शहर में घूम रहा उचक्कों का गिरोह
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सावधान. दो माह के अंदर एक दर्जन लोग हुए गिरोह के शिकार
शहर में घूम रहा उचक्कों का गिरोह पंजाब नेशनल बैंक में तीन माह में आधा दर्जन घटनाएं अब तक एक भी अपराधकर्मी नहीं चढ़े पुलिस के हत्थे सीतामढ़ी : अगर आप बैंक में कैश जमा करने अथवा निकासी के लिए जाते हैं तो अब आपको सचेत हो जाना चाहिए. जी हां! शहर में इन दिनों […]
पंजाब नेशनल बैंक में तीन माह में आधा दर्जन घटनाएं
अब तक एक भी अपराधकर्मी नहीं चढ़े पुलिस के हत्थे
सीतामढ़ी : अगर आप बैंक में कैश जमा करने अथवा निकासी के लिए जाते हैं तो अब आपको सचेत हो जाना चाहिए. जी हां! शहर में इन दिनों उच्चकों का गिरोह घूम रहा है. पिछले दो माह के अंदर उक्त गिरोह द्वारा एक दर्जन से अधिक लोगों को जाल में फंसा कर लाखों रुपया झपट चुका है.
नगर के पंजाब नेशनल बैंक की शाखा में पिछले तीन माह में आधा दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी है. खास बात यह है कि गिरोह के शिकार बने कम हीं लोग पुलिस में अपनी शिकायत दर्ज करा पाये हैं. जबकि पुलिस थाना और कोर्ट का पचरा बता कर कई लोग प्राथमिकी दर्ज कराना उचित नहीं समझे हैं. गिरोह में शामिल अपराधकर्मी इतना फुर्तिला है कि पलक झपकते ही काम तमाम कर गायब हो जा रहे हैं. हौसला इतना बुलंद की एक पर एक घटना को अंजाम देकर पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गया है.
हालिया घटनाओं में अब तक एक भी अपराधकर्मी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया है. गिरोह के कटिहार जिले के कोढ़ा के होने की बात कही जा रही है. तीन वर्ष पूर्व उक्त गिरोह ने डुमरा से लेकर नगर तक में छिनतई की कई घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस के लिए परेशानी उत्पन्न कर दिया था. हालांकि तब कुछ अपराधकर्मी पुलिस की गिरफ्त में भी फंसे थे.
गिरोह ऐसे बुनता है जाल
गिरोह का तरीका भी बड़ी अजीब है. शिकार बने लोगों से पूछताछ के आधार पर यह बात सामने आयी है कि अपराधियों का ध्यान बैंक में आनेवाले वैसे ग्राहकों पर होता हैं, जो बड़ी रकम जमा करने अथवा निकासी करने पहुंचते हैं. दो से तीन बदमाशों द्वारा उक्त घटना को अंजाम दिया जाता है. एक बैंक के अंदर दाखिल होता है, जो शिकार के बगल में बैठ कर उसकी एकाग्रता आंकता है.
दूसरा बैंक के नीचे वाच करता है और तीसरा सड़क पर बाइक लेकर तैयार रहता है.
शिकार को बातचीत में उलझाता है, जमा परची को भरने के लिए कहता है और पहले से तैयार नोट सरीखे कागज के टुकड़े को रूमाल मे इतनी सफाई से लपेटता है, जैसे कि वह असली नोट की गड्डी हो. रूमाल में लपेटे कागज के टुकड़े को थमा कर असली नोट प्राप्त कर लेता है और भाग खड़ा होता है.
लालच देकर भी बनाता है शिकार
गिरोह में शामिल अपराधकर्मी लालच देकर भी लोगों को अपना शिकार बनाता है. इस कड़ी में शहर के कुछ बड़े दुकानों व प्रतिष्ठानों के मुंशी अथवा स्टाफ को रुपये का लालच देकर भी आसानी से फंसा लिया जाता है. खास कर किशोर वर्ग के स्टाफ को इस जाल में कई बार फंसाया गया है.
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