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मुट्ठी भर अन्न देख अटक रहीं सांसें
इंद्र देवता ने किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया है़ किसानों ने जिन फसलों को अपने खून पसीने से सींचकर तैयार किया, वहीं फसल आंखों के सामने बरबाद होती रही और वह कुछ नहीं कर पायें फसलें बरबाद होने के बाद किसान सड़क पर आ गये है़ ऐसे में उन्हें यह बात सता […]
इंद्र देवता ने किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया है़ किसानों ने जिन फसलों को अपने खून पसीने से सींचकर तैयार किया, वहीं फसल आंखों के सामने बरबाद होती रही और वह कुछ नहीं कर पायें फसलें बरबाद होने के बाद किसान सड़क पर आ गये है़ ऐसे में उन्हें यह बात सता रही है कि आखिर साल भर परिवार का दाना-पानी कैसे चलेगा.
समस्तीपुर : भोजपुरी में एक कहावत है, ‘बादर बांध के खेती संभव’ नहीं़ खेती-बारी के संबंध में अपनी कहावतों के जरिये सटीक पूर्वानुमान जताने वाले महाकवि घाघ के भी एक दोहे के मुताबिक ‘बच्चा देने वाली गाय, और खेत में खड़ी फसल का कोई भरोसा नहीं’. दोनों बातें न जाने कितने वर्षो से अन्नदाता के हौसले एवं सब्र का सबूत हैं.
जिस फसल को अपने खून-पसीने से तैयार करता है, उसके कुछ हद तक क्षति के लिए वह मानसिक रूप से तैयार रहता है़ जो भी पैदा हुआ उससे संतोष कर अगले सीजन की तैयारी में लग जाता है, लेकिन इस बार के बेमौसम की बारिश, ओलावृष्टि की मार से अन्नदाता मन से टूटा है़ कहते हैं मुसीबत कभी अकेले नहीं आती़ जिले के निरीह किसानों के साथ ऐसा ही हो रहा है़ पहले आसमानी कहर ने फसल बरबाद कर दी और फिर अगलगी से कई एकड़ में लगे फसल जल कर राख हो गय़े
फिर सैन्य कीट के कारण प्रखंडों के किसानों की फसल को क्षति पहुंची है़ किसानों का कहना है कि पहले तो बेमौसम बारिश ने आधी से ज्यादा फसल लील ली और जो बची, उससे उम्मीद लगाये बैठे किसानों को मड़ाई के बाद निकली उपज झटका दे रही है़ मुट्ठी भर अन्न देख अन्नदाता खेतों में ही दम तोड़ रहे हैं.
बरबादी का सदमा दिल पर घात बन रहा है़ प्रखंड के जितवारपुर यादव टोल निवासी रमा राय पेशे से मजदूर है़. करीब दस कट्ठा जमीन बटाई पर लेकर गेहूं की खेती की थी़ खून-पसीना एक कर खेत जोता, बुआई की, खाद डाले और सिंचाई की़ उम्मीद थी की इस बार भी खेतों में सोना उगलेगा़ गरीबी मिटेगी और फसल काटकर वह भी त्योहार मनायेगा़ वजह भी साफ है़
देश में जब फसलें कटती है तो किसान त्योहार मनाते है़. लेकिन रमा राय की उम्मीदें दगा दे गयी. प्ऱति की मार के चलते वह बदहवास है़. गेहूं की फसल से उसने जो उम्मीदें लगा रखी थी उस पर पानी फिर गया़ दस कट्ठा जमीन में लगी गेहूं की बाली में एक भी दाना नहीं लगा है़
यह हालत सिर्फ रमा राय की ही नहीं है़ हालत यह है कि अबकी बार कई प्रखंडों के किसान कटनी तो दूर खेतों में लगी फसल देखकर ही मातम मना रहे हैं. जिला कृ षि पदाधिकारी चंद्रदेव प्रसाद कहते है कि समस्तीपुर के किसानों को 102 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलेगा़ जिले में 10 प्रतिशत फसलों की क्षति हुई है.
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