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50 करोड़ रुपये मूल्य के सोने व अष्टधातु मूर्तियों की लूट

सरायरंजन : नरघोघी के रामजानकी मठ से हुई 50 करोड़ रुपये मूल्य के सोने व अष्टधातु मूर्तियों की लूट की परिस्थितियां कई सवाल खड़े कर रहे हैं. घटना क्रम पर नजर डालें तो पता चलता है कि जिस वक्त नकाबपोश डकैतों ने मठ पर धावा बोला है उस वक्त पूरा गांव गहरी नींद में सो […]

सरायरंजन : नरघोघी के रामजानकी मठ से हुई 50 करोड़ रुपये मूल्य के सोने व अष्टधातु मूर्तियों की लूट की परिस्थितियां कई सवाल खड़े कर रहे हैं. घटना क्रम पर नजर डालें तो पता चलता है कि जिस वक्त नकाबपोश डकैतों ने मठ पर धावा बोला है उस वक्त पूरा गांव गहरी नींद में सो रहा था. मठ की सुरक्षा में तैनात तीन सशस्त्र गृहरक्षकों में से एक योगेंद्र प्रसाद घर चले गये थे. बाकी बचे देव कुमार झा सो रहे थे, तो श्याम पासवान रात्रि ड्यूटी के दौरान मंदिर कक्ष में मोबाइल देख रहा था.

डकैतों ने उसके राइफल छीन लिये और वह शोर भी न मचा सका. सुतरी और गमछे से दोनों के हाथ पांव पीछे की ओर बांध दिये. मुंह में गमछा जड़ दिया. इसके बाद आराम से चाबी लायी और मठ के मुख्य मंदिर का ताला खोल कर 14 मूर्तियां उठा ले गये. गनीमत रही कि 40 किलो और इससे अधिक वजनी मूर्तियों को डाकू उठा न सके बर्ना यह भी आज मठ में न होता.
डकैतों के जाने के बाद गृहरक्षक खुद बंधनमुक्त होकर मठ परिसर में ही मौजूद भागलपुर के महंथ बजरंगी दास के कमरे में जाकर उन्हें जगाने का प्रयास किया. इसके करीब 40 मिनट महंथ की नींद खुलने की बात कही जा रही है. तब टोले में जाकर लोगों को बुलाया गया और ग्रामीणों के मोबाइल से पुलिस को सूचना दी गयी. सूचना पर डीएसपी मो तनवीर अहमद, मुफस्सिल इंस्पेक्टर एचएन सिंह, कल्याणपुर थानाध्यक्ष मधुरेंद्र किशोर, मुसरीघरारी थानाध्यक्ष कमल राम, सरायरंजन थानाध्यक्ष अमित कुमार, उजियारपुर थानाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह आदि पुलिस पदाधिकारियों ने जांच शुरू की. पूछताछ के दौरान घटनाक्रम को सुनकर पुलिस के आंखें भी फैल व सिकुर रही थी. अब पुलिस उत्पन्न हो रहे सवालों का जवाब ढूंढ़ने में जुटी है. बहरहाल मूर्तियों का पता नहीं चला है.
मठ के चबूतरे पर मिला संदेश
डकैती की घटना के बाद पहुंचे लोगों की नजर मठ परिसर में अवस्थित चबूतरे पर लिखे इस्तेहार पर पड़ी. इसकी सूचना पुलिस को दी गयी. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक टूटी फूटी भाषा में इस पर मंदिर लूट की बात लिखी है.
कई सवाल खड़े हो रहे घटना की परिस्थितियों पर, महंथ की भूमिका भी संदेह के घेरे में
आठ सौ साल पुराना है मठ. ग्रामीण बताते हैं कि यह मठ करीब आठ सौ वर्ष पुराना है. नरहन के तत्कालीन राजा ने पुत्र उत्पन्न होने पर महंथ रामलला दास को नरघोघी की 350 एकड़ जमीन दान में दी थी. बिहार में एक हजार एकड़ मठ की जमीन थी. इसके अलावा 42 सौ बीघा जमीन विभिन्न प्रांतों और नेपाल में थे. 1895 में महंथ अमर दास के नाम से खतियान भी है. कभी यहां 5 से 7 सौ साधु संतों व ग्रामीणों का हर रोज भंडारा होता था. इसी समय सोने व अष्टधातु की भारी भरकम मूर्तियां राजस्थान से मंगा कर स्थापित की गयी थीं. 14 मन चांदी का सिंहासन अब भी मौजूद है.

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