सीतामढ़ीः पूर्व सांसद सीताराम यादव ने कहा है कि जिले का रून्नीसैदपुर प्रखंड व शिवहर जिले का तरियानी इलाका वर्ष 2006 से ही नक्सली व आपराधिक घटनाओं को केंद्र बन चुका है. रून्नीसैदपुर प्रखंड के नौ पंचायत अपराधी व नक्सली के प्रभाव में है.
वहां की आम-अवाम दहशत के साया में जीने का मजबूर हैं. डुमरा स्थित बागमती परिसदन में शनिवार को प्रेस वार्ता में पूर्व सांसद ने उक्त बातें कही. श्री यादव ने कहा कि उक्त क्षेत्र में लगातार आपराधिक घटनाओं के मद्देनजर जिला प्रशासन के आग्रह पर राज्य सरकार द्वारा बलूआ में 15 जनवरी 13 को सीआरपीएफ का कैंप स्थापित किया गया. फिर इस कैंप को 20-21 दिन बाद हीं हटा लिया गया. कैंप के हटते ही नक्सलियों ने रून्नीसैदपुर के पूर्व प्रमुख कामेश्वर प्रसाद यादव की हत्या कर दी, जबकि उनके भाई बाल-बाल बच गये. सीआरपीएफ का कैंप होने से लोग अमन-चैन से हैं और लोग अपने को सुरक्षित महसूस करते हैं. पूर्व सांसद ने कहा कि पता चला है, सीआरपीएफ कैंप को बलुआ से हटाया जा रहा है. इसकी खबर मात्र से उक्त क्षेत्र के लोगों के रोंगटे खड़े हो गये. हजारों लोग कैंप हटाने के विरोध में बलुआ चौक पर धरना पर बैठ गये.
चार दिनों तक जिला प्रशासन द्वारा कोई नोटिस नहीं लिया गया. 12 दिसंबर को क्षेत्र के लोग एनएच-77 स्थित काआही चौक पर धरना पर बैठ गये. इस दौरान उनकी डीएम, एसपी व गृह सचिव से दूरभाष पर बात हुई. उन्हें जानकारी दी गयी कि बलुआ से कैंप नहीं हटेगा. पूर्व सांसद ने उन सबों से आग्रह किया कि यही बात पब्लिक के सामने आकर कर दिया जाये. 24 घंटे तक यह कहने कोई अधिकारी नहीं आये. बाद में पुलिस इंस्पेक्टर ने एसपी के हवाले से बताया कि बलुआ से कैंप नहीं हटेगा. यह कह धरना समाप्त करने का आग्रह किया. पूर्व सांसद ने कहा है कि उन्हें पता चला है कि जो लोग सुरक्षा की गुहार जिला प्रशासन से लगा रहे थे, उन्हीं पर मुकदमा कर दिया गया है. कहा है कि प्रशासन को आम जनता के जानमाल की सुरक्षा की चिंता नहीं है. मुकदमा वापस नहीं लिये जाने पर आंदोलन की धमकी दी है. मौके पर राजद जिलाध्यक्ष मो शफीक खां, तारकेश्वर प्रसाद यादव, मो नसिबुल हक व सुनील कुशवाहा समेत अन्य मौजूद थे.