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संसाधनों की कमी से जूझ रहा पीएचसी

व्यवस्था . प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में न पीने का पानी और न शौचालय की व्यवस्था दिघवारा : मुख्य बाजार में अवस्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दिघवारा की बीमार व्यवस्था को खुद इलाज की दरकार है.कहने को यह सरकारी अस्पताल है, मगर यहां मरीजों के इलाज का कम और उनको बीमार करने का ज्यादा इंतजाम है. सरकार […]

व्यवस्था . प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में न पीने का पानी और न शौचालय की व्यवस्था

दिघवारा : मुख्य बाजार में अवस्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दिघवारा की बीमार व्यवस्था को खुद इलाज की दरकार है.कहने को यह सरकारी अस्पताल है, मगर यहां मरीजों के इलाज का कम और उनको बीमार करने का ज्यादा इंतजाम है. सरकार की स्वास्थ्य प्रायोजित योजनाएं यहां कागजों पर चलती दिखती है. आलम है कि इस हॉस्पिटल से अब आम लोगों का भरोसा उठने लगा है जिसके कारण दिन प्रतिदिन यहां आनेवाले रोगियों की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है.
संस्थागत प्रसव के नाम पर जच्चा व बच्चा की जिंदगी से होता है खिलवाड़: सरकार संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए कितनी राशि खर्च करती है,ये किसी से छिपी नहीं है. मगर पीएचसी में प्रसव को लेकर कोई इंतजाम नहीं है. घर व अस्पताल के प्रसव में बस इतना ही अंतर है कि पीएचसी में एएनएम प्रसव करवाती है. लेबर रूम में एक से ज्यादे गर्भवती महिला के आ जाने पर जमीन पर प्रसव कराया जाता है, क्योंकि लेबर रूम में महज एक बेड उपलब्ध है.
एएनएम बिना संसाधन के प्रसव कराती है. न उस रूम में सफाई व रोशनी है और न बेड, स्ट्रेचर व पानी का इंतजाम. इतना ही नहीं कई बार प्रसव के बाद नवजात की मौत शरीर के तापमान की विषमता के कारण हो जाती है क्योंकि नवजात को सुरक्षित रखने वाला एनबीसीसी मशीन दो किलोमीटर दूर नए हॉस्पिटल के बिल्डिंग में बंद पड़ा है.मरीजों का कुछ काम पीएचसी में तो कुछ सीएचसी में :मुख्य बाजार के पीएचसी में ओपीडी,प्रसव,टीकाकरण व इमरजेंसी सेवा का लाभ मरीजों को मिलता है,
जबकि कार्यालय सीएचसी में चलता है.यहीं जेबीएसवाई की राशि मिलने के साथ जन्म प्रमाण पत्र मिलता है.बंध्याकरण का काम भी सीएचसी में ही होता है.बीते अगस्त माह में प्रलयंकारी बाढ़ आने के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पानी प्रवेश कर गया जिसके बाद सीएचसी को मुख्य बाजार के पुराने व परित्यक्त पीएचसी में शिफ्ट कर दिया,
जब बाढ़ का पानी समाप्त हुआ तो पीएचसी के सीएचसी में फिर से शिफ्ट होने की चर्चा के बीच स्थानीय लोगों ने मुख्य बाजार में ही पीएचसी में ओपीडी चलाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया गया. इसी बीच जिला अनुश्रवण समिति की बैठक में मुख्य बाजार में ही पीएचसी चलाने का विभागीय निर्देश मिला, तब से जर्जर व संसाधन विहीन पीएचसी में हर आनेवाले मरीज का रामभरोसे इलाज किया जा रहा है.
ऑपरेशन थिएटर में बीते अगस्त माह से ताला लटका है : मुख्य बाजार के पीएचसी में पीने के शुद्ध पेयजल नहीं है, जिस कारण ओपीडी में इलाज कराने आनेवाले मरीज दिनभर पानी का डिब्बा लेकर पानी की तलाश में भटकते नजर आते हैं. इमरजेंसी,लेबर रूम व वार्ड में बेड नहीं है जिससे मरीजों को जमीन पर बैठने की विवशता है.जो बेड हैं उनपर चादर तो दूर गंदगियां इतनी है कि मक्खियों का जमावड़ा दिखता है. पीएचसी दिघवारा में सड़क व रेल दुर्घटनाओं के अलावा दिघवारा, दरियापुर, गड़खा व छपरा सदर आदि प्रखंडों के रोगी इमरजेंसी में इलाज कराने के लिए आते हैं एवं सबों को प्राथमिक इलाज कर रेफर कर दिया जाता है.
इमरजेंसी मरीज को देखने की कोई व्यवस्था नहीं है क्योंकि ऑपरेशन थिएटर में बीते अगस्त माह से ताला लटका है. मरीजों को इलाज के बाद जहां से दवाइयां मिलती है, वहां पर बिजली का खुला तार है. दवा लेने वाले मरीज जान बचा कर काउंटर पर जाते हैं, तब दवा मिल पाती है. कभी भी खुला तार किसी की जान ले सकता है. पीएचसी में ड्यूटी करने वाले कई डॉक्टरों व स्टाफ ने बताया कि उनलोगों के रहने के लिए कोई इंतजाम नहीं है और न ही शौचालय व पेयजल की कोई व्यवस्था है .
प्राशमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रसव रूम में महज एक बेड
क्या कहते हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी
मुख्य बाजार के पीएचसी में संसाधनों का घोर अभाव है एवं चाह कर भी ढंग से इलाज नहीं हो पाता है, क्योंकि सारा संसाधन सीएचसी के नये बिल्डिंग में है. वरीय पदाधिकारियों को कई बार परेशानियों से अवगत कराया गया है. उचित निर्देश मिलने का इंतजार किया जा रहा है.ऐसे दो जगहों का चक्कर लगाने में मरीज व उसके परिजन भी परेशान होते हैं.
डॉ रोशन कुमार,प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी,पीएचसी,दिघवारा

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