अमिताभ कुमार
सीतामढ़ी : कंचनबाला के भाई मनीष झा ने 29 सितंबर 2012 को विरोध पत्र देकर पुलिसिया पड़ताल पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए तत्कालीन एसपी विवेक कुमार, थानाध्यक्ष रामनंदन प्रसाद व पुलिस अवर निरीक्षक शंभु शरण गुप्ता को भी प्राथमिकी अभियुक्त बनाने की मांग की थी.
मनीष ने तर्क दिया था कि कंचनबाला के आत्महत्या करने से पहले पुलिस आरोपितों का बचाव कर रही है. कंचनबाला के आत्महत्या के बाद भी पुलिस, आरोपितों के पथ में है. मनीष के इस तर्क को न्यायाधीश मोहम्मद इरशाद अली ने यह कह कर खारिज कर दिया कि इस कांड के फर्द बयान में जो घटना वर्णित की गयी है, वहीं घटना विरोध पत्र में भी वर्णित की गयी है. यह विरोध पत्र उसी घटना का समर्थन करता है, जो इस केस के फर्द बयान में दर्ज है.
यही फर्द बयान इस कांड की प्रथम सूचना रिपोर्ट बना. प्रथम सूचना रिपोर्ट का कोई विशेष साक्षिक मूल्य नहीं होता है. इसे मामले में कार्यवाही किये जाने क्रम में सर्वप्रथम की गयी सूचना के रूप में लिया जाता है. यदि महिनों बाद स्वयं सूचक भी इसको चुनौती देना चाहे तो उसे स्वीकार किया जाना न्यायोचित नहीं होगा. अवलोकन में यह पाया जाता है कि इस घटना की व्यथित व्यक्ति मृतका हीं थी, वह अब स्वयं इस दुनिया में नहीं रही, तो क्या अब उसको न्याय दिलाने में क्या किसी व्यक्ति को यह छूट रहेगी कि उसके मामले में वह तब चाहे जैसा बयान दे.