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स्मार्ट विलेज के रूप में बदला जननायक का गांव

समस्तीपुर : जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर पश्चिम में अवस्थित है पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर का गांव. पहले इस गांव का नाम पितौझिया था, अब इसे कर्पूरीग्राम के रूप में लोग जानते हैं. समस्तीपुर से ताजपुर जाने वाली सड़क के मध्य में यह गांव पड़ता है. जननायक के घर पर जाने के लिये दो रास्ते […]

समस्तीपुर : जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर पश्चिम में अवस्थित है पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर का गांव. पहले इस गांव का नाम पितौझिया था, अब इसे कर्पूरीग्राम के रूप में लोग जानते हैं. समस्तीपुर से ताजपुर जाने वाली सड़क के मध्य में यह गांव पड़ता है. जननायक के घर पर जाने के लिये दो रास्ते हैं. एक चांदोपुर से कर्पूरीग्राम स्टेशन जाने वाली सड़क से होकर तो दूसरी कर्पूरीग्राम गांव में जाने वाली मुख्य सड़क से होकर. यूं कहे रिंग रोड के रूप में ये सड़कें हैं. जननायक कर्पूरी ठाकुर बेहद गरीब परिवार से थे.

उनका जीवन गरीबी में बीता. बिहार के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उनका घर देखकर लोग दंग रह जाते थे. फूस के घर में वे सपरिवार रहते थे. यही वजह है कि उन्हें गुदरी के लाल की उपमा से विभूषित किया गया. गरीबी में खुद जीने वाले कर्पूरी जी देश के गरीबों की आवाज को हमेशा बुलंद करते रहे. उनके घर तक पहुंचने के लिये पगडंडी थी. जीवनभर वे साधारण कपड़े ही पहनें. यही वजह है कि आज भी उन्हें गरीबों का नेता कहा जाता है. बेजुवानों की आवाज कहकर बुलाते हैं.

समाज के पिछड़े एवं अतिपिछड़े वर्ग की हिमायती बताते हैं. 24 जनवरी को उनकी 93 वीं जयंती हैं. सरकारी समारोह के रूप में उनकी जयंती मनायी जाती है. हर साल सर्वधर्म प्रार्थना सभाएं होती है. मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश के कई बड़े नेता इसमें शिरकत करते हैं. उनके आदर्श पर चलने का संकल्प लेते हैं. इस बार भी काफी लोग जुटेंगे. कई नेता भाग लेंगे. इसको लेकर तैयारी जोरशोर से चल रही है.

गांव की सड़कों को देख मन हो जायेगा गद्गद : बदलाव प्रकृति का नियम है. समय के साथ बदलाव आता है. लोगों में बदलाव होता है, समाज में बदलाव होता है. यदि बदलाव सकारात्मक दिशा में हो तो निश्चित रूप से यह ऊंचाई पर ले जाता है. जननायक के पैतृक गांव में पिछले कुछ सालों में हुए बदलाव देखने लायक है. गांव की सड़कें ऐसी की आप देखकर दंग रह जायेंगे. चौड़ी एवं चिकनी सड़क पर सरपट वाहन दौड़ती है. सड़क के दोनों ओर सफेद रंग की पट्टी इसकी खूबसूरती में और निखार लाती है. यूं कह सकते हैं कि इस तरह की अच्छी सड़कें जिले के शायद की कुछ गांवों को अब तक नसीब हो सकी हो. कर्पूरीगांव के लगभग सभी घरों में बिजली की रौशनी पहुंचती है. हर घर नल से जल पहुंचाने की योजना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही कुछ माह पहले शुरू किये हों, पर इस गांव में जगह जगह नल के पोस्ट को आप देख सकते हैं. यानि एक स्मार्ट विलेज की जो बुनियादी जरूरत होती है, वह इस गांव में मुहैया हो चुकी है. शिक्षा के लिये प्राथमिक से लेकर डिग्री स्तर तक के कॉलेज इस गांव में मौजूद हैं. स्वास्थ्य के लिये प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी हैं. गांव में भारतीय स्टेट बैंक की शाखा भी है. डाकघर तो पहले से ही मौजूद हैं. एक पेट्रोल पंप भी तैयार हो रहा है.
रैक प्वाइंट से आयी गांव में खुशहाली : गांव की खुशहाली का यदि कोई आधार है, तो वह है रेलवे स्टेशन. कर्पूरीग्राम रेलवे स्टेशन पर रैक प्वाइंट हैं. समस्तीपुर समेत अन्य आसपास के कई जिलों का माल यही पर उतरता है. शहर के कारोबारी का माल फैक्टरी से सीधा कर्पूरीग्राम में ही पहुंचता हैं. वहां से ढुलवाकर लोग अपने दुकान या प्रतिष्ठान तक लाते हैं. मेटल, चिप्स हो या फिर बालू, सीमेंट, छड़. इसी स्टेशन के रैक प्वाइंट पर उतरते हैं. इस वजह से यहां पर दर्जनों ट्रक एवं ट्रैक्टर प्रतिदिन चलते रहते हैं. कई बड़े व्यापारियों ने अपना गोदाम इसी गांव में बना रखा है. इसके कारण कर्पूरीग्राम सहित आसपास के सैकड़ों बेरोजगार युवकों को रोजगार मिल रहा है. खेतीबारी के साथ साथ छोटे-मोटे कारोबार या मजदूरी कर यहां के लोग अपना जीवन निर्वाह कर रहे हैं. समस्तीपुर शहर से नजदीक रहने के कारण कर्पूरीग्राम तक लोगों को शहरी क्षेत्र ही दिखता है.
स्मृति भवन का चल रहा रंग रोगन
जननायक की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को लेकर स्मृति भवन का रंगरोगन का कार्य चल रहा है. 5 लाख 5 हजार की लागत से कर्पूरीजी की झोपड़ी के स्थान पर सामुदायिक भवन का निर्माण कराया गया था. उस सामुदायिक भवन को स्मृति भवन के रूप में लोग जानते हैं. सर्वधर्म प्रार्थना सभा इसी में आयोजित होता है. इसको लेकर तैयारी चल रही है. स्मृति भवन तक जाने के लिये कुछ साल पहले पक्की सड़क बना दी गयी है, जो मुख्य सड़क को जोड़ती है. पंडाल का निर्माण भी किया जा रहा है. इसके अलावा जीकेपी कॉलेज, हाइ स्कूल प्रांगण में भी तैयारी की जा रही है. जननायक का तैल चित्र एवं प्रतिमा यहां पर अवस्थित है. दर्जन भर से अधिक मजदूर इन दोनों जगहों पर तैयारी को अंतिम रूप देने में जुटे हैं.

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