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हंसी-ठहाकों की बारिश में भींगे लोग

सीतामढीः शहर स्थित श्री राधा-कृष्ण गोयनका कॉलेज का खेल मैदान शुक्रवार को मनोरंजन का केंद्र बना रहा. चारों ओर हंसी व ठहाकों की गूंज थी. लोग हंसते-हंसते लोटपोट हो रहे थे. मौका था, प्रभात खबर की ओर से आयोजित विराट हास्य कवि सम्मेलन का. कार्यक्रम का उद्घाटन प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ अनिल कुमार सिंह, लोक अभियोजक […]

सीतामढीः शहर स्थित श्री राधा-कृष्ण गोयनका कॉलेज का खेल मैदान शुक्रवार को मनोरंजन का केंद्र बना रहा. चारों ओर हंसी व ठहाकों की गूंज थी. लोग हंसते-हंसते लोटपोट हो रहे थे. मौका था, प्रभात खबर की ओर से आयोजित विराट हास्य कवि सम्मेलन का. कार्यक्रम का उद्घाटन प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ अनिल कुमार सिंह, लोक अभियोजक अरुण कुमार सिंह, नगर परिषद अध्यक्ष सुवंश राय, डीपीएस डॉयरेक्टर ई तारिक अली खां, व्यवसायी सह समाजसेवी सिद्धेश्वर सिंह व डॉ संत कुमार चौधरी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर संयुक्त रूप से किया.

उद्घाटन के बाद लोक अभियोजक अरुण कुमार सिंह ने समय-समय पर प्रभात खबर की ओर से आयोजित होने वाले टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट, प्रतिभा सम्मान व कवि सम्मेलन की सराहना की. श्री सिंह ने कहा कि कृष्ण ने गाया तो कविता बन गयी. श्री गणोश और व्यास मिले तो महाकाव्य बन गया. क्रॉन्च पक्षी का वियोग देख कर वाल्मीकि की लेखनी ऐसी बनी कि रामायण बन गया. तुलसी का भक्ति रस बना तो रामचरितमानस बन गया और आज के दिन में दिनकर की लेखनी चली तो गजर्ना हुई. यथार्थ का चित्रण हुआ तो मैथिलीशरण गुप्त याद आये.

छायावाद से सुमित्रनंद पंत याद आये, तो रस श्रृंगार और ओस की चर्चा किये बिना कविवर गोपाल सिंह नेपाली की याद अधूरी रह जायेगी. संबोधन के बाद कवि अतुल ज्वाला (इंदौर) के ‘ यह जग इतना मनभावन हो जाये, तपता हुआ रेगिस्तान भी सावन हो जाये, सीतामढ.ी की मिट्टी लगाये यही तन पर देह राम और मन सीता सा पावन हो जाये’ ने श्रोताओं को जगत जननी मां जानकी की जन्मभूमि के धार्मिक महत्व पर प्रकाश डॉला. राधेश्याम भारती (इलाहाबाद) के ‘ हास्य व्यंग्य का एक ही रास है और आज की आपाधापी में मशीन बन गये मनुष्य को तनाव के क्षणों से उबारने वाला एक सशक्त टॉनिक है, जितना खाना जरूरी है, उतनी ही आवश्यकता हंसी है’ ने लोगों को तनाव से मुक्त होकर ठहाके भरी जिंदगी जीने के लिए प्रेरित किया.

डॉ प्रेरणा ठाकरे की ‘ देश की अखंडता को तोड.ने की साजिशों का भ्रम जनता के द्वारा नहीं पाला जायेगा, महाराष्ट्र से जो बात करते निकालने की ऐसे पागलों को राष्ट्र से निकाला जायेगा, देशवासी ईंट का जवाब देंगे पत्थरों से, उत्तर पे व्यर्थ प्रश्न जो उछाला जायेगा. विषधर बनके उगल रहे हैं जहर, फन ऐसे नागों का कुचल डॉला जायेगा’ से देश की अखंडता व एकता के लिए प्रेरित किया गया. शंकर कैमूरी के ‘ बिखरी जुल्फें है उमड.ते हुए बादल की तरह, तेरी आंखों में कोई चीज है काजल की तरह, याद में उसकी गजल जब भी कही है शंकर मेरे अल्फाज छमक उठते हैं पागल की तरह’ से प्रेम की भाषा को परिभाषित किया.

संज्ञा तिवारी (गाजीपुर) के ‘ मोहब्बत के अगर दो कोई बोल देता है, तो लगता है जैसे कानों में रस बोल देता है की, मोहब्बत ऐसी बोली है कि जिनको सुन कर ऐ लोगों भले दुश्मन हो, कोई द्वार दिल के खोल देता से’ से अपनी भावना को इजहार किया. मंच संचालन सिटीजन फोरम के अजय विद्रोही ने किया.

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