छपरा (सदर) : सरकार ने किसानों को सिंचाई की बेहतर सुविधा के मद्देनजर जिले के बंद पड़े 117 नलकूपों को चालू कराने व उनका संचालन मुखियों के माध्मय से कराने के उद्देश्य से गत मार्च में ही लघु सिंचाई विभाग ने मुखियों के खाते में करोड़ों की राशि भेजी है. परंतु, अब तक लघु सिंचाई विभाग की ओर से भेजी गयी 40 फीसदी राशि को खर्च कर उसका हिसाब तक नहीं दे रहे है. संबंधित मुखिया. ऐसी स्थिति में इस मद में शेष 60 फीसदी आयी राशि को लघु सिंचाई विभाग उपयोगिता प्रमाणपत्र मुखियों द्वारा नहीं दिये जाने के कारण नहीं दे रहा है.
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अब भी नहीं सुधरी नलकूपों की स्थिति
छपरा (सदर) : सरकार ने किसानों को सिंचाई की बेहतर सुविधा के मद्देनजर जिले के बंद पड़े 117 नलकूपों को चालू कराने व उनका संचालन मुखियों के माध्मय से कराने के उद्देश्य से गत मार्च में ही लघु सिंचाई विभाग ने मुखियों के खाते में करोड़ों की राशि भेजी है. परंतु, अब तक लघु सिंचाई […]
ऐसी स्थिति में जिले के 377 नलकूपों में से 100 चालू नलकूपों को छोड़कर शेष 117 नलकूपों के मरम्मत और रिपेयरिंग का कार्य नहीं होने से किसान काफी महंगे दर पर नीजी बोरिंग से पटवन करने को विवश है. गत सप्ताह डीएम के साथ बैठक में लघु सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि 117 नलकूपों की जो मरम्मत करायी जा रही है.
उनमें अबतक 22 का कार्य ही पूरा हो पाया है. इन सभी नलकूपों को मुखियों को हस्तांतरित कर राशि उपलब्ध कराते हुए मरम्मत का जिम्मा दिया गया है.
परंतु, 80 फीसदी मुखिया एक तो, 9 से 10 महीने से अपने खाते में परी नलकूप मरम्मत की राशि का न तो उपयोग कर रहें है और न विभाग को उपयोगिता प्रमाणपत्र दे रहे है. आखिर कैसे होगी किसानों के फसलों की सस्ते दर पर बेहतर सिंचाई. सरकार ने जहां प्रति कट्ठा 16 रुपये के दर से सिंचाई का रेट निर्धारित किया गया था.
वहीं निजी नलकूपों से पटवन कराने में 70 से 75 रुपये प्रति कट्ठा खर्च हो जाते है. इन सभी नलकूपों के मरम्मत व संचालन पर कुल 12 करोड़ 61 लाख रुपये ज्यादा खर्च होने है. इस मद में लघु सिंचाई विभाग द्वारा विभिन्न मुखियों के खाते पांच करोड़ चार लाख रुपये से ज्यादा रुपये भेजे गये है.
इन पंचायतों के मुखिया के खाते में दो लाख से साढ़े छह लाख तक गयी है राशि : लघु सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता आलोक प्रसाद के अनुसार जिन 177 नलकूपों की मरम्मत सिंचाई युक्त बनाने के लिए मुखियों के खाते में राशि उपलब्ध करायी गयी है. उनमें एकमा प्रखंड के रसूलपुर चट्टी, असहनी, बनपुरा, अतरसन, मांझी प्रखंड के भलुही बुजूर्ग, मांझी पूर्वी, बनियापुर के करही, रिविलगंज के कचनार, इनई, टेकनिवास, मोहब्बत परसा, मुकरेरा, छपरा सदर के डुमरी, मुसेपुर, चिरांद, विसुनपुरा, जलालपुर, दिघवारा के झौवा, हराजी, मानुपूर, बरूआ, सितलपुर, बस्तीजलाल, रामपुर आमी, दरियापुर के हरिहरपुर, प्रतापपुर, नाथा छपरा, पोझी खजौली, पिरारीडीह, बजहिया, महम्मदपुर, बेला, दरियापुर, मशरक के दुर्गोली, बहरौल, मशरक पश्चिमी, पानापुर प्रखंड के भोरहा, सतजोड़ा, कोंध, बसइयां, तरैया प्रखंड के चनचलिया, माधोपुर, तरैया, पचरौड़, चैनपुर, डुमरी, भटगाई, अमनौर के ढ़ोरलाही कैथल, पैगा मित्रसेन, धर्मपुर जाफर, कोरेया, कटसा, परसा प्रखंड के परसादी, परसौना, अन्याय, बनौता,मारर, बहरमारर, पचलख, मकेर प्रखंड के भाथा, तारा अमनौर, सोनपुर प्रखंड के सबलपुर मध्य, सबलपुर वेस्ट, कल्याणपुर, दुधैला, खरिका, डुमरी बुजूर्ग, परमानंदपुर, गोविंदचक, हासिलपुर, गोपालपुर, सैदपुर, नजरमिरा, भरपुरा, मढ़ौरा के नथुआ, रसूलपुर, बहुआरा पट्टी, अवारी, जलालपुर के अनवल, नगरा प्रखंड के पटेढ़ा, डुमरी, गड़खा प्रखंड के बाजीतपुर, रामपुर, पचपटिया, इटवा, मिरपुर जुआरा शामिल है. इनमें से अधिकतर मुखियों द्वारा बिना काम कराये ही नलकूपों की मरम्मत की सूचना दे दी गयी है.
क्या कहते हैं कार्यपालक अभियंता
गत वर्ष 2019 के मार्च में शुरू हुई इस योजना के तहत मार्च महीने में ही सभी 117 नलकूपों की मरम्मत के लिए विभिन्न प्रखंडों के संबंधित नलकूपों वाले मुखिया के खाते में राशि दो लाख से उपर छह लाख रुपये तक भेजी गयी है.
परंतु, अधिकतर द्वारा अभी तक मरम्मत पर खर्च राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिये जाने के कारण दूसरे किस्त की राशि नहीं भेजी जा रही है. जैसे ही उपयोगिता प्रमाण मिलेगा. राशि उपलब्ध है संबंधित मुखिया के खाते में भेज दी जायेगी.
आलोक प्रसाद, कार्यपालक अभियंता, लघु सिंचाई प्रमंडल, सारण
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