सीतामढ़ी. : भीषण गरमी से धरती पर बढ़ रहे तापमान व नीचे जा रहे जलस्तर के कारण पेड़-पौधों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. पानी की कमी से जिले में आम व लीची के बगान सूखने लगे हैं. फसलों का तो और भी बुरा हाल है. गन्ना समेत अन्य फसल भी मुरझाने लगे है. कल तक लहलहाती फसलों को आज सूखता देख किसानों के चेहरे भी सूखने लगे हैं.
अपनी फसलों को बचाने के लिए किसान हर संभव प्रयास कर रहे है. बावजूद प्रकृति के प्रकोप के सामने उसका कोई भी प्रयास कामयाब नहीं हो पा रहा है. किसानों के वर्षों की देख भाल व मेहनत पर पानी फिर रहा है. शरीर को जला सी देने वाली धूप के कारण आम व लीची व्यवसायियों पर शामत आ गयी है. आम व लीची व्यवसायी लाखों रूपये की लागत से सैकड़ों पेड़ इस उम्मीद के साथ खरीदे थे कि इस सीजन में वे अच्छा मुनाफा कमायेंगे, परंतु पानी की कमी के कारण फलों के झड़ने से उनके लिए यह घाटे का सौदा हो गया हैै.
बथनाहा गांव निवासी व फल व्यवसायी देवेंद्र महतो ने बताया कि वे लाखों रूपये की लागत लगा कर सैकड़ों आम व लीची बागान खरीदे हैं, लेकिन मौसम की मार ने उनकी उम्मीदों पर पूरी तरह से पानी फेर दिया है. श्री महतो ने बताया कि माधोपुर गांव में वरीय अधिवक्ता सुधाकर झा से उन्होंने करीब सवा तीन सौ से भी अधिक आम व लीची का पेड़ 1 लाख से भी अधिक में खरीदा था. हर वर्ष बेहतर व काफी फल लगता था,
परंतु इस बार नुकसान उठाने की नौबत है. करीब 7 एकड़ में लगे बागान में से 72 लीची का पेड़ तपती धूप व गिरते जल स्तर के कारण सूख चुका है. अन्य दर्जनों पेड़ भी सूखने के कगार पर है. बताया कि बागान में लगे करीब 65 से 70 फिसदी फल झड़ चुका है. बताया कि प्रखंड के मझगामा गांव में भी उन्होंने 15-16 एकड़ में लगे आम व लीची बागान की खरीद किये है. वहां के पेड़ भी सूख रहे हैं. आधे से भी अधिक फल झड़ चुके हैं. ग्रामीण दिनेश झा, अमित कुमार, दीपू कुमार व दुखा राय आदि ने बताया कि तपती धूप के कारण नदी-नाला व पोखर सूख चुका है.
सरेह में कहीं भी पानी देखने के लिए नहीं मिल रहा है. सरकार द्वारा सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं की गयी है. इसलिए किसान अपनी बरबादी खुद देखने को मजबूर है. बथनाहा बीएओ अरुण कुमार चौधरी ने बताया कि तेज धूप के कारण सभी समस्याएं उत्पन्न हो रही है. फल व पेड़ को बचाने के लिए हर चार दिन पर पानी का पटवन आवश्यक है. तभी फलों व पेड़ों की सही सुरक्षा हो पायेगा. हालांकि हर चार दिन में पानी पटा पान किसानों के लिए संभव नहीं है. किसानों को प्रकृति का साथ मिलना भी आवश्यक है. बताया कि कई पेड़ वायरस के कारण भी सूख रहे हैं.