विरासत. औरंगजेब के शासनकाल में बनी थी ठाकुरबाड़ी
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दरभंगी खां ने दान में दी थी 32 एकड़ जमीन
विरासत. औरंगजेब के शासनकाल में बनी थी ठाकुरबाड़ी वारिसनगर : थाना क्षेत्र के डरसुर ठाकुरबाड़ी से मूर्ति चोरी की घटना से लोग परेशान हैं. मुगल काल में स्थापित इस ठाकुरबाड़ी में करीब नौ पीढ़ी पहले स्थापित अष्टधातु मूर्तियों की चोरी से ग्रामीण सहमे हैं. गांव के 70 वर्षीय सूरज राय और 75 वर्षीय रघुवीर मंडल […]
वारिसनगर : थाना क्षेत्र के डरसुर ठाकुरबाड़ी से मूर्ति चोरी की घटना से लोग परेशान हैं. मुगल काल में स्थापित इस ठाकुरबाड़ी में करीब नौ पीढ़ी पहले स्थापित अष्टधातु मूर्तियों की चोरी से ग्रामीण सहमे हैं. गांव के 70 वर्षीय सूरज राय और 75 वर्षीय रघुवीर मंडल बताते हैं कि करीब आठ-नौ पुश्त पहले इस जगह सभी मूर्तियों की स्थापना की बात इन लोगों ने बचपन में सुनी थी. मूर्ति चोरी की बात पूछने पर बताते हैं कि इस मठ के नाम कुल 32 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री है.
इसे ठेका पर कई लोग जोतते हैं. गांव के युवा कुणाल सिंह ने बताया कि यह चोरी एक बदला लगता है. बताया कि महंथ द्वारा मनमाने ढंग से बिना किसी से पूछे किसी को जमीन ठेका पर दिया जाता है, तो किसी से छीन लिया जाता है. उन्होंने कहा कि संभवत: उसी का बदला प्रतीत होता है. गांव के करीबी जानकार मनोज कुमार सिंह ने बताया कि औरंगजेब के शासन काल में दरभंगा महाराज ने करीब पांच सौ वर्ष पूर्व ठाकुरबाड़ी मठ के नाम 32 एकड़ जमीन दान में रजिस्ट्री की थी.
उन्होंने बताया कि इस मंदिर में उसी वक्त पूर्वजों के कथानुसार सभी मूर्तियों की स्थापना की गयी थी. इसमें तीन मूर्ति डेढ़-डेढ़ फुट की व बाकी एक-एक फुट की थी. उन्होंने बताया कि संभवत: इसकी कीमत ढाई से तीन करोड़ होगी. ठाकुरबाड़ी व मूर्तियों की प्राचीनता के कारण यह लोगों की आस्था में रची बसी है. अब मूर्ति के चोरी होने से लोगों में किसी अनिष्ट को लेकर आशंका हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस जल्द से जल्द चोरों का पता लगा कर मूर्तियों को वापस ठाकुरबाड़ी में स्थापित करायें.
आठवें गुरु पुत्र हैं महंथ व रसोइया : परंपरा के अनुसार यहां के मुख्य पुजारी व रसोइया की तैनाती गुरु पुत्र के अनुसार होती है. बताते हैं कि महंथ की यहां के महंथ गुरु पिता के अनुसार होती है. महंथ अपना उतराधिकारी खुद चुनते हैं. उन्होंने बताया कि उनके गुरु पिता स्व राम स्वरूप दास ने उन्हें अपना गुरु पुत्र बनाते हुए सन 1971 में उनको महंथ बनाया था.
नौ पीढ़ी पहले लायी गयी थीं मूर्तियां
तीन वर्षों में मूर्ति चोरी की यह चौथी घटना
विगत तीन वर्षों की बात करें, तो क्षेत्र में मूर्ति चोरी की ये चौथी घटना है. हालांकि, एक में मामले को दर्ज नहीं कराया गया था. फिर भी आज तक पुलिस की हाथ खाली है. न तो कहीं से मूर्ति की बरामदगी की जा सकी है और न ही किसी नतीजे पर पुलिस अभी तक पहुंची है. बताते चलें कि 22 मार्च 2014 की रात्रि अज्ञात चोरों ने रायपुर पंचायत के चंदौली गांव स्थित राम जानकी मंदिर से राम, जानकी, सीता व हनुमान की पुरानी अष्टधातु की मूर्ति गेट तोड़कर चोरी कर ली थी. 25 मई 2015 की रात्रि हजपुरवा गांव स्थित बाबा फलहारी मंदिर से सात अज्ञात चोरों ने मंदिर के पुजारी का पैर हाथ बांधकर उन्हें ईथर सुंघाकर बेहोश कर दिया था. करीब 10 लाख रुपये मूल्य के 17 अष्टधातु की मूर्तियों की चोरी कर ली. वर्ष 2014 में ही रायपुर मंदिर से करीब ढाई-तीन फुट की अष्टधातु की भगवान बुद्ध की प्राचीन मूर्ति की चोरी कर ली गयी थी. इस मामले में सिर्फ एक सनहा दर्ज है.
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