मनमानी. ऑटो व िनजी एंबुलेंस का कब्जा, हॉस्पिटल आने-जाने में होती परेशानी
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सदर अस्पताल परिसर बना स्टैंड
मनमानी. ऑटो व िनजी एंबुलेंस का कब्जा, हॉस्पिटल आने-जाने में होती परेशानी इमरजेंसी के मुख्य द्वार पर भी खड़ी रहती गाड़ी सब कुछ जानने के बावजूद उदासीन है स्वास्थ्य प्रशासन ज्यादातर वाहन हैं स्वास्थ्य कर्मियों व रिश्तेदारों के समस्तीपुर : स्थानीय सदर अस्पताल में डॉक्टर व दवा भले मिले न मिले, लेकिन दरभंगा, पटना जाने […]
इमरजेंसी के मुख्य द्वार पर भी खड़ी रहती गाड़ी
सब कुछ जानने के बावजूद उदासीन है स्वास्थ्य प्रशासन
ज्यादातर वाहन हैं स्वास्थ्य कर्मियों व रिश्तेदारों के
समस्तीपुर : स्थानीय सदर अस्पताल में डॉक्टर व दवा भले मिले न मिले, लेकिन दरभंगा, पटना जाने के लिए वाहन जरूर उपलब्ध हो जायेंगे. वह भी अस्पताल परिसर के अंदर इमरजेंसी के द्वार पर. या कहें कि इन दिनों सदर अस्पताल परिसर अवैध ऑटो व कार-बोलेरो स्टैंड में तब्दील हो गया है. इससे अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. खास कर इमरजेंसी में पहुंचने वाले मरीजों को. कारण, इमरजेंसी के मुख्य द्वार से लेकर पुराने पॉर्टिकों तक ऑटो वाले लाइन से वाहन लगाकर इस इंतजार में रहते हैं कि कौन सा मरीज रेफर हो रहा है.
रेफर होने वाले मरीजों व परिजनों पर इस कदर टूट पड़ते हैं, जैसे स्टेशन व बस स्टैंडों में वाहन चालक यात्रियों को अपनी गाड़ी में बैठाने के लिए अपनी-अपनी ओर खींचने लगते हैं. महीनों से चल रहे इस गोरख धंधे के बारे में पूरा स्वास्थ्य महकमा जानता है, लेकिन कोई अवैध स्टैंड को खत्म कराने की दिशा में कार्रवाई नहीं कर रहा.
सदर अस्पताल परिसर में लगे वाहन.
अस्पताल परिसर में अवैध व्यावसायिक वाहन लगाये जा रहे हैं, तो उसे परिसर से बाहर कराया जायेगा. मामले की जांच कर होगी कार्रवाई.
डॉ अवध कुमार , सिविल सर्जन
अस्पताल में अवैध स्टैंड के संचालन की उनके पास सूचना नहीं है. मामले की जांच कर कार्रवाई की जायेगी.
एचएन सिंह, नगर इंस्पेक्टर
ज्यादातर स्वास्थ्यकर्मी व रिश्तेदारों के हैं वाहन
चर्चा है कि अस्पताल परिसर में लगने वाले वाहन ज्यादातर स्वास्थ्य कर्मचारियों व उनके रिश्तेदारों के हैं, जो अस्पताल परिसर में वाहन को लगाकर उसका व्यावसायिक संचालन कराते हैं. परिसर में अवैध रूप से लगने वाला एंबुलेंस भी ज्यादातर स्वास्थ्य कर्मियों के हैं, जिससे रेफर किये गये मरीजों यह कह कर उसमें बैठाया जाता है कि सरकारी एंबुलेंस खराब है. रास्ते में कहां बैठ जायेगा कोई गारंटी नहीं है. जल्द पटना पहुंचना है, तो प्राइवेट सेवा का उपयोग कीजिए.
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