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टैक्स की चोरी को कैश मेमो नहीं देते वक्रिेता

टैक्स की चोरी को कैश मेमो नहीं देते विक्रेता फोटो-11 किसानों की बातों को सुनते डीएम — डीएम ने डांट कर किसानों को कराया शांत, फिर सुनी शिकायतें — डीएओ के समक्ष अनुदान को किसान कर रहे थे हो-हल्ला सीतामढ़ी : समाहरणालय के निचले तल पर सीढ़ी के समीप शनिवार को विभिन्न प्रखंडों के कुछ […]

टैक्स की चोरी को कैश मेमो नहीं देते विक्रेता फोटो-11 किसानों की बातों को सुनते डीएम — डीएम ने डांट कर किसानों को कराया शांत, फिर सुनी शिकायतें — डीएओ के समक्ष अनुदान को किसान कर रहे थे हो-हल्ला सीतामढ़ी : समाहरणालय के निचले तल पर सीढ़ी के समीप शनिवार को विभिन्न प्रखंडों के कुछ किसान कृषि यंत्रों के दाम व अनुदान को लेकर डीएओ से बात कर रहे थे. इसी दौरान किसान हो-हल्ला करने लगे. यह जानते हुए कि इसी रास्ते से डीएम राजीव रौशन अपने कार्यालय में जाने वाले हैं. डीएम को देखते हीं किसान अपनी आवाज और तेज कर लिये. वहां पर पहुंचते हीं रौशन ने पहले किसानों को हल्ला करने पर डांट लगायी और फिर उनकी समस्याएं सुनी. — किसानों की समस्याएं किसानों का कहना था कि 10 किलो पाइप का दाम कृषि यंत्रों की दुकान में 125 से 135 रुपया बताया जाता है, जबकि कृषि विभाग में 180 से 190 रुपया. नगद मशीन लेने पर दुकान में 23 हजार में मिल रहा है तो विभाग उसी मशीन की कीमत 28 हजार बता रही है. इस तरह अनुदान मिलने से उन्हें क्या फायदा होगा. यह सुनने के बाद डीएम ने डीएओ पीके झा को जवाब देने को कहा. श्री झा का कहना था कि वे किसानों को कह चुके हैं कि विभाग से पंजीकृत दुकानों से कृषि यंत्र की खरीद कर लें और परमिट व कैश मेमो जमा कर अनुदान प्राप्त करें. सारी बातों को सुनने के बाद डीएम ने किसानों से कहा कि कृषि यंत्रों के विक्रेता टैक्स चोरी करने के लिए यंत्रों के खरीद का कैश मेमो नहीं देते हैं. स्वाभाविक है कि बिना कैश मेमो का समान लेने पर दुकानदार कुछ कम दाम में समान दे देंगे. अगर किसान बिना कैश मेमो लिये सामान की खरीदारी करते हैं तो यह स्पष्ट है कि टैक्स की चोरी करने में किसान भी दुकानदार की मदद करते हैं. किसी भी विक्रेता को टैक्स की चोरी नहीं करने दिया जायेगा. डीएओ को ऐसे दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया. डीएओ श्री झा ने डीएम को बताया कि बाजपट्टी के एक विक्रेता ने एक दिन में ढ़ाई लाख का सिंचाई पाइप बेच दिया, जबकि यह संभव हीं नहीं है. इसमें जरूर कुछ न कुछ गड़बड़ है. इसी कारण व दुकानदार से स्पष्टीकरण भी पूछे हैं. अंत में डीएम की बातों से संतुष्ट होकर सभी किसान चले गये.

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