आरोप. पांच सालों में 50 लोगों की स्टोन डस्ट से हो चुकी है मौत
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क्रशर में नियमों की अनदेखी
आरोप. पांच सालों में 50 लोगों की स्टोन डस्ट से हो चुकी है मौत शेखपुरा : जिले में संचालित स्टोन क्रशर और उसमें प्रदूषण के नियमों की हो रही अनदेखी लोगों की मौत का कारण बन रही है. जिले में स्टोन डस्ट से हो रही मौत की बानगी शेखपुरा प्रखंड के पैन डिहरी गांव है. […]
शेखपुरा : जिले में संचालित स्टोन क्रशर और उसमें प्रदूषण के नियमों की हो रही अनदेखी लोगों की मौत का कारण बन रही है. जिले में स्टोन डस्ट से हो रही मौत की बानगी शेखपुरा प्रखंड के पैन डिहरी गांव है. जहां पिछले 5 सालों में 50 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं दूसरी ओर अभी भी दर्जनों लोग स्टोन डस्ट का शिकार होकर यक्ष्मा जैसे जानलेवा बीमारी से ग्रसित हैं. इस बाबत यक्ष्मा से बीमार लालकेश्वर पासवान ने बताया कि गांव में लगभग तीन सौ से अधिक मजदूर जिले के लोगों ने स्टोन क्रेशर पर मजदूरी का काम करते हैं. लेकिन यहां स्टोन क्रशर पर ना तो प्रदूषण नियमों का पालन किया जा रहा है
और ना ही यहां मजदूरों के सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से विभाग द्वारा निर्धारित मापदंडो का पालन किया जा रहा है. प्रत्येक स्टोन क्रशर पर लगभग 15 से 20 मजदूर काम करते है. ऐसी स्थिति में दो-तीन माह काम करने के बाद ही मजदूर यक्ष्मा की गंभीर बीमारी से ग्रसित होकर अपनी जान गंवा बैठते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 5 सालों के अंदर गांव में 50 लोग स्टोन डस्ट की चपेट में बीमारी से ग्रसित होकर मौत के शिकार हो गए हैं.
मौत का मशीन साबित हो रहा जिले का स्टोन क्रशर :
विभागीय आंकड़ों की माने तो जिले में सभी 65 स्टोन क्रशर हैं. जिसमें 5 बड़े और ऑटोमेटिक क्रशर का संचालन किया जा रहा है. बड़ी बात यह है कि पांच ऑटोमेटिक क्रशरों को छोड़कर शेष 7 स्टोन क्रेशर के लिए पिछले 1 वर्ष पूर्व ही वन एवं पर्यावरण विभाग से एनओसी को लेकर आवेदन दिया गया था. लेकिन आज तक इन स्टोन क्रेशरों को एनओसी उपलब्ध नहीं कराया गया. लंबे समय तक इंतजार के बाद क्रशरों को धीरे धीरे कर चालू कर दिया गया.
हालांकि इन क्रशरों के अवैध संचालन पर पुलिस कार्रवाई भी की गई. लेकिन बिना एनओसी के अवैध तरीके से संचालित क्रसरो पर अंकुश नहीं लगाया जा सका. विभागीय सूत्रों के मुताबिक प्रदूषण एनओसी के लिए विभाग द्वारा अब तक 10 स्टोन क्रसरो को ही एनओसी उपलब्ध कराया गया है.जवकि अन्य का मामला फिलहाल लंबित पड़ा है.
कागजों पर ही पूरी हो रही प्रदूषण नियंत्रण का एनओसी की कार्रवाई
जिले में पत्थर उत्खनन का मामला हो अथवा स्टोन क्रशर संचालन का मुद्दा हो दोनों मामलों में वन एवं पर्यावरण के द्वारा निर्धारित मापदंडो का पालन नहीं हो रहा है. दोनों परिस्थितियों में नियमित की हो रही अनदेखी गरीब और मज़दूरों की मौत का भी कारण बन रहा है. इस बाबत जिला परिषद सदस्य रुदल पासवान ने बताया कि सरकार और विभाग द्वारा निर्धारित मापदंड को धरातल पर उतारने में जिला प्रशासन पूरी तरह नाकाम है.
एक तरफ जहां पत्थर माफिया पहाड़ी भूखंड और क्रशर और माइनिग के मजदूरों के सुरक्षा दृष्टिकोण से निर्धारित मापदंडो का पालन नहीं कर रहे हैं. वही ईन परिस्थितियों में माइंस एरिया के इर्द-गिर्द बसे गांव स्टोन डस्ट से फैल रही बीमारियों के रोकथाम के लिए इन पहाड़ी भूखण्डों ओर क्रसरो पर अंकुश नहीं लगाया जा रहा है. जिला परिषद सदस्य ने कहा कि अगर एक सप्ताह के अंदर जिला प्रशासन ने इस दिशा में ठोस पहल कदमी नहीं कि इस मामले को लेकर दर्जनों गांव के लोगों को एकत्रित कर राजधानी पटना में मुख्यमंत्री के समक्ष धरना दिया जाएगा.
क्या है स्वास्थ्य विभाग का आंकड़ा.
जिले में यक्ष्मा की स्थितियों पर नजर रखने वाले स्वास्थ्य महकमे के आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां अप्रैल 2016 से लेकर 31 मार्च 2017 तक सभी 2415 लोगों का बलगम जांच किया गया.
जिसमें 406 लोगों की पहचान करके उंहें यक्ष्मा से संबंधित दवाइयां उपलब्ध कराई गई.जिले के शेखपुरा प्रखंड में सर्वाधिक 1117 लोगों का खखार जांच किया गया. जिसमें 230 मरीजों की पहचान हुई. इसी प्रकार बरबीघा में 477 में 65, अरियरी के 218 में 54 चेवाड़ा में 203 में 22,घाटकोसम्भा 124 में 18, शेखोपुरसराय के 276 में 17 मरीजों की पहचान कर यक्ष्मा से संबंधित बीमारी की दवा उपलब्ध कराई गई.
क्या कहते है अधिकारी :
जिले में माइनिंग एरिया में प्रदूषण से सम्बंधित स्थितियों का जायजा लिया जाएगा. इसमें नियमों की अनदेखी बर्दास्त नही की जाएगी. बिना एनओसी के स्टोन क्रशर संचालन किये जाने की जानकारी नही है.शिकायत मिलने पर करवाई की जायेगी.
निरंजन कुमार झा, डीडीसी शेखपुरा
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