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भगवान बोधायन को भूला दिया आम जनमानस

भगवान बोधायन को भूला दिया आम जनमानस (भगवान बोधायन के जन्मदिन पर विशेष)- भाग एक फोटो- 2 भगवान बोधायन की मूर्ति, 3 वनगांव में बना मंदिर, 4 मंदिर परिसर में लगा बट वृक्ष — बाजपट्टी के वनगांव के रहने वाले थे भगवान बोधायन — उनके शिष्यों में शामिल थे महर्षि पाणिनि जैसे संत सीतामढ़ी : […]

भगवान बोधायन को भूला दिया आम जनमानस (भगवान बोधायन के जन्मदिन पर विशेष)- भाग एक फोटो- 2 भगवान बोधायन की मूर्ति, 3 वनगांव में बना मंदिर, 4 मंदिर परिसर में लगा बट वृक्ष — बाजपट्टी के वनगांव के रहने वाले थे भगवान बोधायन — उनके शिष्यों में शामिल थे महर्षि पाणिनि जैसे संत सीतामढ़ी : बाजपट्टी का वनगांव भगवान बोधायन की जन्मभूमि व कर्मभूमि रही है. गांव की मिट्टी में खुशबू हीं खुशबू है. ऐतिहासिक धरोहरों को समेटे इस गांव का नाम भले हीं जिले के हजारों लोग जानते होंगे, पर उनमें से अधिकांश को यह मालूम नहीं होगा कि यही वह धरा है, जहां भगवान बोधायन जैसे संत व महर्षि जन्म लिये थे. आम जनमानस को शायद हीं मालूम होगा कि भगवान बोधायन के शिष्यों में महर्षि पाणिनि भी शामिल थे. यह वही वनगांव है, जहां के चौर में बाघ ने महर्षि पाणिनि को मार डाला था. — दर्शन से एक अलग अनुभूति वनगांव में भगवान बोधायन की मंदिर है. उसमें 14 मन के संगमरमर से बने भगवान बोधायन की आकर्षक मूर्ति स्थापित है. उनके दर्शन से हर किसी को एक अलग तरह की अनुभूति होती है. कहा जाता है कि भगवान बोधायन का एक बार दर्शन करने के बाद लोग कोशिश करते हैं कि जब भी समय मिले उनका दर्शन कर लें. गांव के बहुत से लोग प्रतिदिन मंदिर पर जाते हैं और बड़ी श्रद्धा से बोधायन का दर्शन करते हैं. — सैकड़ों ग्रंथों की रचना की वनगांव के निवासी व रेलवे के पूर्व कर्मी सुनील कुमार झा व वेदांति जी कहते हैं कि भगवान बोधायन को आत्म ज्ञान हुआ था. इसी कारण संतों ने उन्हें भगवान से विभूषित किया. भगवान बुध, भगवान गौतम व भगवान महावीर के बाद बोधायन हीं ऐसे संत हुए, जिन्हें भगवान से विभूषित किया गया. धार्मिक ग्रंथों में भी बोधायन को ‘भगवान बोधायन’ के रूप में उल्लेख किया गया है. उन्होंने 200 से अधिक धर्म ग्रंथों की रचना की. इन ग्रंथों में क्रमश: गृह सूत्र, वेदांत रत्ना मंजूसा व वेदांतवृति भी शामिल है. — ग्रामीण सहेज कर रखे हैं ग्रंथ शहरों में रहने वाली नयी पीढ़ी आधुनिकता के दौर में अपनी संस्कृति को भूलती जा रही है तो ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में अपनी पहचान व अपनी संस्कृति को बचाये रखने का जज्बा अब भी कायम है. वनगांव के लोगों ने भी भगवान बोधायन द्वारा रचित बहुत से धर्म ग्रंथों को सहेज कर रखा है. इन्हीं धर्म ग्रंथों से बोधायन के कृतित्व व व्यक्तित्व का पता चलने के साथ हीं बहुत सारी जानकारियां मिलती है. — दो भाइयों में छोटे थे बोधायन धर्म ग्रंथों व विभिन्न पुस्तकों के हवाले से ग्रामीण बताते हैं कि भगवान बोधायन के पिता का नाम शंकर स्वामी व माता का नाम चारुमति था. शंकर स्वामी को दो पुत्र रत्न क्रमश: वर्ष व उपवर्ष की प्राप्ति हुई थी. उपवर्ष हीं बाद में बोधायन के नाम से संसार में विख्यात हुए. — विशिष्टाद्वैत के प्रवर्तक थे बोधायन भगवान बोधायन को विशिष्टाद्वैत का आदि प्रवर्तक बताया जाता है. उनका जन्म विक्रमादित्य से 500 वर्ष पूर्व बताया जाता है. उस दौरान पाटलिपुत्र पर राजा नंद का शासन था. राजा ने बोधायन की विद्वता से अभिभूत होकर अपने पास बुला लिया था. काफी समय तक वे वहां अध्यापन का काम किये. वहां से लौट कर घर चले आये. घर पर किसी को न देख कर वनगांव में हीं घोर तपस्या में लीन हो गये. इसी कारण वनगांव की धरती को बोधायन की जन्मस्थली के साथ-साथ साधना स्थली भी कहा जाता है. सैकड़ों वर्ष पूर्व वनगांव पूरी तरह जंगल-वन था. भगवान बोधायन व महर्षि पाणिनि जैसे संतों की तपस्या स्थली रहा यह जंगल क्षेत्र बाद में वनगांव के नाम से जाना जाने लगा. बॉक्स में :-छह जनवरी को है जयंती सीतामढ़ी : छह जनवरी को भगवान बोधायन की जयंती है. जयंती पर मंदिर परिसर में चार जनवरी से हीं प्रवचन व अन्य कार्यक्रम शुरू हो जायेंगे. इसके लिए ग्रामीण काफी पूर्व से जयंती की तैयारी में लगे हुए हैं.

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