छपरा : साधन कम हैं, प्रतियोगिता कड़ी, ऐसे में जरूरी नहीं कि आपका बच्चा बेहतर करे. परीक्षाओं में आशा के अनुरूप रिजल्ट नहीं आने या फिर असफल होने पर अभिभावक अपने बच्चे पर दबाव नहीं बल्कि लक्ष्य प्राप्ति में असफल होने वाली खामियों को ढूंढ़ उन्हें निरंतर प्रयास के द्वारा बेहतर करने के लिए प्रेरित करें. परीक्षा के परिणाम एक-दो दिनों में आने शुरू हो रहे हैं. ऐसे में अभिभावक ध्यान रखें कि परिणाम को लेकर थोड़ी-सी भी सख्ती बच्चों को डिप्रेशन का शिकार बना गलत फैसला लेने पर मजबूर कर सकती है और उनका भविष्य बरबाद हो सकता है.
असफलता ही सफलता की जननी होती है. इतिहास गवाह है कि देश-विदेश के महान व्यक्तियों को भी कई बार असफलता का सामना करना पड़ा, मगर वे असफलता से विचलित नहीं हुए एवं अपने लक्ष्य के प्रति निरंतर प्रयास के बदौलत अपने आपको देश व विदेश के मानचित्र पर स्थापित किया. दुनिया में वहीं सफल होगा,
जो सफलता पर न तो अति उत्साहित होगा और न असफलता पर हतोत्साह. बल्कि बगैर परिणाम की चिंता किये निरंतर बेहतर एवं अपने लक्ष्य प्राप्ति के प्रयास मे रहे. अभिभावकों की थोड़ी-सी असावधानी उनके सपनों को पूरा करने में बाधा उत्पन्न कर सकती है. बच्चों पर दबाव बनाने की जगह निष्ठा एवं सर्मपण के साथ पढ़ाई कर श्रेष्ठ स्थान बनाने के लिए प्रेरित करें.
बच्चों में पढ़ाई में अच्छा करने का दबाव बहुत ज्यादा होता है. इस वजह से बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. अभिभावक के सहयोग और परिवार में अच्छे माहौल की बदौलत बच्चे कठिन समय को भी अासानी से झेल लेते है.
मुझे बाहरवीं मेंं मात्र 60 प्रतिशत अंक हासिल हुए थे. मुझसे किसी को कोई उम्मीद नहीं थी. मगर मेरा आत्मविश्वास, माता-पिता का हर विपरीत परिस्थिति में बेहतर सहयोग, लक्ष्य के प्रति निष्ठा एवं समर्पण व निरंतर प्रयास की बदौलत पहले आइआइटियन बना. उसके बाद देश के सबसे प्रतिष्ठित माने जानेवाले भारतीय प्रशासनिक सेवा में सफलता अर्जित की. अंत में मैं छात्रों एवं अभिभावको को संदेश देना चाहता हूं कि सुनो सबकी, करो अपने मन की, तभी सफलता मिलेगी.