— स्वामी सहजानंद सरस्वती जयंती पर गोष्ठीसीतामढ़ी : स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती के अवसर पर मंगलवार को शिव राघव सेवा सदन में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. स्वामी जी के तैल चित्र पर पुष्पार्पण एवं दीप प्रज्वलन के बाद गोष्ठी की शुरुआत की गयी. वक्ताओं ने किसान आंदोलन एवं स्वाधीनता आंदोलन में उनकी भूमिका को उल्लेखनीय बताते हुए कहा कि स्वामी जी के विचार एवं कर्म दूरगामी प्रभावों वाले थे. बिहार ने देश में सर्वप्रथम जमींदारी उन्मूलन का कानून बनाया, क्योंकि यह स्वामी जी की कर्मभूमि थी. आर्थिक व सामाजिक समता के आंदोलनों का सर्वाधिक सघन इतिहास बिहार का हीं है. यह भी स्वामी जी की प्रगतिशील भूमिका को रेखांकित करता है. स्वामी जी के आदर्शों से प्रेरित होकर युवाओं को समता एवं स्वतंत्रता के मूल्यों की रक्षा के लिए आगे आने की अपील की गयी. स्वामी सहजानंद सरस्वती जयंती समारोह समिति द्वारा आयोजित इस गोष्ठी की अध्यक्षता श्रीनिवास कुमार मिश्र ने की. जिसका उद्घाटन समाजसेवी राजेंद्र चौधरी ने किया. गोष्ठी में अधिवक्ता अशोक कुमार, डॉ राम सागर ठाकुर, राकेश कुमार सिंह, श्याम बिहारी दास, उपेंद्र चौधरी, रंजीत मिश्र, शुभम कुमार, अनीश कुमार सिंह, सुंदरम समेत दर्जनों लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये.
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दूरगामी प्रभाव वाले थे स्वामी जी के कर्म
— स्वामी सहजानंद सरस्वती जयंती पर गोष्ठीसीतामढ़ी : स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती के अवसर पर मंगलवार को शिव राघव सेवा सदन में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. स्वामी जी के तैल चित्र पर पुष्पार्पण एवं दीप प्रज्वलन के बाद गोष्ठी की शुरुआत की गयी. वक्ताओं ने किसान आंदोलन एवं स्वाधीनता आंदोलन में उनकी […]
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