर्मियों की अबतक हो चुकी है मौत
इससे पहले 10 अन्य कर्मियों की मौत बीमारी के कारण हो चुकी है. यह कर्मी भी अपना समुचित इलाज नहीं करा सके थे. उनका भी वेतन लंबे समय से लंबित था. सूबे का यह एकमात्र विभाग है, जहां कर्मियों का 80 से 85 माह तक का वेतन लंबित रहता है. एता उरांव की तरह जिला परिषद के और भी कई कर्मी हैं, जिनके सामने कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो गयी हैं.
जिला परिषद कर्मी संघ के मंत्री देवनाथ सिंह व अध्यक्ष विपिन सिंह ने बताया कि सरकार की दोषपूर्ण नीति व अधिकारियों की लापरवाही के चलते वेतन व इलाज के अभाव में 11 कर्मियों की मौत हो चुकी है. किसी कर्मी या अधिकारी का दो-चार माह का वेतन बंद हो जाता है, तो भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. जिप कर्मियों का 30 से 85 माह तक का वेतन बकाया है.
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