रामेश्वर जूट मिल. श्रमिकों के पीएफ, इएसआइ कटौती व ग्रेच्युटी भुगतान से जुड़ा है मामला
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कहां गये मजदूरों के पांच करोड़
रामेश्वर जूट मिल. श्रमिकों के पीएफ, इएसआइ कटौती व ग्रेच्युटी भुगतान से जुड़ा है मामला कल्याणपुर : प्रबंधन द्वारा मजदूरों के वेतन भुगतान का दस प्रतिशत ग्रेच्युटी एवं इएसआइ मद में कटौती प्रतिमाह किया जा रहा है़ इसमें अब तक पीएफ में डेढ़ करोड़ रुपये, इएसआई में पचास लाख की कटौती की जा चुकी है़ […]
कल्याणपुर : प्रबंधन द्वारा मजदूरों के वेतन भुगतान का दस प्रतिशत ग्रेच्युटी एवं इएसआइ मद में कटौती प्रतिमाह किया जा रहा है़ इसमें अब तक पीएफ में डेढ़ करोड़ रुपये, इएसआई में पचास लाख की कटौती की जा चुकी है़ पिछले जुलाई माह से अब तक जहां पीएफ मद में डेढ़ करोड़ रुपये की कटौती मजदूरों के भुगतान से कटने के बावजूद उनके पीएफ एकाउंट में अब तक नहीं जमा हो पाया है.
वहीं अक्तूबर 2015 से इएसआइ मद में भुगतान से पचास लाख की कटौती की जा चुकी है, लेकिन इसे भी इएसआइ मद में अब नहीं जमा कराया जा सका है़ वहीं जनवरी 2010 से ग्रेच्युटी मद की साढ़े तीन करोड़ रुपये की राशि का भुगतान अब तक लंबित है़ इसमें दर्जनों मजदूर ग्रेच्युटी
भुगतान की आस में काल के गाल में समा चुके हैं, लेकिन इन्हें भुगतान नहीं मिल पाया है़
मजदूरों की मांग को मिल बंदी कर दबाने की हो रही कोशिश :
जब-जब मजदूर संघ अपनी लंबित मांगें एवं न्यायिक हक के लिए आवाज उठाती है तो प्रबंधन द्वारा मिल बंद कर देने की धमकी देकर मजदूरों की आवाज को दबाने की कोशिश की जाती है़ इसी के परिणामस्वरूप गत नौ जून को हुए समझौते एवं 17 जून को श्रम अधीक्षक के समक्ष हुए समझौते में दबाव बढ़ने लगा था और प्रबंधन द्वारा बार-बार लिखित समझौता कर तीनों मदों में लंबित भुगतान को अद्यतन कर देने की बात कही गयी़ लेकिन हर बार निर्धारित तिथि पर एक नया समझौता करने एवं नये तारीख मुकर्रर करने से संबंधित अधिकारियों में भी झल्लाहट साफ देखी जा
सकती है़
इसी संदर्भ में डीएलसी दरभंगा सुजीत कुमार का बताना है कि जूट मिल प्रबंधन द्वारा पांच से अधिक बार लिखित समझौता कर ग्रेच्युटी भुगतान की तिथि निर्धारित कर दी गयी थी, मगर अब तक भुगतान नहीं हो पाना अपराध के दायरे में है. इसके लिए प्रबंधन पर केस दर्ज करने के लिए आयुक्त को लिखा गया है. जैसे ही आयुक्त से हरी झंडी मिलेगी,
संबंधित अधिकारियों पर केस दर्ज करा दिया जायेगा़
कोर्ट तक जायेंगे
मजदूर यूनियन के महासचिव अमरनाथ सिंह का बताना है कि भारत सरकार के नियमानुसार मजदूर के वेतन मद से की गयी कटौती के बाद उसी माह पीएफ एवं इएसआइ एकाउंट पर संबंधित राशि नियोक्ता के द्वारा जमा कराया जाने का प्रावधान है़ लेकिन ऐसा नहीं करना संवैधानिक रूप से जायज नहीं है़ महथी पहल नहीं होने पर अदालत का दरवाजा भी खटखटायेंगे़
सोमवार से लटक सकता है रामेश्वर जूट मिल में ताला
मजदूर एवं प्रबंधन के बीच जारी पिछले एक माह से रस्साकसी के बीच अंतत: रामेश्वर जूट मिल बंदी के कगार पर पहुंच चुका है़ इस बात से न ही मजदूर यूनियन और न ही प्रबंधन से जुड़े लोग इनकार कर रहे हैं. हालांकि, प्रबंधन लगातार कच्चे माल की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए मिल को जारी रखने पर कई बार मामला उठा चुकी है़ लेकिन मजदूर यूनियन हर प्रकार की कुरबानी देने के बावजूद मिल को चालू रखने पर आतूर दिख रहा है़
वैसे मजदूर यूनियन नेता अमरनाथ सिंह एवं अध्यक्ष नौशाद आलम का बताना है कि प्रबंधन पूर्णत: मिल बंदी कर देने के मूड में दिख रही है. सोमवार से अगर मिल बंद हो इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है़ वहीं मिल प्रबंधन की ओर से बी एन झा का बताना है कि प्रबंधन की ओर से हर प्रकार का प्रयास किया जा रहा है कि मिल बंद नहीं हो़ लेकिन परिस्थितियां विपरीत दिख रही है़ ऐसे में इनकार भी नहीं किया जा सकता़
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