पटना : बिहार के सीतामढ़ी जिले के एक वकील द्वारा भगवान राम के खिलाफ दर्ज कराए गये केस मेंसोमवार को सुनवाई हुई. इस मामलेपर सुनवाई के दौरान ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट श्याम बिहारी नेसंबंधित फाइलको देखनेके बाद वकील चंदन सिंह के पूछा कि त्रेता युग की घटना को लेकर उन्होंने केस क्यों किया है. मजिस्ट्रेट की कोर्ट के सामने वकील ने तर्क दिया कि माता सीता का कोई कसूर नहीं था. इसके बाद भी भगवान राम ने उन्हें जंगल में क्यों भेजा.
वकील ने कहा कि कोई पुरुष अपनी पत्नी को कैसे इतनी बड़ी सजा दे सकता है. भगवान राम ने यह सोचा भी नहीं कि घनघोर जंगल में माता सीता अकेली कैसे रहेगी.सुनवाईकेदौरान मजिस्ट्रेट ने कहा कि त्रेतायुग की घटना के मामले में किसे पकड़ा जाएगाऔर इसमामलेमें कौन गवाही देगा. उन्होंने पूछा कि इस केस में यह भी नहीं बताया है कि भगवान श्रीराम ने सीता जी को किस दिन घर से निकाला था.
जज के सवाल पर वकील चंदन ने कहा कि मैंने माता सीता को न्याय दिलाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया हैऔर मैं अदालत से सीता जी के लिए न्याय की भीख मांगता हूं. मैंने अपने केस में रामायण से घटनाओं का विवरण लिया है. दलील सुनने के बाद जज ने कुछ देर विचार किया और कहा कि इस केस पर बाद में फैसला होगा.
गौर हो कि बिहार के सीतामढ़ी में एक स्थानीय वकील ठाकुर चंदन सिंह ने कोर्ट में मामला दर्ज कराया है. केस में भगवान राम पर अपनी पत्नी सीता के साथ उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है. चंदन का तर्क है कि भगवान राम ने एक धोबी के कहने पर अपनी पत्नी सीता को घर से बाहर निकाल दिया और जंगल में रहने के लिए मजबूर कर दिया. यह माता सीता के साथ अत्याचार है.
चंदन ने कहा, उनका घर माता सीता की जन्मभूमि मिथिला में है. चंदन का कहना है कि भगवान राम ने मिथिला की रानी सीता के साथ अत्याचार किया है. मिथिला की बेटी के साथ नाइंसाफी हुई है इसलिए उन्होंने यह केस दर्ज कराया है. चंदन का कहना है कि उनका मकसद केवल माता सीता को न्याय दिलाना है. किसी की भावना को ठेस पहुंचाने का उनका कोई इरादा नहीं है. चंदन ने कहा महिला उत्पीड़न त्रेता युग में ही आरंभ हो गया था. इसलिए जब त्रेता युग की नारी को न्याय नहीं मिलता, तब तक कलियुग की नारी को न्याय नहीं मिल सकता है.