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छपरा आते-आते थम जाती है ट्रेनों की रफ्तार

छपरा (सारण) : देश के महानगर दिल्ली, हावड़ा आदि स्टेशनों से भले ही अधिकांश ट्रेनें सरपट दौड़ती हो, लेकिन छपरा आते आते उनकी रफ्तार थम जाती है. पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी रेल मंडल की लापरवाही के कारण छपरा जंकशन के आसपास के स्टेशनों पर ट्रेनों को घंटों रोका जाता है और आउटर सिग्नल पर भी […]

छपरा (सारण) : देश के महानगर दिल्ली, हावड़ा आदि स्टेशनों से भले ही अधिकांश ट्रेनें सरपट दौड़ती हो, लेकिन छपरा आते आते उनकी रफ्तार थम जाती है. पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी रेल मंडल की लापरवाही के कारण छपरा जंकशन के आसपास के स्टेशनों पर ट्रेनों को घंटों रोका जाता है और आउटर सिग्नल पर भी रात के अंधेरे में खड़ी की जाती है

जिसके कारण ट्रेनों में लूटपाट की आशंका बनी रहती है. आलम तो यह है कि राजधानी एक्सप्रेस में सवार वीआइपी को पास कराने के चक्कर में महत्वपूर्ण ट्रेनों को छपरा- बलिया तथा छपरा- सोनपुर रेल खंड के विभिन्न स्टेशनों पर अन्य ट्रेनों को काफी देर तक रोक कर रखा जाता है. सर्द रातों में कोहरे के बीच ट्रेनों की लेट-लतीफी तो समझ आती है, लेकिन गरमी और बरसात में ट्रेनों को बेवजह तीन चार घंटे खड़ी करना समझ से परे है. रेल अधिकारी राजधानी एक्सप्रेस व मालगाड़ियों के अलावा किसी अन्य यात्री ट्रेनों के सवार यात्रियों के कोई महत्व नहीं देते हैं. इससे हजारों यात्रियों को प्रतिदिन फजीहत होती है. अकारण ट्रेनों

को गौतम स्थान स्टेशन पर खड़ा कर दिया जाता है. लोकमान्य तिलक टर्मिनल से दरभंगा जाने वाली एक्सप्रेस, गरीब रथ सहित मालगाड़ियों को गौतम स्थान स्टेशन पर खड़ा करना आम बात है. डाउन राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन के गुजरने का समय हाजीपुर से लेकर बलिया तक ट्रेनों को जहां तहां रोक दिया जाता है. सीवान की तरफ से छपरा जंक्शन आने वाली ट्रेनों को आउटर सिग्नल पर रात में घंटों रोक कर रखना आम बात है. इसके अलावा टेकनिवास स्टेशन वीरान है. छपरा रेलवे स्टेशन पर विलंबित ट्रेनों की सही जानकारी नहीं दी जाती है.

विलंबित ट्रेन भले दस किमी दूर खड़ी हो, लेकिन विभागीय कर्मचारी सही जानकारी देने में असमर्थ दिखते है. ट्रेन एक घंटे से लेकर पांच घंटे तक विलंबित हो सकती है. कर्मचारी भी पल्ला झाड़ लेते है कि उनको सही जानकारी नहीं मिल रही है.
सख्ती के बाद हुआ था सुधार
छपरा जंकशन रेलवे स्टेशन पर बीते साल निरीक्षण करने पहुंचे रेल महाप्रबंधक के संज्ञान में जब मामला आया, तो विभागीय कर्मचारियों को जम कर लताड़ लगी थी. इसके बाद कई माह तक ट्रेनों के आवागमन में काफी सुधार हो गया था. लेकिन थोड़े दिन बाद फिर स्थिति जस की तस बन गयी है.
अधिकारी ट्रेनों के बढ़ते दबाव व रेलवे ट्रैक की कमी का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेते है. ट्रेनों के दबाव ज्यादा होने के कारण विलंबित होने का क्रम बना रहता है. खासकर शाम से लेकर देर रात तक ट्रेनों का काफी दबाव रहता है. इससे कुछ ट्रेनें विलंबित हो जाती है.
सख्ती के बाद हुआ था सुधार
छपरा जंकशन रेलवे स्टेशन पर बीते साल निरीक्षण करने पहुंचे रेल महाप्रबंधक के संज्ञान में जब मामला आया, तो विभागीय कर्मचारियों को जम कर लताड़ लगी थी. इसके बाद कई माह तक ट्रेनों के आवागमन में काफी सुधार हो गया था. लेकिन थोड़े दिन बाद फिर स्थिति जस की तस बन गयी है.
अधिकारी ट्रेनों के बढ़ते दबाव व रेलवे ट्रैक की कमी का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेते है. ट्रेनों के दबाव ज्यादा होने के कारण विलंबित होने का क्रम बना रहता है. खासकर शाम से लेकर देर रात तक ट्रेनों का काफी दबाव रहता है. इससे कुछ ट्रेनें विलंबित हो जाती है.
क्या कहते हैं अधिकारी
छपरा- औड़िहार रेल खंड के दोहरी करण तथा विद्युतीकरण का कार्य चल रहा है. इस कार्य के पूर्ण होने पर स्थिति में सुधार हो जायेगा. साथ ही छपरा जंकशन पर तीन नये प्लेटफॉर्म का निर्माण कराया जा रहा है.
अशोक कुमार, रेलवे जनसंपर्क अधिकारी, वाराणसी मंडल, पूर्वोत्तर रेलवे

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