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”सिय” कहने से बढ़ती है सहने की शक्ति
रामकथा के दूसरे दिन बापू ने की शब्द की व्याख्या सीतामढ़ी : शहर से सटे खड़का रोड स्थित मिथिलाधाम में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय रामकथा के दूसरे दिन रविवार को मोरारी बापू ने ‘सिया’ की महिमा का बखान किया. उन्होंने कहा कि ‘सिय’ कहने से प्रियता बढ़ती है. सहन करने की शक्ति बढ़ती है. शालीनता […]
रामकथा के दूसरे दिन बापू ने की शब्द की व्याख्या
सीतामढ़ी : शहर से सटे खड़का रोड स्थित मिथिलाधाम में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय रामकथा के दूसरे दिन रविवार को मोरारी बापू ने ‘सिया’ की महिमा का बखान किया. उन्होंने कहा कि ‘सिय’ कहने से प्रियता बढ़ती है. सहन करने की शक्ति बढ़ती है. शालीनता एवं पारदर्शिता आती है.
‘सिय’ शब्द हृदय का बोध कराती है. बापू ने रविवार को दूसरे दिन की कथा के माध्यम से उपस्थित हजारों श्रोताओं को एक नया भजन ‘श्री राम जय राम जय जय राम…’ की जगह ‘सिय राम सिय राम सिय सिय राम…, हिय राम हिय राम हिय हिय राम…’ सुना कर इसी भजन को गाने की अपील की. उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी हर मोड़ पर सिय यानी जानकी जी का स्मरण करते हैं. सिय शब्द जानकी जी के किशोरी रूप के लिए संबोधन किया गया है. इसी का एक अर्थ श्री भी होता है.
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