मोरवा. पानी के लिये त्राहिमाम कर रहे किसानों को सोमवार को थोड़ी राहत मिल गयी. बारिश ने उनके चेहरे पर मुस्कान ला दिया. बारिश के बाद कुछ किसान धान का बीज का हालचाल जानने बीज दुकानों पर देखे गये. किसानों के सुर आज कुछ बदले बदले से थे. किसानों का कहना है कि अगर हल्की बारिश भी होती रही है तो धान की खेती को बड़ा सहारा मिलेगा. बता दें कि विभाग भी चार हजार एकड़ में धान की खेती के लिये कृत संकल्प है. बीजों का वितरण हो चुका है. कम बारिश में भी कारगर साबित होने वाली पद्धति जीरो टिलेज और टांसप्लांटर किसानों के दरवाजे पर दस्तक दे चुका है. श्री विधि एवं अन्य विधि से की गयी धान की खेती का लाभ किसान ले चुके हैं. ऐसे में किसान भी धान की खेती से मुंह मोड़ पाने से कतरा रहे हैं. किसानों का कहना है कि धान की उपज बारिश की वजह से भने ही कम हो लेकिन इससे मवेशी के चारे की समस्या दूर हो जाती है. सीजन में जब भूसा 10 रुपये किलो हो जाता है तो किसानों का धान का पुआल ही बड़ा सहारा देता है. बारिश के बाद कुछ किसान अपने पुराने पड़े पंपसेटों को चालू करने की कवायद करने लगे हैं. बस थोड़ी तेज बारिश का इंतजार है. जैसे ही मौसम अनुकूल होगा किसान धान फसल उपजाने से बाज नहीं आयेंगे क्योंकि पिछले साल भी बारिश की इसी अनिश्चितता के कारण कई किसान धान का फसल उपजाने से वंचित रह गये थे.
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हल्की बारिश से किसानों को मिली राहत
मोरवा. पानी के लिये त्राहिमाम कर रहे किसानों को सोमवार को थोड़ी राहत मिल गयी. बारिश ने उनके चेहरे पर मुस्कान ला दिया. बारिश के बाद कुछ किसान धान का बीज का हालचाल जानने बीज दुकानों पर देखे गये. किसानों के सुर आज कुछ बदले बदले से थे. किसानों का कहना है कि अगर हल्की […]
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