फोटो नंबर- 21 व 22 प्रशिक्षण देते वैज्ञानिक पुपरी : कृषि विज्ञान केंद्र, बलहा मकसूदन के पादप सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ दीपक सिंह ने मझौर गांव में किसानों को धान के पौधों में लगने वाले रोगों एवं कीटों की पहचान एवं उसके नियंत्रण का प्रशिक्षण दिया. बताया कि धान के बीज की बुआई के पूर्व कारवेंडाजीन दो ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. रोपाई से लेकर 40 दिन के अंदर धान की फसल के रोग ग्रस्त होने की संभावना अधिक रहती है. इस दौरान झुलसा रोग का प्रकोप शुरू होता है. इससे धान को बचाने के लिए किसानों को दवाइयों का नाम बताने के साथ हीं छिड़काव की तरकीव बतायी गयी. — धान के साथ मत्स्य पालन वैज्ञानिक डॉ सिंह ने किसानों को मत्स्य पालन की भी जानकारी दी. बताया कि धान के साथ मत्स्यपालन के लिए खेत के किनारे नाले बनाये जाते हैं जो तीन मीटर चौड़ा व दो फिट गहरा होता है. खेत के बीच में भी दो फिट गहरा तालाब के आकार का नाला बना कर मछली पालन किया जा सकता है. इससे कम लागत में अधिक आमदनी हो सकती है. मौके पर विजय सिंह, बैद्यनाथ राउत, अमीरी सिन्हा, बृजनंदन कुमार, रामनंदन, जयलाल सिंह, अनिल कुमार व अरविंद कुमार समेत अन्य मौजूद थे.
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धान के साथ मछली पालन करें : वैज्ञानिक
फोटो नंबर- 21 व 22 प्रशिक्षण देते वैज्ञानिक पुपरी : कृषि विज्ञान केंद्र, बलहा मकसूदन के पादप सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ दीपक सिंह ने मझौर गांव में किसानों को धान के पौधों में लगने वाले रोगों एवं कीटों की पहचान एवं उसके नियंत्रण का प्रशिक्षण दिया. बताया कि धान के बीज की बुआई के पूर्व कारवेंडाजीन […]
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