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नहीें मिली बुखार की दवा

फोटो नंबर-14 परिवार के सदस्यों के साथ नूरे आलमसोनबरसा : प्रखंड के मुसहरनिया गांव का मो नूरे आलम भी काठमांडू से लौटा है. वह वहां बनेपा इलाके में रहता था. बताता है कि भूकंप के दौरान सब्जी खरीद रहा था. भूकंप आने पर वह भागने लगा. हर लोग इधर-उधर भाग रहे थे. हड़कंप मच गया […]

फोटो नंबर-14 परिवार के सदस्यों के साथ नूरे आलमसोनबरसा : प्रखंड के मुसहरनिया गांव का मो नूरे आलम भी काठमांडू से लौटा है. वह वहां बनेपा इलाके में रहता था. बताता है कि भूकंप के दौरान सब्जी खरीद रहा था. भूकंप आने पर वह भागने लगा. हर लोग इधर-उधर भाग रहे थे. हड़कंप मच गया था. उस दिन वह कमरे पर नहीं जा सकता. एक खेत में तीन दिन तक रहे. पानी की काफी किल्लत थी. चार दिन बाद कमरे पर गया ता टीवी व अन्य सामान नीचे गिरा पड़ा था. वह सिलाई का काम करता था. वहां से लोग भाग रहा है. बस स्टैंड में पैर रखने तक का जगह नहीं है. यही हाल हवाई अड्डा का है. 1500 रुपया बस भाड़ा देकर लौटे हैं. — झटका से गिर कर हुए बेहोश नूरे आलम का पिता मंजूर राइन ने बताया कि वह काठमांडू के भक्तपुर में कपड़ा कटिंग का काम करता था. कंपनी मंे करीब 200 स्टाफ है।. भूकंप का झटका महसूस होते ही उसके सर में चक्कर आने लगा. वह बेहोश होकर गिर पड़ा. बुखार आया, दवा नहीं मिली. भीड़ के चलते हवाई अड्डा पर नहीं जा सके. प्रति यात्री 1200 रुपये भाड़ा देकर बस से चार साथियों के साथ यहां आये हैं.

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