पुपरी : कृषि विज्ञान केंद्र, सीतामढ़ी में किसान सलाहकारों को खेती का प्रशिक्षण दिया गया. कार्यक्रम समन्वयक डॉ रामईश्वर प्रसाद ने सीड ड्रम मशीन से धान की सीधी बुआई करने की विधि बतायी. कहा कि इस विधि में सर्वप्रथम धान के बीज को 24 घंटे तक पानी में रखा जाता है.
इसके बाद दो ग्राम कार्बेन्डाजीम प्रति किलो बीज की दर से एवं एक ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसिन प्रति पांच किलो बीज की दर से उपचारित किया जाता है. फिर उसे 12 घंटे तक जूट के बैग में बांध कर रखा जाता है और हल्की पानी छीट कर नमी को बरकरार रखा जाता है. बीज को छायादार जगह पर सूखा कर सीड ड्रम विधि से प्रयोग में लाया जाता है. एक मजदूर दिनभर में 2-3 एकड़ की बुआई कर लेता है.
मशीन पर अनुदान है. किसान को मात्र दो हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं. पशु चिकित्सा वैज्ञानिक डॉ किंकर कुमार ने बताया कि बरसात के समय में पशुओं में गलघोंटू रोग होता है. इससे पशुओं की बचने की उम्मीद कम रहती है. यह संक्रामक रोग है. बरसात से पूर्व पशुओं का टीकाकरण करा कर इस रोग से बचाया जा सकता है. किसान सलाहकार इसका किसानों में व्यापक प्रचार-प्रसार करें.
उद्यान वैज्ञानिक डॉ मनोहर पंजियार ने किसान सलाहकारों को बताया कि जिले में टमाटर की खेती व्यापक की जाती है. टमाटर में विषाणु रोग का प्रभाव व्यापक देखा जा रहा है. इस रोग में टमाटर की पत्तियां सिकुड़ जाती है. निदान नहीं हो पाने से उत्पादन प्रभावित होता है.
बताया कि भारतीय वनस्पति अनुसंधान, वाराणसी एवं भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बंगलूर के द्वारा टमाटर की प्रजाति काशी विशेष व अर्का अन्नया को विकसित किया गया है, जिसमें यह बीमारी नहीं लगती. इसी प्रजाति का बीज किसानों को लगाना चाहिए. मौके पर किसान सलाहकार मीरा कुमारी, रंजना कुमारी, पंकज भूषण, रामबाबू महतो, प्रवीण कुमार, सुरेश प्रसाद, प्रिय रंजन, नवीन कुमार, संजीत कुमार, दीपक मिश्र, राकेश, मुखिया ब्रह्मदेव सिंह व रामचंद्र सिंह मौजूद थे.