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सिंघिया में नौ फीट खिसका जलस्तर
गरमी की तपिश ने भूजल स्तर में गिरावट लाना शुरू कर दिया है. बीते दिनों में हुई हल्की बारिश व बूंदाबांदी का असर तो कई प्रखंडों में दिखा है, लेकिन सिंघिया प्रखंड में सर्वाधिक जलस्तर नौ फीट से ज्यादा नीचे खिसक गया है. इसे इलाके में पेयजल संकट का संकेत माना जा रहा है. समस्तीपुर. […]
गरमी की तपिश ने भूजल स्तर में गिरावट लाना शुरू कर दिया है. बीते दिनों में हुई हल्की बारिश व बूंदाबांदी का असर तो कई प्रखंडों में दिखा है, लेकिन सिंघिया प्रखंड में सर्वाधिक जलस्तर नौ फीट से ज्यादा नीचे खिसक गया है. इसे इलाके में पेयजल संकट का संकेत माना जा रहा है.
समस्तीपुर. बारिश व तूफान ने जिले की पेयजल संकट में किसी तरह भी अपनी असर नहीं छोड़ी है. गरमी की तपिश व वैशाख की लहर ने जिले में भूजल स्तर को नीचे खिसकाना शुरू कर दिया है. औसतन तीन इंच तक की गिरावट प्रखंडों में देखी गयी है. सबसे अधिक भू जल स्तर में गिरावट सिंघिया प्रखंड में दर्ज की गयी है. इसमें दो सप्ताह में नौ फीट तक भू जल स्तर में गिरावट दर्ज की गयी है.
इसके उलट मोहउद्दीननगर व मोहनपुर में भू जलस्तर ऊपर आया है. जिले के नौ प्रखंडों में भू जल स्तर विगत दो सप्ताह में जस की तस रही है. इसमें किसी तरह की गिरावट देखने के लिये नहीं मिली है. इसमें शहरी क्षेत्र का समस्तीपुर प्रखंड भी शामिल रहा है.
वहीं पूसा में तीन इंच की गिरावट जल स्तर में देखी गयी है. ऊंचा व टाल इलाका होने के बाद भी उजियारपुर प्रखंड में भू जल स्तर में गिरावट देखी नहीं गयी है. शेष प्रखंडों की हालात लगभग समान रही है. बढ़ती गरमी के कारण अब विभाग को जलस्तर में और भी गिरावट दर्ज होने की उम्मीद है.
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग भू जल स्तर की साप्ताहिक आंकड़े दर्ज कर रहा है. इसके लिये जो प्रणाली अपनायी जाती है उसमें प्रत्येक प्रखंड से पांच विभिन्न जगहों से भू जल स्तर की माप ले जाती है. जिससे प्रखंड में भू जल का खाका तैयार होता है. इसके आधार पर सरकार की ओर से लोगों की पेयजल समस्याओं की कठिनाइयों का पैमाना आंका जाता है. जिसके आधार पर अन्य योजनाएं तैयार की जाती है.
सूख गये अधिकतर तालाब
विगत कई वर्र्षो से जिले के अधिकतर तालाब सूखे पड़े हैं. अब नयी पीढ़ियों को इनके मायने भी समझ नहीं आयेंगे. अधिकतर तालाब मैदान बन चुके हैं. इनमें अब मछलियों की जगह कू ड़ा कड़कट फें कने का काम आता है. सूखे तालाब की जीर्णोद्धार की योजनाएं मात्र कागजों में ही सिमटी पड़ी हुई है.
भूजल का हो रहा दोहन
भू जल में गिरावट का आंकड़ा यहां भू जल की दोहन की स्थिति दिखा रहा है. आम लोग आंख बंद कर भू जल का दोहन कर रहे है. इसमें जहां आम लोगों तक पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने में योजनाएं पीछे रही है. वहीं आधुनिक संसाधनों की लगातार बढ़ती उपयोगिता ने भी जमीन से पानी की स्तर को गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. जब जमीन से इस लेयर पर पानी की सुविधा मिलेगी तो किसानों के खेतों में अलग धूल उड़े तो यह क्या आश्चर्य होगा.
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