संपत्ति के लिए ली जान
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भाई ही निकला रजवाड़ा के मुनमुन सिंह का हत्यारा
संपत्ति के लिए ली जान सीआइडी की जांच रिपोर्ट में खुलासा 2009 में हुई थी संजीव कुमार सिंह उर्फ मुनमुन की हत्या पुलिस ने बरामद किया था शव तत्कालीन एसपी व डीएसपी की पर्यवेक्षण रिपोर्ट पर सवाल सीतामढ़ी : बेला थाना क्षेत्र के चांदी रजवाड़ा गांव निवासी संजीव कुमार सिंह उर्फ मुनमुन सिंह हत्या कांड […]
सीआइडी की जांच रिपोर्ट में खुलासा
2009 में हुई थी संजीव कुमार सिंह उर्फ मुनमुन की हत्या
पुलिस ने बरामद किया था शव
तत्कालीन एसपी व डीएसपी की पर्यवेक्षण रिपोर्ट पर सवाल
सीतामढ़ी : बेला थाना क्षेत्र के चांदी रजवाड़ा गांव निवासी संजीव कुमार सिंह उर्फ मुनमुन सिंह हत्या कांड में नया मोड़ आया है. वर्ष 2009 में हुई उक्त हत्या मामले में सीआइडी जांच रिपोर्ट आने के बाद बंद पड़े केस के फिर से खुलने व मामले की जांच शुरू किये जाने से एक ओर हत्याकांड में नामजद पांच बेकसूर लोगों को इंसाफ मिलने की उम्मीद बढ़ है. वहीं, तत्कालीन एसपी व सदर डीएसपी की पर्यवेक्षण रिपोर्ट भी सवालों के घेरे में आ गयी है.
सीआइडी जांच रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि मामले के सूचक व मृतक के भाई अमरनाथ सिंह ने संपत्ति की लालच में अपने भाई की हत्या की है. नगर थाने की पुलिस ने 16 दिसंबर 2009 को अमघटा गांव में वशिष्ठ पासवान के खलिहान से मुनमुन सिंह का शव बरामद किया था. तब मृतक के भाई अमरनाथ सिंह ने गांव के हीं पांच लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया था. जिसमें बताया गया कि उसका भाई नशेड़ी था. गांव के नरेश ठाकुर बिना उसके जानकारी के जमीन रजिस्ट्री कराने के लिए निबंधन कार्यालय ले गया था. जानकारी मिलने पर वह वहां पहुंच कर रजिस्ट्री रुकवा दिया. खास है कि मामले का अनुसंधान इतनी तेजी से की गयी कि आठ दिन में ही तत्कालीन सदर डीएसपी द्वारा अपने पर्यवेक्षण टिप्पणी में घटना को सत्य करार दे दिया और कार्रवाई शुरू कर दी गयी.
न्याय के लिए भटकता रहा नरेश
मुख्य अभियुक्त नरेश ठाकुर पुलिस गिरफ्त में नहीं आया. उसने अपनी बेकसूरी साबित करने की ठानी और कानून के जानकारों से भूमिगत होकर मदद मांगता रहा.
हर जगह मायूसी हाथ लग रही थी, तभी समाजसेवा में लगे उमेश कुमार के संपर्क मे आया. उसने उमेश को अपनी पीड़ा सुनाई और न्याय दिलाने के लिए मदद मांगा. उमेश तत्कालीन डीजीपी अभयानंद के पास पहुंच कर मामले की निष्पक्ष जांच कराने का निवेदन किया.
नगर थानाध्यक्ष ने शुरू की जांच
सीआइडी जांच में केस के अनुसंधानकर्ता की जांच रिपोर्ट पर सवाल खड़ा करते हुए वर्तमान एसपी हरि प्रसाथ एस को उक्त कांड की जांच फिर से कराने के लिए पत्र भेजा है. सीआईडी रिपोर्ट के आलोक में एसपी ने नगर थानाध्यक्ष को मामले की पुन: जांच शुरू करने का आदेश दिया है. सीआईडी जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए एसपी ने नगर थानाध्यक्ष को जो पत्र भेजा है, उसके मुताबिक संपत्ति की लालच में आकर मृतक मुनमुन सिंह का भाई व सूचक अमरनाथ सिंह ने ही अपने भाई की हत्या करवायी थी और बड़े ही नाटकीय ढ़ंग से जमीन खरीददार व गवाहों को मामले का अभियुक्त बना दिया.
मुनमुन की पत्नी को जान का खतरा
इधर मृतक की विधवा प्रियंका सिंह ने भी एसपी व लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को आवेदन देकर भैंसुर अमरनाथ सिंह से जान माल का खतरा बताते हुए सुरक्षा की गुहार लगायी है. विधवा ने एसपी से कहा है कि उसके पति शराबी थे. उनके पति की वर्ष 2009 में हत्या कर दी गयी. उसके दो नाबालिग पुत्र है, जो पढ़ने लायक है. पति के हत्या के बाद भैंसुर द्वारा उसके साथ मारपीट कर घर से भगा दिया गया. फिलहाल वह अपने माता-पिता के घर नेपाल के जलेश्वर में जैसे-तैसे जीवन गुजार रही है. आर्थिक परेशानी के कारण भैंसुर अमरनाथ सिंह से हिस्सा मांगने पर जान हिस्सा देने से इनकार करते हुए जान से मारने की धमकी दी जाती है.
मानवाधिकार आयोग ने िलया संज्ञान में
डीजीपी के माध्यम से तत्कालीन एसपी को मामले का ठीक से जांच करने का निर्देश मिला, लेकिन आरोपितों को कोई मदद नहीं मिली. जांच के बजाय उल्टे अभियुक्तों पर कार्रवाई शुरू हो जाती थी. आखिरकार केस बंद कर दिया गया. उमेश फिर भी हार नहीं माना और संघर्ष जारी रखा. मामला बिहार मानवाधिकार आयोग के पास गया. मानवाधिकार आयोग ने मामले को गंभीरता से लिया और आयोग के प्रयास से मामले की जांच सीआईडी को दे दिया गया.
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