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शहरी जलापूर्ति में नहीं हो सका सुधार

शहरी जलमीनार के अस्तित्व पर लगा प्रश्नचिह्नशहरी निकाय के पास जाने का खामियाजा उठा रहे लोगसमस्तीपुर. जिले की शहरी जलापूर्ति पूरी तरह बेकार हो चुकी है. गरमी का मौसम बीतने पर है मगर इसमें अब सुधार की गुंजाइश नहीं के बराबर दिख रही है. शहरी पेयजल व्यवस्था का मुख्य अंग दुर्दशा का शिकार हो चुका […]

शहरी जलमीनार के अस्तित्व पर लगा प्रश्नचिह्नशहरी निकाय के पास जाने का खामियाजा उठा रहे लोगसमस्तीपुर. जिले की शहरी जलापूर्ति पूरी तरह बेकार हो चुकी है. गरमी का मौसम बीतने पर है मगर इसमें अब सुधार की गुंजाइश नहीं के बराबर दिख रही है. शहरी पेयजल व्यवस्था का मुख्य अंग दुर्दशा का शिकार हो चुका है. इसका खामियाजा शहरी इलाकों में बसी लाख से अधिक की आबादी भुगत रही है. इस व्यवस्था ने जहां शहरी जलमीनार के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिह्न लगा दिया है. एक लाख गैलन का यह जलमीनार आज पानी की एक बूंद के लिये भी तरस रहा है. समाहरणालय के समक्ष यह सीना ताने खड़ा तो है. मगर पानी की सप्लाइ करना मानो इसके किस्मत में नहीं लिखा है. पीएचइडी की जगह अब इसके संचालन की जवाबदेही नगर परिषद के पास है. मगर इसे ठीक करने को लेकर एक भी बैठक आहूत नहीं हो सकी है. इस जलमीनार से काशीपुर से लेकर पूरा शहरी इलाकों में पानी देना वहीं अब यह सिर्फ अपने आस पास के 100 मीटर के दायरे में ही पानी दे पाता है. इस बाबत पीएचइडी के अधिकारियों का कहना है कि अभी इसमें पानी की सप्लाइ कचहरी कैंपस के बोरिंग से की जाती है. इसमें 12 एचपी का मोटर लगा है. इससे एक बार भी जलमीनार को भरना मुश्किल है. औसतन एक जलमीनार को पूरी तरह पानी से भरने पर 6 से 8 घंटों तक का समय लगता है. वहीं यह जलमीनार की डिजाइन ऐसी है कि यह दमकल को पानी सप्लाइ के लिये भी नहीं बना है. औसतन एक दमकल को भरने में 1.5 घंटे का वक्त लगता है. अगर एक से अधिक दमकल है तो इसे पानी देना संभव ही नहीं है. सरकारी सप्लाइ के कनेक्शन होने के बाद भी लोग पेयजल से महरुम हैं.

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