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शहर में बेतरतीब ढंग से बनाये जा रहे मकान

सीतामढ़ी जिला भूकंप के मामले में काफी खतरनाक जोन में है. सबसे खतरनाक जोन पांच होता है. इसी जोन के अधीन आनेवाले चार-पांच जिलों में सीतामढ़ी भी शामिल है. पूर्व से यह चेतावनी दी जा चुकी है कि भवन तीसरी व चौथी मंजिल तक निर्माण नहीं कराना है. बावजूद धड़ल्ले से निर्माण कराये जा रहे […]

सीतामढ़ी जिला भूकंप के मामले में काफी खतरनाक जोन में है. सबसे खतरनाक जोन पांच होता है. इसी जोन के अधीन आनेवाले चार-पांच जिलों में सीतामढ़ी भी शामिल है. पूर्व से यह चेतावनी दी जा चुकी है कि भवन तीसरी व चौथी मंजिल तक निर्माण नहीं कराना है. बावजूद धड़ल्ले से निर्माण कराये जा रहे हैं. प्रशासन के स्तर से इस तरह के मकानों को ले कोई कार्रवाई नहीं की जात रही है.

सीतामढ़ी : शहर के विभिन्न मुहल्लों में बड़े-बड़े मकान बनाये जा रहे हैं, जबकि भूकंप के चलते बहू मंजिली इमारत नहीं बनाना है. हर मुहल्ले में बेतरतीब ढ़ंग से मकानों के चल रहे निर्माण कार्य पर प्रशासन की शायद हीं नजर है. यही बड़े-बड़े मकान कल मुहल्ला के लिए एक परेशानी का सबब बनने के साथ हीं प्रशासन के लिए भी गंभीर समस्या बन जायेगा.
मोहल्लों में कई मोड़ खतरनाक
एसएसबी के द्वितीय सेनानायक मुन्ना सिंह भी मानते हैं कि शहरों में बन रहे बेतरतीब मकानों से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. श्री सिंह ने शहर के आदर्श नगर, प्रताप नगर व रघुनाथपुरी में बने बड़े-बड़े मकानों व उससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं से डीएम को अवगत कराया है.
कहा है कि लोग अपनी पूरी जमीन की सुरक्षा के लिए चहारदीवारी कर लेते हैं. इस वजह से सड़कों पर कई जगह मोड़ काफी खतरनाक हो गये हैं. श्री सिंह की माने तो सरस्वती शिशु मंदिर व सहियारा निवास के समीप समेत अन्य स्थानों पर सड़क पर मोड़ काफी खतरनाक हो गया है.
जलजमाव की गंभीर समस्या : हल्की बारिश में हीं शहर का कई मुहल्ला पानी-पानी हो जाता है. घरों में भी पानी चला जाता है. जल-जमाव की समस्या गंभीर हो जाती है.
इसका मुख्य कारण है कि मकान बनाने के दौरान लोग सड़क किनारे अपनी जमीन नहीं छोड़ते हैं ताकि नाला का निर्माण कराया जा सके. यही कारण है कि बारिश के दौरान मुहल्ले का पानी या तो किसी के घरों में चला जाता है अथवा सड़क पर जमा रहता है. निकासी की सुविधा नहीं होने से कई दिनों तक सड़क पर हीं जल-जमाव लगा रहता है.
बिना नक्शा पास कराये निर्माण
शहर में बिना नक्शा पास कराये भी मकान का निर्माण कराया जा रहा है, जबकि सरकार का स्पष्ट आदेश है कि नगर परिषद कार्यालय से नक्शा पास कराने के बाद ही मकान का निर्माण कराना है. इस बात पर एसएसबी के द्वितीय सेनानायक श्री सिंह ने भी खास जोर दिया है. डीएम से आग्रह किया है कि भवन निर्माण के लिए नक्शा की स्वीकृति के बाद हीं भवन निर्माण की अनुमति दी जाये.
डीएम ने नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को आवश्यक कार्रवाई करने व कृत कार्रवाई से अवगत कराने को कहा है. कार्यपालक पदाधिकारी के मोबाइल का स्विच ऑफ रहने के कारण कार्रवाई की बाबत जानकारी नहीं मिल सका.
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सड़कों की चौड़ाई कम
शहर के मुहल्लों में एक तो सड़कों की चौड़ाई कम है और लोगों द्वारा अपनी जमीन का कुछ भाग भी नहीं छोड़े जाने के चलते सड़कों पर चार पहिये वाली वाहनों का परिचालन तो होता है, पर इस तरह के दो वाहनों को जब एक- दूसरे से साइड लेना होता है तो उस दौरान गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाती है. सड़कों के अतिक्रमण के चलते भी वाहनों के परिचालन में परेशानी होती है. जाम की भी एक मुख्य समस्या सड़कों के बगल की जमीन का अतिक्रमण करना है.
एक रिपोर्ट के अनुसार मई 15 तक शहर में 8010 मकान बने थे
इसमें से मात्र 326 मकान के लिए हीं नक्शा पास कराया गया था.
गड्ढे के कारण होती दुर्घटना, िफर भी नहीं चेत रहे
द्वितीय सेनानायक श्री सिंह ने उक्त तीनों मुहल्ले का भ्रमण करने के बाद पूरी स्थिति से डीएम को अवगत कराने के साथ हीं वह ठोस कदम उठाने का आग्रह किया है, जिससे कि तरह-तरह की समस्याएं उत्पन्न न हो और वर्तमान में जो समस्याएं है, उसका निदान हो सके. डीएम को भेजे पत्र में श्री सिंह ने कहा है कि कई लोग अपने मकान व जमीन की रक्षा के लिए सड़क किनारे गढ़ा खोद देते हैं, जिससे दुर्घटना की संभावना बनी रहती है.

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