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दूसरों के काम आये शरीर, इससे बड़ी बात कोई नहीं
सीतामढ़ी : अपने लिए सब जीते हैं, दूसरों के लिए कुछ करने का जज्बा बहुत कम लोगों में होता है. कभी-कभी यह सुनने को मिलता है कि अमुक व्यक्ति नि:स्वार्थ भाव से किसी के काम आया है. ऐसे लोगों में शामिल हैं राम सकल राय. वे मृत्यु के बाद अपने शरीर को दान करने की […]
सीतामढ़ी : अपने लिए सब जीते हैं, दूसरों के लिए कुछ करने का जज्बा बहुत कम लोगों में होता है. कभी-कभी यह सुनने को मिलता है कि अमुक व्यक्ति नि:स्वार्थ भाव से किसी के काम आया है. ऐसे लोगों में शामिल हैं राम सकल राय. वे मृत्यु के बाद अपने शरीर को दान करने की पेशकश की है.
बकायदा डीएम को एक आवेदन देकर अपनी शरीर दान करने की बात कही है. उनकी इच्छा है कि मरने के बाद उनका शरीर एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर के मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं के व्यावहारिक प्रशिक्षण में काम आ सके.
तुरंत कार्रवाई का आग्रह
वे डुमरा प्रखंड के भूपभैरो गोट गांव के रहने वाले हैं, पर वर्षो से अपने ननिहाल चकमहिला में रह रहे हैं. उन्होंने एसकेएमसीएच के प्राचार्य को पत्र भेजा है और कहा है कि उनके पत्र के आलोक में तुरंत कार्रवाई शुरू की जाये. कहीं ऐसा न हो कि कागजी प्रक्रिया को पूरी करने में विलंब के चलते उनकी अंतिम इच्छा अधूरी रह जाये.
नौकरी का सफर
एनडीए की परीक्षा में पास हुए और उनका चुनाव ग्राउंड डयूटी ऑफिसर के रूप में हुआ, पर बाद में मेडिकल टेस्ट व वजन निर्धारित से कम होने के कारण उन्हें छांट दिया गया. पांच मार्च 1968 को मुंगेर में भूमि विकास बैंक के भूमि मूल्यांकन पदाधिकारी बनाये गये. अररिया समेत अन्य शाखा में प्रबंधक के पद पर रहे. वर्ष 1976 में जिला प्रबंधक के पद पर प्रमोशन हुआ. इस पद पर सीतामढ़ी समेत सात जिलों में रहे. 2001 में क्षेत्रीय प्रबंधक बने. 21 दिसंबर 2003 को सेवानिवृत्त हुए. एक जनवरी 2004 को सहरसा में विशेष कार्य पदाधिकारी के पद पर योगदान किया. इस पद पर वे 31 जुलाई 2004 तक रहे.
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