डुमरा : स्थित कैलाशपुरी, परोड़ी व तलखपुर मसजिद घाट पर दशकों से मनाया जाता है छठ पर्व नदी की धरा अवरुद्ध होने से गंदगी बनी है बड़ी समस्या नदी की आंशिक सफाई कर घाट पर डाल दिया गया है जलकुंभी डुमरा. लोक आस्था का महापर्व छठ के नजदीक आते ही व्रतियों ने तैयारी शुरू कर दी है.
पर्व को लेकर बाजार की सरगरमी भी बढ़ने लगी है, पर व्रतियों के लिए सबसे बड़ी समस्या छठ घाटों की है. ऐसे में इन व्रतियों को घाट की सफाई की चिंता सताने लगी है. जिला मुख्यालय डुमरा में मुख्य रूप से लखनदेई नदी के परोड़ी, कैलाशपुरी व तलखापुर मसजिद घाट पर वर्षों से छठ का त्योहार मनाया जाता रहा है. करीब तीन-चार वर्ष पूर्व से लखनदेई नदी की धारा अवरुद्ध हो जाने के कारण नदी में काफी गंदगी फैल गयी है. पानी काला पड़ गया है.
पानी में खड़ा होने से विशेष प्रकार के रोग का भय सताने लगा है. यही कारण है कि अधिकांश लोग अब अपने घरों पर ही छठ पर्व मनाने लगा है. घाट की समुचित सफाई नहीं व्रतियों का कहना है कि इस ओर प्रशासन की ओर से कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया है. जिसके चलते वे लोग नदी किनारे ही छठ व्रत करना मुनासिब समझते हैं.
परंपरागत तरीके से नदी व तालाब के किनारे ही आस्था का पर्व मनाया जाता है, पर नदी में गंदगी के चलते लोग मजबूर होकर घर पर तालाब नुमा गढ़ा खोद कर पानी जमा कर पर्व मनाते हैं.जलकुंभी से पटा है घाट उक्त तीनों छठ घाट पर्व के समय जलकुंभी से पटा रहता है. इसके चलते भी काफी परेशानी होती है.
हालांकि इस बार नदी में पानी नहीं आने से जलकुंभी नीचे बैठ गया था. पानी दिखाई भी नहीं पड़ती थी, पर करीब दो सप्ताह पूर्व मछुआरों नदी से जलकुंभी को निकाल कर छठ घाट पर रख दिया गया है. यदि समय से इसकी सफाई नहीं की गयी तो नदी किनारे पर्व मनाना मुश्किल होगा.
पानी में कीटनाशक की जरूरत छठ घाट के समीप नदी को अच्छी तरह से साफ कर पानी व किनारे पर पर्याप्त मात्रा में चूना व कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कराया जाये तो कुछ हद तक नदी किनारे व्रत मनाया जा सकता है, पर विडंबना है कि नगर पंचायत की ओर से प्रतिवर्ष सफाई के नाम पर इस मद में हजारों रुपये की निकासी होती है,
पर सही तरीके से न सफाई होता है और न ही पर्याप्त मात्रा में चूना व कीटनाशक दवाओं का छिड़काव ही किया जाता है. क्या कहते हैं अधिकारी इस बाबत नपं अध्यक्ष विमला सिन्हा ने बताया कि छठ व्रत को लेकर घाटों की साफ-सफाई की कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. घाटों पर सफाई के साथ ही पर्याप्त रौशनी की भी व्यवस्था की जायेगी ताकि किसी व्रती को किसी प्रकार की परेशानी न हो.