नगर का वार्ड नंबर-5 शहर के सबसे पुरानी बस्तियों में से एक है. कम क्षेत्रफल में अधिक आबादी बसी हुई है. वार्ड की आबादी करीब तीन हजार है. अधिकांश आबादी महादलितों व अतिपिछड़ों की है. आबादी इतनी घनी है कि वार्ड की कोई भी ऐसी गली नहीं है, जिस होकर कोई वाहन गुजर पाये. लेकिन संकीर्ण ही सही अपवाद को छोड़ अधिकांश गलिया व सड़कें पक्की है. नालियां भी है. लेकिन बिजली व्यवस्था से लोग हमेशा परेशान रहते हैं.
सीतामढ़ी : नगर का वार्ड नंबर-5 शहर के सबसे पुरानी बस्तियों में से एक है. जगत जननी जानकी मंदिर से सटे होने के कारण वार्ड का कुछ हिसा विकसित है. समय-समय पर गलियों,सड़कों व नालियों की सफाई भी होता है. लेकिन वार्ड का एक हिस्सा ऐसा है, जहां जाने के बाद आजादी से लेकर अबतक महादलितों के विकास करने की बात करने वाले राज नेताओं के जुमले की पोल खोल देता है. वार्ड का मेहतर समाज आज भी जिल्लत की जिंदगी जीने को मजबूर है
इस समुदाय से करीब दो सौ से भी अधिक वोटर है, लेकिन ज्यादातर परिवार प्लास्टिक तान कर गुजारा करने को मजबूर है. वर्तमान वार्ड पार्षद इसी समुदाय से है. पार्षद पति नगर परिषद में कार्यरत है. अधिकांश परिवार एक छोटा सा घोसलानुमा टाट-फूस का घर बना गुजारा करने को मजबूर है, इन परिवारों का छत प्लास्टिक का है. घर इतना बड़ा कि उसमें पैर फैला कर सोया भी नहीं जा सकता है. अपवाद को छोड़ ज्यादातर लोगों के पास सोने के लिए एक अदद चारपाई तक नहीं है. परिवार का अन्य व्यक्ति कहां और कैसे सोता होगा यह सोच कर हर किसी को आश्चर्य होगा.
इस मोहल्ले में किसी के पास शौचालय नहीं है. इस समाज के हर महिला व पुरुषों को शौच के लिए किसी सड़कों का सहारा लेना पड़ता है. पेय जल के लिए इस पूरी आबादी के बीच मात्र तीन चापाकल है. पानी भरने के लिए लोग कभी-कभी आपस में भिड़ जाते हैं. एक भी परिवार सरकारी नौकरी में नहीं है. अधिकांश परिवार कबाड़ी चुनकर अपना व अपने बच्चों का गुजारा करने को मजबूर है. कई परिवारों को पेट भरने के लिए भीख तक मांगना पड़ता है. ज्यादातर लोगों के पास इतनी भी जमीन नहीं है, जिस पर एक कमरे का भी घर बनाया जा सके. कई परिवारों के पास दो-चार बांस खरीदने के भी पैसे नहीं है, जिसके कारण पुरानी साड़ियां टांग कर गुजारा करने को मजबूर है. रिश्तेदार आ जाने पर किसी के पास बैठाने के लिए भी जगह नहीं है. जब तक इन परिवारों का सरकार जमीन मुहैया नहीं करेगी, तब तक इनका जीवन स्तर नहीं बदला जा सकता है. ज्यादातर परिवार सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित है. यदि इन परिवरों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जाता है, तो आवास बनाने जितनी भी जमीन इनके पास नहीं है.
वार्ड में हैं तीन चापाकल, पानी के लिए जाना पड़ता है दूर
गुरुवार को वार्ड छह का स्कैन करेगी टीम
कहते हैं कार्यपालक पदाधिकारी व सभापति
कार्यपालक पदाधिकारी तारकेश्वर प्रसाद साह व सभापति सुवंश राय ने बताया कि वार्ड का आधा हिस्सा विकसित है. अन्य जगहों पर भी सड़क व नाला समेत अन्य तरह का विकास हुआ है. शराब के चपेट में आकर महादलित परिवारों का जीवन स्तर बदतर हो गया था. शराब बंदी के बाद से काफी बदलाव आया है. वार्ड की जनता को शहरी जीवन मुहैया कराने के लिए हाल ही में सर्वे कराया गया है, जिसके आधार पर आने वाले समय में इस समाज का जीवन स्तर सुधारने का प्रयास किया जाएगा.
चंदन राउत. चार सालों में वर्तमान पार्षद के नाम से वार्ड में एक भी बोर्ड नहीं लगा है. यानी एक भी विकास का काम नहीं किया गया है. एक सोलर लाइट लगाया गया है, जो वार्ड पार्षद ने अपने घर के पास लगवाया है. बिजली की समस्या है. चार-पांच घंटे से अधिक बिजली नहीं रहती है. वार्ड के महादलित परिवारों का बुरा हाल है. उन्हें जिल्लत की जिंदगी जीनी पड़ती है. जानकी मंदिर के समीप होने के बावजूद वार्ड की आधी आबादी विकास से कोसों दूर है.
शंकर मंडल : जानकी मंदिर से सटे होने के कारण वार्ड का कुछ हिस्सा पूर्व से ही विकसित है, लेकिन वार्ड की आधी से भी अधिक आबादी को कोई भी सुविधा नहीं दी गयी है. दर्जनों गरीब परिवारों के महिला व पुरुषों को पेंशन समेत अन्य सरकारी लाभ नहीं मिल रहा है. शराब बंद होने के बाद से मोहल्ले में शांति रहती है. पूर्व में मोहल्ले में कभी भी शांति नहीं रहती थी. देर रात तक शराब के नशे में लोग आपस में लड़ते झगड़ते थे. जिससे लोगों को सोने में भी परेशानी होती थी.
चंदन राउत : चार सालों में वर्तमान पार्षद के नाम से वार्ड में एक भी बोर्ड नहीं लगा है. यानी एक भी विकास का काम नहीं किया गया है. एक सोलर लाइट लगाया गया है, जो वार्ड पार्षद ने अपने घर के पास लगवाया है. बिजली की समस्या है. चार-पांच घंटे से अधिक बिजली नहीं रहती है. वार्ड के महादलित परिवारों का बुरा हाल है. उन्हें जिल्लत की जिंदगी जीनी पड़ती है. जानकी मंदिर के समीप होने के बावजूद वार्ड की आधी आबादी विकास से कोसों दूर है.
शंकर मंडल : जानकी मंदिर से सटे होने के कारण वार्ड का कुछ हिस्सा पूर्व से ही विकसित है, लेकिन वार्ड की आधी से भी अधिक आबादी को कोई भी सुविधा नहीं दी गयी है. दर्जनों गरीब परिवारों के महिला व पुरुषों को पेंशन समेत अन्य सरकारी लाभ नहीं मिल रहा है. शराब बंद होने के बाद से मोहल्ले में शांति रहती है. पूर्व में मोहल्ले में कभी भी शांति नहीं रहती थी. देर रात तक शराब के नशे में लोग आपस में लड़ते झगड़ते थे. जिससे लोगों को सोने में भी परेशानी होती थी.
राम सिकिल देवी, गृहिणी.
वार्ड में महादलितों की आबादी दो सौ से भी अधिक है. ज्यादातर परिवार कबाड़ी चुन कर व मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. तीन-चार लोगों को छोड़ आज तक किसी को इंदिरा आवास नहीं दिया गया है, जिसके कारण लोग टाट-फूस के घर में प्लास्टिक तान कर गुजारा करते हैं. महादलित परिवार में अपवाद को छोड़ किसी के पास दो धूर से अधिक घरारी की जमीन नहीं है. जिसके कारण महादलित समाज के लोगों को जिल्लत की जिंदगी गुजारना पड़ रहा है.
पुनीता देवी : महादलित परिवारों के पास समस्या ही समस्या है. शराब बंद होने से मोहल्ले में शांति का वातावरण बना है, लेकिन किसी के पास काम नहीं है. यहां के लोग मजदूरी कर किसी तरह अपना पेट भर रहे है. दो चार परिवार को छोड़ कर किसी के पास पक्का मकान नहीं है. महादलित परिवारों को बसने के लिए सरकार द्वारा जमीन देने की बात कही गयी थी, लेकिन किसी को भी जमीन नहीं मिला है. किसी के पास इतनी जमीन नहीं है कि वह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बना सके.