पेयजल संकट. मरम्मत के अभाव में पड़ा है बेकार
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जिले में जमींदोज होने के कगार पर 1900 तारा पंप
पेयजल संकट. मरम्मत के अभाव में पड़ा है बेकार समस्तीपुर : लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की ओर से गाड़े गये तारा पंप पर जमींदोज होने का खतरा मंडराने लगा है. इन चापाकलों की मरम्मत के लिये विभाग के पास कल पुर्जे ही उपलब्ध नहीं हैं. इसके बाद इनके मरम्मती का कार्य लगभग ठप हो चुका […]
समस्तीपुर : लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की ओर से गाड़े गये तारा पंप पर जमींदोज होने का खतरा मंडराने लगा है. इन चापाकलों की मरम्मत के लिये विभाग के पास कल पुर्जे ही उपलब्ध नहीं हैं. इसके बाद इनके मरम्मती का कार्य लगभग ठप हो चुका है.
पीएचइडी विभाग को इनकी मरम्मत के लिए न तो राशि मिल पा रही है और न ही बाजार से कल पुर्जे खरीदने के लिए आवंटन ही उपलब्ध कराया जा रहा है. इसके बाद जिले के लगभग 1900 तारा पंप आज जमीन के गर्त में समाने को तैयार हैं. एक तो पेयजल समस्या सुरसा की तरह मुंह बाये खड़ी है. वहीं लोगों को साफ व स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने वाले तारा पंप की हलक सूखी हुई है. गांव में तो यह गड़े हुए हैं, मगर अब सिर्फ अब इसके आंकड़े ही बचे हैं .
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता धीरज कुमार सिंह ने बताया कि जो भी तारा पंप बंद हो रहें हैं, उन्हें वापस दुरुस्त करना मुनासिब नहीं है. इसकी जगह इन तारा पंप की जगह आइएम तीन मार्क के चापाकल गाड़े जा रहे हैं. इनकी मरम्मत का अब कोई उपाय विभाग के पास शेष नहीं बचा हैं. ऐसे में जो लोग पेयजल के लिए इन चापाकलों पर निर्भर हैं इन्हें आइएम तीन मार्क के चापाकल से पानी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा हैं. बताते चलें कि तारा पंप विगत वर्षों में विभाग की पहली पसंद हुआ करती थी. एक तो यह लगभग 19 फु ट की गहराई से भी पानी खींच सकता है. वहीं इस चापाकल से निकलने वाली पानी की गुणवत्ता भी काफी स्वच्छ व साफ हुआ करती थी. जिले में बंद पड़े चापाकलों की मरम्मत के लिये लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को लगभग 13 लाख की राशि विभाग ने उपलब्ध करायी है. इसमें 4510 चापाकलों की मरम्मत का लक्ष्य विभाग को दिया गया है. इस बाबत कार्यपालक अभियंता का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो चापाकलों की मरम्मत के लिये और भी राशि जिले को मिल सकती है.
मरम्मत के लिए नहीं उपलब्ध हो रहे कल पुर्जे
19 फुट की गहराई से खींचता था पानी
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