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एजेंसी को पहुंचाया 16.50 लाख का लाभ

आर्सेनिक प्रभावित 14 गांवों को शुद्ध पेयजल पहुंचाने में की गयी गड़बड़ी वित्तीय वर्ष 2010-11 में भी पीएचइडी में हुई गड़बड़ी सीएजी वर्ष 2012 में किये गये अंकेक्षण में मिलीं खामियां मामला पीएचइडी में 120 करोड़ रुपये के घोटाले का समस्तीपुर : विभागीय नियमों की अनदेखी कर पीएचइडी ने गुड़गांव की एक कंपनी को 16.50 […]

आर्सेनिक प्रभावित 14 गांवों को शुद्ध पेयजल पहुंचाने में की गयी गड़बड़ी

वित्तीय वर्ष 2010-11 में भी पीएचइडी में हुई गड़बड़ी
सीएजी वर्ष 2012 में किये गये अंकेक्षण में मिलीं खामियां
मामला पीएचइडी में 120 करोड़ रुपये के घोटाले का
समस्तीपुर : विभागीय नियमों की अनदेखी कर पीएचइडी ने गुड़गांव की एक कंपनी को 16.50 लाख का फायदा पहुंचा दिया. यह राशि कस्टम ड्यूटी के रूप में इस कंपनी से काटी जानी चाहिए थी, किंतु वह काटा नहीं गया. यह गड़बड़ी जिले के 15 आर्सेनिक प्रभावित गांवों में शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप से जलापूर्ति के लिए संचालित योजना में की गयी. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता ने अपनी निविदा में यह शर्तें दे रखी थी कि जो निर्धारित दरें हैं, उसमें सभी प्रकार के टैक्स सहित है. इसके बाद मे. पंज एल लाॅयड गुड़गांव के द्वारा डाली गयी निविदा को स्वीकार कर लिया गया.
पीएचइडी में 120 करोड़ रुपये के हुए घोटाले में यह बात सामने आयी है. सबसे बड़ी बात यह है कि कार्य पूरा होने के बाद उक्त एजेंसी से कस्टम कर के रूप में 16 लाख 48 हजार 862 रुपये की कटौती की जाने चाहिए थी. पर, ऐसा नहीं किया गया. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि अनियमित निविदा के कारण की भी सरकार पर 20.10 लाख रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा है. यह आर्सेनिक एवं फ्लोराइड प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में 50 स्थानों पर ग्रामीण जलापूर्ति के लिए पाइप से पानी पहुंचाने की योजना में हुआ है. वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने एवं पाइप के माध्यम से पानी पहुंचाने की योजना में सरकार को कस्टम ड्यूटी का नुकसान उठाना पड़ा है.
भूमि अधिग्रहण हुआ नहीं, शुरू करा दिया काम : सीएजी ने यह भी कहा कि आपातकालीन स्थिति को छोड़कर शेष सभी कार्यों के लिए सरकार का स्पष्ट प्रावधान है कि बगैर भूमि अधिग्रहण के कोई भी कार्य शुरू नहीं किया जाये. बावजूद मिनी वाटर सप्लाई योजना की शुरुआत बगैर भूमि का अधिग्रहण किये ही शुरू कर दिया गया. सीएजी ने विभागीय पदाधिकारी द्वारा इसकी सफाई में कही गयी बातों का भी उल्लेख किया है. इसमें कहा गया है कि कार्य को प्रारंभ करना जरूरी था. इसलिए किसानों से शपथ पत्र लेकर इसकी शुरुआत कर दी गयी.
चार योजनाओं पर 137.23 लाख का व्यय : विभिन्न कारणों से ठप पड़े वाटर पंपों को चालू करने के लिये पीएचइडी ने सरकार को प्रस्ताव भेजा. सरकार को भेजे गये प्रस्ताव में कहा गया कि वाजिदपुर, माहे सिंघिया एवं जटमलपुर में बिजली ट्रांसफॉर्मर जल जाने के कारण आपूर्ति बाधित है. वहीं रहुआ में चोरों ने विद्युत तारों की चोरी कर ली. इन स्थानों पर सोलर सिस्टम या अन्य ऊर्जा आधारित पंप को फिर से चालू करने के लिए सरकार ने 14890 लाख रुपये की मंजूरी दे दी.
एनआइटी द्वारा निविदा निकाली गयी. कई एजेंसियों को निविदा दी गयी. सबसे बड़ी बात यह है कि ओरिजनल स्टीमेट पर इन एजेंसियों के साथ एकरारनामा नहीं किया गया. बाद में उस स्टीमेट को क्षेत्रीय मुख्य अभियंता के द्वारा रिवाइज कर दिया गया. अलग-अलग चीजों के लिए अलग-अलग एजेंसियों को कार्य आवंटित कर दिया गया. सीएजी ने इस मामले में हुई गड़बड़ी को काफी विस्तार से सरकार को सूचित किया है. किस प्रकार विभागीय नियमों की अनदेखी कर लूट की गयी, उसे रेखांकित किया है.
बघरा व भागवतपुर की योजनाओं में 35 लाख रुपये का नुकसान
सीएजी ने कहा है कि फ्लोराइड प्रभावित चार स्थानों पर पेयजल आपूर्ति के लिए बनायी गयी योजना में बघरा व भागवतपुर की योजना में विभाग ने अनियमित एवं गैर जरूरी चीजों पर व्यय कर सरकार को 35 लाख रुपये नुकसान पहुंचाया है. सीएजी ने कहा है कि फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्र में इस योजना को लगाया गया, जहां आर्सेनिक की मात्रा 50 प्रतिशत से कम थी. इतना ही नहीं, इन दोनों गांवों की योजना पर एक लाख रुपये का अधिक भुगतान संवेदक को कर दिया गया.
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फ्लोराइड प्लांट के लिये 17 लाख 50 हजार रुपये पर एग्रीमेंट किया गया, जबकि आर्सेनिक प्लांट पर 17 लाख रुपये. इससे स्पष्ट होता है कि एक लाख रुपये का अधिक भुगतान इस मद में किया गया है. सीएजी ने यह भी कहा है कि विलंब से कार्य पूरा करने के कारण संवेदक से कटौती की जानी चाहिए, जबकि संवेदक को 6.55 लाख का लाभ पहुंचा दिया गया.
38 जगहों पर प्लांट लगाने का निर्णय
सीएजी ने यह भी कहा है कि आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों प्लांट लगाने के दौरान प्राथमिकता निर्धारित नहीं की गयी. ऐसे जगहों पर भी आर्सेनिक दस प्लांट इंस्टॉल किये गये, जो आर्सेनिक से प्रभावित नहीं है. संवेदक को जहां मन हुआ वहां पर उसने इस प्लांट का इंस्टॉल कर दिया. पीएचइडी द्वारा किये गये टेस्ट रिपोर्ट में पहले से इस बात का जिक्र है. सीएजी ने इसका जिक्र करते हुए कहा है कि कन्या मध्य विद्यालय जलालपुर, राजकीय मध्य विद्यालय हनुमाननगर, उमवि कल्याणपुर,
राजकीय मध्य विद्यालय विद्यालय मस्तानपुर, प्राथमिक विद्यालय हरपुर बोचहा, मध्य विद्यालय हरपुर बोचहा, राजकीय मध्य विद्यालय मिर्जापुर एवं मिथिलेश ठाकुर हेतनपुर इसके उदाहरण हैं. सीएजी ने आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों के बारे में पीएचइडी की रिपोर्ट का भी हवाला दिया है, जिसमें इन जगहों पर आर्सेनिक नहीं पाये जाने की बात कही गयी है.

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