सदर अस्पताल. लंबे इंतजार के बाद दवा खरीद का रास्ता साफ
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ढाई करोड़ की दवा की होगी खरीदारी
सदर अस्पताल. लंबे इंतजार के बाद दवा खरीद का रास्ता साफ समस्तीपुर : सदर अस्पताल से दवा के बगैर घर लौटने वाले मरीजों के लिए खुशखबरी है. मरीजों को अस्पताल के ओपीडी व इमरजेंसी में सभी प्रकार की दवाएं मिलने लगेंगी. हालांकि, मरीजों को अभी कुछ दिन और इंतजार करना होगा. दवा खरीदारी के लिए […]
समस्तीपुर : सदर अस्पताल से दवा के बगैर घर लौटने वाले मरीजों के लिए खुशखबरी है. मरीजों को अस्पताल के ओपीडी व इमरजेंसी में सभी प्रकार की दवाएं मिलने लगेंगी. हालांकि, मरीजों को अभी कुछ दिन और इंतजार करना होगा. दवा खरीदारी के लिए विभाग ने निविदा निकाली है. विभाग ने सदर अस्पताल के अलावा अनुमंडलीय अस्पताल, रेफरल अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व विभिन्न स्वास्थ्य इकाइयों की दवा के अलावा रसायन, मशीन उपकरण,उपस्कर व सामग्री खरीदारी के लिए टेंडर निकाला है. इसके तहत 21 दिनों के अंदर निविदा डालने का निर्देश दिया है.
सूत्रों ने बताया कि सिर्फ दवा की खरीदारी पर करीब ढाई करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. दवा खरीदारी के बाद जिले के विभिन्न अस्पतालों को भेजा जायेगा. गौरतलब है कि सदर अस्पताल समेत जिले अस्पतालों में दवा का अभाव है. इससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यहां तक कि सदर अस्पताल में दर्द की दवा तक नहीं है. लोगों को बाहर से दवा खरीद कर लाना पड़ रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष में दवा की खरीदारी नहीं होने से तीन करोड़ रुपये सरेंडर कर गया था.
दवा के लिए आये दिन मरीज व परिजन करते हैं हंगामा
दवा नहीं मिलने से परेशान मरीज व उनके परिजन आये दिन सदर अस्पताल में हंगामा करते हैं. उस समय अजीबोगरीब स्थिति हो जाती है. जब कोई सड़क दुर्घटना में घायल मरीज दर्द से छटपटा रहा होता है, पर उसके साथ आने वाले लोगों को बाहर से दवा लाने को कहा जाता है.
निकला टेंडर
दवा के अलावा मशीन, उपकरण व अन्य चीजों की होगी खरीदारी
स्वास्थ्य विभाग ने खरीदारी के लिए निकाला टेंडर
21 दिनों के अंदर पूरी होगी प्रकिया
सदर अस्पताल में दर्द की भी दवा नहीं
पिछले वित्तीय वर्ष में दवा की खरीदारी नहीं होने से सदर अस्पताल में दवा खत्म हो चुकी है. अस्पताल में दर्द की भी दवा नहीं है. इससे आये दिन मरीजों द्वारा हंगाम व स्वास्थ्य कर्मियों के साथ दवा के लिए अभ्रद व्यवहार भी किया जाता है. सूत्रों ने बताया कि इमरजेंसी में पट्टी, रूई, टिंचर, दर्द की सूई तक नहीं है. जबकि यहां 34 प्रकार की दवाएं होनी चाहिए.
वहीं ओपीडी में 134 प्रकार की दवा के बदले सिर्फ पारासिटामोल दिया जाता है, जबकि डॉक्टर एक पूर्जा पर कम से कम तीन प्रकार की दवाएं लिखते हैं. आर्थिक रूप से संपन्न लोग तो बाहर से दवा खरीद लेते हैं, लेकिन गरीब मरीज बिना दवा के ही लौट जाते हैं.
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