फोटो संख्या : 4मीठा व पका होने की मिल रही है गारंटीकेमिकल के प्रयोग से हो रहा खेलप्रतिनिधि, मोरवा बाजार में बिकने वाले तरबूज अब सौ फीसदी मीठा एवं पका होगा. चाहे आप इसे जहां से काटें सब जगह एक समान लाली एवं मीठापन पायेंगे. ऐसा ही कुछ इन दिनों सबका प्यारा तरबूज के साथ हो रहा है. सूत्रों की मानें तो इसमें सारा खेल केमिकल का है. बतातें चलें कि तरबूज की खेती मुख्यत: गंगा के तट एवं दियारा इलाका में होती है. इसमें 95 फीसदी पानी की मात्रा होती है. इधर सभी फलों पर केमिकल का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है. इसके परिणाम व्यापारियों के लिए काफी लाभदायक एवं लोगों के स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो रहे हैं. अब केमिकल के प्रयोग से तरबूजा भी अछूता नहीं रहा. इससे जुड़े लोग केमिकल के सहारे अपनी किस्मत चमकाने के जुगत में लगे हंै. सूत्र बताते हैं जब इसकी फसल तैयार होकर मंडियों में जाने को होती है तो इसके लाल होने के लिये एडिबल कलर एवं मीठापन के लिए सेक्रीन जैसे केमिकल सिरिंज के सहारे इसके अंदर डालकर गाडि़यों पर लोडकर इसे बाजारों में भेज दिया जाता है. एक दो दिनों में केमिकल अपना पूरा असर दिखता है और अपको शर्तिया पका एवं मीठा तरबूजा खाने को मिलता है. यहां गौर करने लायक बात यह है कि तरबूज के अंदर क्या है इसे बेचने बाला कैसे देख लेता है. बिना चखे और देखे ही सौ फीसदी गारंटी देता है और उसकी बात सही हो जाती है. हालांकि लोग इन सब बातों से ज्यादा इत्तेफाक नहीं रखते हैं और इसका उपयोग बड़े ही चाव से करते हंै. प्यास बुझाने के क्रम में अगर थोड़ा इधर उधर हो भी जाये तो लोग उस पर बहुत ध्यान नहीं दे रहे हैं.
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केमिकल से अछूता नहीं रहा तरबूज
फोटो संख्या : 4मीठा व पका होने की मिल रही है गारंटीकेमिकल के प्रयोग से हो रहा खेलप्रतिनिधि, मोरवा बाजार में बिकने वाले तरबूज अब सौ फीसदी मीठा एवं पका होगा. चाहे आप इसे जहां से काटें सब जगह एक समान लाली एवं मीठापन पायेंगे. ऐसा ही कुछ इन दिनों सबका प्यारा तरबूज के साथ […]
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