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दो अभियंता, मुखिया व सचिव पर होगी प्राथमिकी

दो अभियंता, मुखिया व सचिव पर होगी प्राथमिकी ग्रामीण विकास विभाग की है अनुशंसा जांच में सड़क निर्माण में गड़बड़ी उजागर सुप्पी प्रखंड की घरवाड़ा पंचायत का मामला प्रतिनिधि, सीतामढ़ी. सड़क निर्माण में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी करने का मामला प्रकाश में आया है. मामला सुप्पी प्रखंड की घरवाड़ा पंचायत का है. पंचायत समिति सदस्य […]

दो अभियंता, मुखिया व सचिव पर होगी प्राथमिकी ग्रामीण विकास विभाग की है अनुशंसा जांच में सड़क निर्माण में गड़बड़ी उजागर सुप्पी प्रखंड की घरवाड़ा पंचायत का मामला प्रतिनिधि, सीतामढ़ी. सड़क निर्माण में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी करने का मामला प्रकाश में आया है. मामला सुप्पी प्रखंड की घरवाड़ा पंचायत का है. पंचायत समिति सदस्य नीतू राणा की शिकायत पर ग्रामीण विकास विभाग ने पटना से टीम भेज उक्त योजना की गहन जांच करायी थी. जांच रिपोर्ट के आलोक में विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी शंभु कुमार ने सहायक अभियंता रविशंकर पाठक, कनीय अभियंता बद्रीप्रसाद मंडल, मुखिया कुमारी देवी व पंचायत सचिव पुर्णेदू नारायण सिंह पर प्राथमिकी दर्ज कराने की अनुशंसा की है. राशि की होगी वसूली जांच रिपोर्ट में दोषियों से सरकारी राशि की भी वसूली करने की बात कही गयी है. कनीय अभियंता श्री मंडल से एक लाख चार हजार 73 रुपये, सहायक अभियंता श्री पाठक व पंचायत सचिव श्री सिंह वे 26-26 हजार तो मुखिया कुमारी देवी से एक लाख चार हजार 73 रुपये की वसूली की जायेगी. बताया जाता है कि उक्त लोगों ने सड़क निर्माण मद की राशि गबन कर ली है. पीडीआर एक्ट के तहत राशि की वसूली के साथ ही सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कराने की बात कही गयी है. क्या है पूरा मामला उक्त पंचायत में 13 वीं वित्त आयोग से नरहा से डुमरी जाने वाली पीडब्ल्यूडी रोड से रामबाबू सिंह के खेत तक मिट्टी भराई, ईंट सोलिंग व पीसीसी का कार्य कराया गया था. स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन प्रमंडल, सीतामढ़ी के कनीय अभियंता बद्री प्रसाद मंडल ने प्राक्कलन बनाया था जो 4.99 लाख की थी. छह चरणों में काम कराया गया था. अभिकर्ता के रूप में पंचायत सचिव थे. जांच में मापी पुस्त पर सहायक अभियंता का हस्ताक्षर नहीं पाया गया. तकनीकी स्वीकृति सहायक अभियंता व प्रशासनिक स्वीकृति मुखिया द्वारा दिया गया था. अभिलेख में कार्य को पूर्ण दिखाया गया, जबकि मापी पुस्त व एमआर सक्षम पदाधिकारी द्वारा निर्गत नहीं है. सचिव ने किया नगद भुगतान टीम ने अभिलेख की जांच में पाया कि शुरू, मध्य व अंत का फोटोग्राफ नहीं है. पंचायत सचिव को चेक से तो सचिव ने नगद भुगतान किया था. पाया गया कि उक्त सड़क पर पूर्व से ईंट सोलिंग थी, लेकिन प्राक्कलन में उक्त सोलिंग का कोई उल्लेख नहीं किया गया. पीसीसी में सोनसैंड के स्थान पर लोकल बाबू का इस्तेमाल किया गया. इतना ही नहीं, पूर्व के सोलिंग को उखाड़ कर फ्लैट सोलिंग कर दी गयी. जांच अधिकारियों ने माना है कि इस योजना में अलग से ईंट की आवश्यकता नहीं थी, जबकि गलत अभिश्रव बना कर ईंट का आपूर्ति दिखाया गया है. पीसीसी की मापी जगह-जगह की गयी तो उसकी मोटाई व चौड़ाई अलग-अलग पायी गयी. यानी मापी पुस्त में अंकित मापी से भिन्न पाया गया. जानबूझ कर दो प्राक्कलन जांच टीम ने दो लाख 60 हजार 146 रुपये का अनियमितता पाया. इसके लिए दोनों अभियंता, मुखिया व सचिव को दोषी माना गया है. कहा गया है कि कनीय अभियंता ने एक ही सड़क में पूर्ण प्राक्कलन न बना कर मुखिया के प्रशासनिक अधिकार के अनुसार दो प्राक्कलन तैयार किया. यह भी अनियमितता करने का एक षड्यंत्र है. कार्य की गुणवत्ता ठीक नहीं पायी गयी. पीसीसी के बाद उस पर पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं दिये जाने के कारण कुछ ही दिनों बाद सड़क टूटने लगी. रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि योजना में कार्यरत मजदूरों का बयान नहीं लिया जा सका, क्योंकि पंचायत सचिव द्वारा मजदूरों को जांच स्थल पर उपलब्ध नहीं कराया गया.

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