समस्तीपुर : शहर में आखिर किसका राज है. पुलिस प्रशासन का या इस शहर में गुंडाराज है ! यह अब आम शहरवासियों के लिये चर्चा का विषय बन गया है. आखिर क्या वजह है कि चंद गुंडों के आगे पुलिस नतमस्तक खड़ी है.
और हर घटना के बाद कुछ युवकों की जमानतीय धाराओं में गिरफतारी और मामला रफा दफा. गुंडे फिर से एक नई घटना की इबारत लिखने में जुट जाते है. रविवार की रात शहर के लक्ष्मी टाकीज में करीब एक घंटे तक जो कुछ होता रहा. उससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस शहर के लोगों को सुरक्षा देने में कितनी सफल है. वैसे मधुबनी जिले से आये कुमार कीर्ति ने शनिवार को ही नगर थानाध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया है. इसलिये उनके उपर उंगली उठानी जल्दबाजी होगी. लेकिन शहर की जो व्यवस्था पिछले दो साल में बन गयी है. रविवार की रात की घटना उसी का नतीजा है. पुलिस सूत्र भी मानते है कि पिछले दो वर्षो के दौरान एक खास तबके के लोगों की करतूतों पर पुलिस के आलाधिकारियों ने पर्दा ही डाला है.
जिसके कारण उनका मनोबल दिनों बढता गया और घटना दर घटना को वे लोग अंजाम देते गये. चाहे वह लक्ष्मी टाकीज की घटना हो या फिर वार्ड पार्षद राजू शर्मा के घर में घुसकर मारपीट का मामला या सरेशाम स्टेशन रोड में पचास की संख्या में जमा युवकों द्वारा एक युवक की पिटाई का मामला. जिसमें मौके पर पहुंचे एएसपी ने आधा दर्जन युवकों को गिरफतार भी किया था. लोगों की मानें तो ऐसी घटनाओं की लंबी फेहरिस्त है.
जब गुंडे आतंक मचाते रहते हैं. पुलिस मौके से हर बार नदारद रहती है.
संवेदनशील जगहों पर नहीं है सीसीटीवी : शहर के शिक्षण संस्थानों में ग्रामीण इलाकों से आने वाली बच्चियों की सुरक्षा को लेकर तत्कालीन एसपी बाबू राम की पहल के बाद शहर में संवेदनशील जगहों को चिन्हित कर वहां सीसीटीवी लगाने की कवायद शुरू हुई थी. इन चिन्हित स्थानों में काशीपुर के कई इलाकों के अलावा मगरदही घाट, स्टेशन रोड शामिल था.
लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. जबकि इसके लिये कई संस्थान भी आगे आये थे. वही बाबू राम के द्वारा शुरू किये गये आपरेशन मंजनू को भी उनके जाने के साथ ही बंद कर दिया गया. शहर के लोगों की मानें तो प्रशासन के द्वारा शहरवासियों के हित में शुरू की गयी योजना क्या अधिकारियों के बदले ही अहितकारी हो जाती है.