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हर सीट पर घमसान के आसार

समीकरण बिठाने की मगजमारी सीतामढ़ी सीतामढ़ी विधानसभा सीट पर 2003 से अब तक भाजपा का कब्जा है. पिछली बार इसके प्रत्याशी सुनील कुमार पिंटू ने लोजपा के राघवेंद्र सिंह कुशवाहा को हराया था. लोकसभा चुनाव में रालोसपा को यहां बढ़त मिली थी. इस चुनाव में लोजपा व रालोसपा भाजपा के साथ होंगी. लिहाजा यहां तीनों […]

समीकरण बिठाने की मगजमारी

सीतामढ़ी

सीतामढ़ी विधानसभा सीट पर 2003 से अब तक भाजपा का कब्जा है. पिछली बार इसके प्रत्याशी सुनील कुमार पिंटू ने लोजपा के राघवेंद्र सिंह कुशवाहा को हराया था. लोकसभा चुनाव में रालोसपा को यहां बढ़त मिली थी. इस चुनाव में लोजपा व रालोसपा भाजपा के साथ होंगी. लिहाजा यहां तीनों की साझा शक्ति होगी. इसे रोकने के लिए महागंठबंधन भी पूरी ताकत लगायेगा. 1990 से 2002 तक माई समीकरण के तहत राजद के शाहिद अली खां तीन बार विजयी हुए थे.

नीतीश सरकार बनने के बाद यह समीकरण ध्वस्त हो गया था. इस बार राघवेंद्र सिंह कुशवाहा, जदयू के वर्तमान एमएलसी राजकिशोर कुशवाहा, सुनील कुशवाहा, रामेश्वर महतो व रामविनय कुशवाहा में से किसी को महागंठबंधन का उम्मीदवार बना सकता है. राजद के मनोज कुमार को समाहरणालय गोलीकांड में सजा होने के बाद उनकी पत्नी बिंदु चौधरी भी टिकट की दावेदार हो सकती हैं.

अब तक

भाजपा के खाते से कुर्मी वोट खिसक चुका है. यह अब माय समीकरण का हिस्सा है.इसकी भरपाई दलित -महादलित वोट से करने की तैयारी है.

इन दिनों

भाजपा का अब जनसंपर्क अभियान चलेगा. जदयू हर घर दस्तक के जरिये लोगों से संपर्क साध चुका है. राजद की ग्रास रूट पर बैठकें चल रही हैं.

टिकट के लिए मारामारी

सुरसंड

सुरसंड विधानसभा सीट पिछली बार जदयू ने जीता था. इसके विधायक शाहिद अली खां नीतीश सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री भी थे. अब जदयू छोड़ पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी में हैं. राजग गंठबंधन में अगर यह सीट ‘हम’ को मिली है, तो खां एक बार फिर एनडीए के उम्मीदवार हो सकते हैं. वहीं भाजपा के मनीष कुमार गुप्ता भी अपनी उम्मीदवारी के दावे पेश कर सकते हैं.

इनके अलावा उमाशंकर गुप्ता और पूर्व विधान पार्षद वैद्यनाथ प्रसाद के भी नाम की चर्चा है. महागंठबंधन के तीनों प्रमुख घटक दलों के स्थानीय नेताओं में टिकट को लेकर घमसान के आसार हैं. कांग्रेस के जिलाध्यक्ष विमल शुक्ला इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. वह पिछली बार भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं. जदयू के पूर्व सांसद नवल किशोर राय अपनी पत्नी रामदुलारी देवी या पुत्र गुंजेश कुमार के लिए कोशिश कर सकते हैं.

अब तक

विधायक शाहिद अली खां जदयू छोड़ हम में शामिल. पूर्व सांसद नवल किशोर राय बेटे या पत्नी के लिए टिकट मांग रहे हैं.

इन दिनों

सभी संभावित उम्मीदवारों की गतिविधियां तेज हो चुकी हैं. दलों में सीट के लिए दावेदारी तेज हो चुकी है.

सीट की घोषणा का है इंतजार

रीगा

रीगा विधानसभा सीट इस बार सभी दालों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा. राजनीतिक दल अपने मुद्दे लेकर किसानों के पास पहुंचेंगे. इससे पहले ही किसानों ने करोड़ा रुपये के गन्ना बकाये के भुगतान को अपना बड़ा मुद्दा तय कर लिया है. पिछले चुनाव में इस सीट से भाजपा के मोतीलाल प्रसाद जीते थे. उन्होंने कांग्रेस के अमित टुन्ना को वोटों के बहुत बड़े अंतर से हराया था. लोकसभा चुनाव में जदयू के अलग होने का भाजपा के वोट प्रतिशत पर कोई असर नहीं पड़ा, बल्कि वोट प्रतिशत 38.86 से बढ़ कर 49.08 हो गया.

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और लोकसभा चुनाव में राजद दूसरे नंबर पर था. लोकसभा चुनाव में राजद को कांग्रेस का भी समर्थन हासिल था. इस बार जदयू भी उनके साथ होगा. महागंठबंधन की साझा ताकत इस बार के चुनाव में राजग की कितनी चुनौती दे पाती है, यह देखना होगा. इससे पहले इस सीट के बंटवारे और उम्मीदवारों के नाम तय होने का सभी को इंतजार है.

अब तक

किसी दल में कोई बड़ा हेर-फेर नहीं हुआ है. गंठबंधनों के नये समीकरण में सभी दलों की स्थिति बदल गयी है.

इन दिनों

जनता दल-यू का हर घर दस्तक कार्यक्रम पूरा हो चुका है. भाजपा का वार्ड स्तर पर बैठक का सिलसिला जारी है.

सेंधमारी में खपा रहे ताकत

रून्नीसैदपुर

रून्नीसैदपुर विधानसभा सीट पर अभी जदयू का कब्जा है. इसकी गुड्डी देवी ने पिछली बार राजद के राम शत्रुघ्न राय को 10 फीसदी से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था. राजद पिछले विधानसभा और इस बार के लोकसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहा था. दोनों चुनावों में उसके वोट प्रतिशत में ज्यादा का अंतर नहीं थ. इस लिहाजा से इस सीट पर उसकी भी दावेदारी मानी जा रही है. हांलाकि इस बार दोनों पार्टियां एक ही महागंठबंधन में हैं. यहां लंबे समय से यादव व भूमिहार जाति के मतदाताओं के बीच दूरी रही है.

महागंठबंधन से इस दूरी के कायम रहने के आसार हैं. इसका लाभ भाजपा को हो सकता है. राजद के स्थानीय नेता भी इस सीट पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं. वहीं विधायक गुड्डी देवी अपनी पकड़ बनाये रखने के लिए लागतार कोशिश में जुटी हैं. वह अपने को महागंठबंधन का उम्मीदवार तय मान रही हैं. उधर राजद ने एक कमिटी गठित कर पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद तक अपनी भावना पहुंचाने की पलह की है. राजग में यह सीट किसे मिली है, इस पर भी अभी असमंजस कायम है. सभी दलों के नेता और कार्यकर्ता अपने-अपने तर्क से इस सीट को अपने पक्ष में बताने में लगे हैं.

अब तक

यह सीट राजद का गढ़ कहा जाता रहा है. 2005 में जदयू ने इस मिथक को तोड़ा. तब से यह सीट जदयू के पास है.

इन दिनों

जदयू का विधानसभा कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न. भाजपा परिवर्तन रथयात्रा को सफल बनाने में जुटी है.

उम्मीदवारी पक्की करने में जुटे

बेलसंड

इस सीट पर फिलवक्त जदयू का कब्जा है. सुनीता सिंह चौहान ने पिछले चुनाव में राजद के संजय गुप्ता को भारी मतों के अंतर से हराया था. महागंठबंधन की ओर से उनका टिकट पक्का माना जा रहा है. राजद की ओर से अब तक कोई मजबूत दावेदार सामने नहीं आया है. हालांकि लोकसभा चुनाव में भी राजद दूसरे स्थान पर रहा था और इसके वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई थी. भाजपा को पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट से वोटों की भारी बढ़त मिली थी.

विधनसभा चुनाव में भी उसे ऐसे ही प्रदर्शन की उम्मीद है. इस दल के कई नेता अपनी उम्मीदवारी को पक्की करने में लगे हैं. अभी यह देखना दिलचस्प होगा कि राजग में यह सीट किस दल के खाते में जाती है. बसपा भी यहां अपना उम्मीदवार देगी. हालांकि अभी किसी नाम की घोषणा नहीं हुई है. नये गंठबंधन के तहत होने वाले इस बार के चुनाव को लेकर मतदाताओं में अभी चुप्पी है.

अब तक

सुनीता सिंह चौहान अपनी दावेदारी को पक्का करने में लगी हैं. भाजपा के नेता भी अपने लिए जमीन तैयार करने में जुटे.

इन दिनों

जदयू का हर घर दस्तक कार्यक्रम चल रहा है. भाजपा रथयात्र के जरिये जन संपर्क की तैयारी में जुटी है.

हर दल आंक रहा ताकत

परिहार

राजद के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का विषय मानी जाती है, क्योंकि राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे का यह गृह विधानसभा क्षेत्र हैं. 2010 में वे भाजपा प्रत्याशी रामनरेश यादव से चुनाव हार गये थे. इस दफा भी पूर्वे के टिकट कटने की कोई संभावना व्यक्त नहीं की जा रही है. इधर भाजपा विधायक रामनरेश यादव को समाहरणालय गोलीकांड में 10 साल की सजा हो चुकी है. अभी वे जमानत पर बाहर हैं. विस चुनाव में उनकी पत्नी गायत्री देवी भाजपा उम्मीदवार हो सकती हैं.

गायत्री देवी महिला मोरचा की जिला महामंत्री भी हैं और पति को सजा मिलने के बाद क्षेत्र में सघन जनसंपर्क अभियान चला रही है. हालांकि इससे पूर्व भी वे पार्टी कार्यक्रमों में शरीक होकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही हैं. यहां उम्मीदवारों की छवि के साथ गत चुनाव में जातीय गोलबंदी भी हावी रही है.

यादव जाति से आने के कारण गत चुनाव की तरह इस चुनाव में भी भाजपा विधायक श्री यादव अपने जाति के लोगों के वोट पर दावा कर रहे हैं. इस दफा मुसलमान वोट पर जीत-हार का गुणा-भाग किया जा रहा है.

अब तक

विधायक को समाहरणालय गोलीकांड में 10 साल की सजा. वे पत्नी को टिकट दिलाने की कोशिश में.

इन दिनों

भाजपा वार्ड स्तर पर बैठक कर चुकी है. रथ यात्र की तैयारी में. राजद जनमुद्दों पर वोटरों को गोलंद करने में जुटा.

सीट को लेकर अभी असमंजस

बाजपट्टी

इस सीट पर फिलवक्त जदयू का कब्जा है. इसकी विधायक डॉ. रंजू गीता अभी बिहार सरकार में मंत्री हैं. उनके यहां से एक बार फिर चुनाव लड़ने की संभावा को देखते हुए राजद खेमे में उदासी है. यह यादव व मुसलमान बाहु क्षेत्र है. पिछले चुनाव में जदयू प्रत्याशी ने राजद के उम्मीदवार मो अनवारुल हक को बहुत कम मतों के अंतर से हराया था. राजद लोकसभा चुनाव में भी दूसरे नंबर पर रहा था और उसके वोट प्रतिशत में ज्यादा गिरावट नहीं आयी थी. इसे देखते हुए राजद के भी इस सीट के लिए दावा पेश करने उम्मीद की जा रही है. वैसे अनवारुल को समाहरणालय गोलीकांड में सजा हो चुकी है. वह अपने पुत्र मो. आजम को यहां से प्रत्याशी बनाना चाहेंगे. उनके समर्थकों का तर्क हैं कि जनसमस्या को लेकर आंदोलन करने के क्रम में समाहरणालय गोलीकांड हुआ और इसकी सजा उनके नेता को हुई है. इस कारण सभी वर्ग की सहानुभूति उनके साथ है.

वहीं राजग गंठबंधन में रालोसपा की प्रबल दावेदारी के आसार हैं. इसके प्रत्याशी के रुप में रवींद्र कुमार शाही व मो आरिफ हुसैन चर्चा में हैं. कांग्रेस की फातिमा भी टिकट की दौड़ में शामिल हैं.चुनाव लड़ने का इशारा कर चुकी है, बशर्ते कांग्रेस के खाते में यह सीट जाये तो.

अब तक

जदयू का यहां सीटिंग एमएलए है. राजद के अनवारुल को समाहरणालय गोलीकांड में सजा हो चुकी है. वह पत्नी को टिकट चाहते हैं.

इन दिनों

जदयू का हर घर दस्तक व विस कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न. भाजपा ने जनसंपर्क अभियान बढ़ाया. राजद जनमुद्दों पर सक्रिय है.

सबको टिकट पाने की है आस

बथनाहा (अजा)

बथनाहा विधानसभा सुरक्षित सीट है. पिछले चुनाव में यहां से भाजपा के दिनकर राम लोजपा की ललिता देवी को हरा कर विधानसभा पहुंचे थे. इस बार इस सीट से भाजपा के दीपलाल पासवान बघेला भी दावेदारी पेश कर रहे हैं. महागंठबंघन में यह सीट अगर राजद के खाते में जाती है, तो ललिता देवी को उम्मीदवार बनाया जा सकता है. गत विस चुनाव में वह 13292 वोटें के अंतर से हारी थीं. राजद का भी इस क्षेत्र में प्रभाव है.

लोकसभा चुनाव में इसके प्रत्याशी को 23.07 प्रतिशत वोट मिले थे और वह दूसरे स्थान पर रहा था. लोकसभा चुनाव में रालोसपा का यहां सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. इससे उसके भी नेता और कार्यकर्ता उत्साहित हैं.

गंठबंधन की राजनीति में यह सीट किस दल को मिलती है, इस पर अभी सब की नजर है. वैसे स्थानीय नेता अपने हिसाब से अपनी दावेदारी को मजबूत मान रहे हैं. क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियां तेज हैं.

अब तक

भाजपा के स्थानीय विधायक दिनकर राम का टिकट पक्का माना जा रहा है. महागंठबंधन से नाम अभी तय नहीं हो पाया है.

इन दिनों

जदयू का हर घर दस्तक कार्यक्रम जारी. भाजपा रथयात्र की तैयारी कर रही है. राजद जनमुद्दों को लेकर सक्रिय है.

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