मोरवा. ठंड के कारण पशुपालकों की परेशानी ज्यादा ही बढ़ जाती है. ऐसे में अगर पशु बीमार पड़ जाये तो किसान खासे चिंतित होने लगते हैं. ठंड के मौसम में पशुओं एवं एफएमडी बीमारी का खतरा अचानक बढ़ जाता है. एफएमडी यानि फुट एंड माउथ डीजीज प्रचारित भाषा में किसान खुरहा या मुंहपका रोग भी कहते हैं. प्रखंड पशु चिकित्सा पदाधिकारी मिलेंदु विमल किसानों को इस बीमारी के बचाव के सुझाव एवं बीमारी की हालत में सतर्कता बरतने के उपाये बताये हैं. इस बीमारी से ग्रसित होने पर पशुओं के शरीर का तापमान अचानक बढ़ जाता है. पांव व मुंह में छाले पड़ जाते हैं और मवेशी खाना कम कर देता है. मुंह लार टपकना इसका मुख्य लक्षण है. इस बीमारी का मुख्य कारण वायरल इंफेक्शन माना जाता है. साफ सफाई व मवेशी के पेट की गड़बड़ी के कारण यह बीमारी उत्पन्न होता है. इस बीमारी के लक्षण उत्पन्न होते ही किसानों को तुरंत इलाज में जुट जाना चाहिए. इंटीबायोटिक्स से एफएमडी को ठीक किया जाता है. प्रखंड स्तर पर संचालित सरकारी चिकित्सालय में इसका इलाज किया जाता है. नियमित इलाज से एक साप्ताह के अंदर यह बीमारी पूर्णत: ठीक हो जाती है. ज्यादा देरी करने पर हानिकारक साबित होता है. इस बीमारी से ग्रसित मवेशियों को हरा चारा के रूप मे जई व पशु आहार का प्रयोग करने से शरीर के क्षय होने में कमी होती है.
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एफएमडी रोगों में एहतियात बरतें किसान
मोरवा. ठंड के कारण पशुपालकों की परेशानी ज्यादा ही बढ़ जाती है. ऐसे में अगर पशु बीमार पड़ जाये तो किसान खासे चिंतित होने लगते हैं. ठंड के मौसम में पशुओं एवं एफएमडी बीमारी का खतरा अचानक बढ़ जाता है. एफएमडी यानि फुट एंड माउथ डीजीज प्रचारित भाषा में किसान खुरहा या मुंहपका रोग भी […]
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