आरटीइ . सरकार ने जारी किया था स्कूल संचालकों के लिए आदेश
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गरीब बच्चों को समुचित लाभ नहीं
आरटीइ . सरकार ने जारी किया था स्कूल संचालकों के लिए आदेश डुमरा : शिक्षा का अधिकार’ यानी आरटीइ का समुचित लाभ उन गरीब बच्चों को नहीं मिल पा रहा है, जिनके हित के लिए आरटीइ में तरह-तरह के प्रावधान किये गये थे. एक दर्जन से अधिक स्कूलों के संचालकों की मनमानी के चलते सैकड़ों […]
डुमरा : शिक्षा का अधिकार’ यानी आरटीइ का समुचित लाभ उन गरीब बच्चों को नहीं मिल पा रहा है, जिनके हित के लिए आरटीइ में तरह-तरह के प्रावधान किये गये थे. एक दर्जन से अधिक स्कूलों के संचालकों की मनमानी के चलते सैकड़ों गरीब बच्चे प्राथमिक शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. निजी स्कूल के उक्त संचालकों द्वारा आरटीइ में गरीब बच्चों के लिए निहित प्रावधानों को एक तरह से मजाक बना दिया गया है. ऐसे संचालकों की शिक्षा विभाग खबर ले रही है.
360 में 169 को प्रस्वीकृति
वर्ष 2013-14 में सरकार ने निजी स्कूलों को प्रस्वीकृति प्रदान करने का आदेश जारी किया था. कहा गया था कि निर्धारित मापदंड पर खरा उतरने वाले स्कूलों को ही प्रस्वीकृति प्रदान की जायेगी. उस दौरान शहर व ग्रामीण क्षेत्रों के 360 निजी स्कूलों की ओर से प्रस्वीकृति के लिए डीइओ को आवेदन दिया गया था. जब आवेदनों की जांच शुरू की गयी तो मात्र 169 आवेदन को ही मापदंड पर खरा पाया गया. इस तरह 169 स्कूलों को प्रस्वीकृति प्रदान की गयी थी.
पुन: नहीं दिया आवेदन : जांच के बाद 182 स्कूलों के प्रस्वीकृति की मांग से संबंधित आवेदनों को खारिज कर दिया गया था.हालांकि शिक्षा विभाग ने उक्त 182 स्कूलों के संचालकों से आपत्ति का निराकरण कर संबंधित अभिलेख के साथ जमा करने को कहा था. ताकि जांच के बाद निर्धारित मापदंड पर खरा उतरने पर प्रस्वीकृति प्रदान की जा सके. यह जान कर हैरानी होगी कि आज तक उक्त 182 स्कूल के संचालक दुबारा लौट कर डीइओ कार्यालय में नहीं गये. यानी प्रस्वीकृत्ति के लिए दुबारा आवेदन हीं नहीं दिया.
16 विद्यालयों से स्पष्टीकरण
वर्ष 2015-16 में प्रस्वीकृति प्राप्त स्कूलों में कमजोर वर्ग के अब तक कितने बच्चों का नामांकन किया गया है, का जवाब पांच प्रखंडों के 16 स्कूलों से नहीं मिल सका है. इसे डीपीओ, सर्वशिक्षा अभियान ने गंभीरता से लिया है. उन्होंने डुमरा, पुपरी, सुरसंड, रून्नीसैदपुर व बेलसंड के 16 स्कूलों के संचालकों से जवाब-तलब किया है.
नामांकित बच्चों की संख्या
जिले के प्रस्वीकृति प्राप्त 167 निजी स्कूलों में वर्ष 14-15 में मात्र 1449 कमजोर वर्ग के बच्चों का नामांकन किया गया था. वर्ष 2015-16 में नामांकित बच्चों की संख्या बढ़ कर 1800 पर पहुंची. बता दें कि बच्चों की पढ़ाई पर निजी स्कूल वालों का होने वाला खर्च सरकार वहन करती है. हालांकि अब तक किसी भी विद्यालय को शिक्षा विभाग द्वारा एक पैसा नहीं दिया गया है. जिला से वरीय अधिकारी को पत्र भेज भुगतान की बाबत मार्गदर्शन की मांग की गयी थी. अब तक कोई मार्गदर्शन नहीं मिला है.
आरटीइ का नहीं हो रहा पालन
नहीं हो रहा नामांकन : आरटीइ में प्रावधान है कि प्रस्वीकृति प्राप्त हर निजी स्कूलों में 25 फीसदी गरीब बच्चों का नामांकन करना है. यह नामांकन प्रथम प्रवेश वर्ग में किया जाना है. बच्चों का बीपीएल परिवार का होना जरूरी है. ऐसे परिवार के भी बच्चे शिक्षा के मुख्य धारा से जुड़े और आगे चल कर कुछ करे, की मकसद से सरकार ने शिक्षा का अधिकार लागू किया था. कुछ स्कूल संचालकों के चलते एक ओर जहां गरीब बच्चों को लाभ नहीं मिल पा रहा है
तो दूसरी ओर अन्य स्कूलों की भी बदनामी हो रही है.
प्रस्वीकृति प्राप्त विद्यालय : डुमरा प्रखंड में सबसे अधिक 139 निजी स्कूलों को प्रस्वीकृति मिली हुई है. वहीं, सोनबरसा के 34, रून्नीसैदपुर के 29, पुपरी के 24, सुरसंड व परिहार के 19-19, बैरगनिया के 18, नानपुर के 16, रीगा के 15, परसौनी के नौ, बोखड़ा के आठ, बाजपट्टी व बेलसंड के सात-सात, बथनाहा व मेजरगंज के पांच-पांच, चोरौत के चार व सुप्पी प्रखंड के दो स्कूलों को प्रस्वीकृति मिली थी.
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